नागपुर :-भागवत पुराण सभी प्रकार के कल्याण देने वाला तथा त्रय ताप-आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक आदि का शमन करता है। ज्ञान, भक्ति और वैरागय का यह महान ग्रन्थ है। भागवत पुराण में बारह स्कन्ध हैं, जिनमें विष्णु के अवतारों का ही वर्णन है। उक्त आशय के उद्गार मानेवाड़ा के बालाजी नगर में जारी श्रीमद्भागवत कथा के दौरान भक्तों से कहे।
महाराज ने आज रुक्मिणी विवाह प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि योगी लोग दिव्य दृष्टि से भगवान के उस रूप का दर्शन करते हैं। भगवान का वह रूप हजारों पैर, जाँघे, भुजाएँ और मुखों के कारण अत्यंत विलक्षण है; उसमें सहस्त्रों सिर, हजारों कान, हजारों आँखे और हजारों नासिकाएँ हैं। हजारों मुकुट, वस्त्र और कुण्डल आदि आभूषणों से वह उल्लासित रहता है। भगवान का यही पुरुषरूप जिसे नारायण कहते हैं, अनेक अवतारों का अक्षय कोष है–इसी से सारे अवतार प्रकट होते है। इस रूप के छोटे-से-छोटे अंश से देवता, पशु-पक्षी और मनुष्यादि योनियों की सृष्टि होती है।
व्यासपीठ का पूजन यजमान देवीदास देशमुख परिवार ने किया। कथा का समय दोपहर 2 से 6 बजे तक रखा गया है।