खाली कुर्सियों करती है ‘महिला एवं बाल कल्याण’ कार्यालय की रखवाली
रामटेक :- शहर के बिचोबिच स्थीत महिला एवं बाल कल्याण कार्यालय मे आज 24 नवंबर को दोपहर 3:00 बजकर १० मिनीट दौरान प्रतिनिधि ने कार्यालयीन माहिती के कारणवश कार्यालय को भेट दी तो वहा कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। उस समय कोई जानकारी मांगनी भी चाहे तो किससे मांगे यह सवाल खड़ा हो गया था। यहां काफी समय तक रहने के बाद भी, कोई कार्यालय का कर्मचारी नहीं आया, यह दृष्य देखकर क्या यह कार्यालय हर दिन ‘रामभरोसे’ रहता होगा? ऐसा ही एक सवाल इस वक्त यहां प्रमुखता से उपस्थित हुआ ।
शहर में महिला एवं बाल कल्याण कार्यालय के संबंध में कुछ जानकारी के लिए आज दि. 24 नवंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट के बीच जब प्रतिनिधि पहुंचे तो सभी मेज-कुर्सियां खाली थीं। दीवार पर टंगी घड़ी में दोपहर के 3 बजकर 10 मिनट हो रहे थे। इसी दौरान ऑफिस के अंदर एक 14 से 15 साल का लड़का कुर्सी पर बैठा मोबाइल फोन पर गेम खेलते देखा गया। इस दौरान जब उससे कार्यालय के कर्मचारियों के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि ‘ यहा कुछ समय पहले एक कर्मचारी थे जो कुछ कार्यालयीन कामकाज के कारण पंचायत समिति में गए हैं, उन्होंने मुझे कुछ समय यहां रहने के लिए कहा है’ ऐसा उसने बताया । ऐसे में संबंधित कर्मचारी पूरे कार्यालय की जिम्मेदारी एक नाबालिग को कैसे दे सकता है? ऐसा सवाल उठाया था। खासकर तालुका के इस कार्यालय से अंगनबाड़ी, महिला एवं बाल कल्याण से जुड़ी विभिन्न सरकारी योजनाएं और अन्य महत्वपूर्ण कार्य चलते है। यह तालुका का प्रधान कार्यालय है। इसमें कोई शक नहीं कि यहां तरह-तरह के सरकारी दस्तावेज होंगे, फिर उन महत्वपुर्ण दस्तावेजों की जिम्मेदारी किसकी है? साथ ही यदि नागरिक कार्यालय संबंधी कार्य के लिए यहां आते हैं तो यह तय है कि उनके आने के बाद उन्हें बिना कुछ काम हुए वापस जाना ही होगा।
बिना फलक ( बोर्ड ) का कार्यालय
यहां बाल विकास परियोजना अधिकारी व कुछ कर्मचारी नियुक्त हैं। वैसे तो तालुकास्थल स्थित इस कार्यालय द्वारा सरकार की विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है, लेकिन यह कार्यालय कोणसा है, इस बारे में कार्यालय के दर्शनी भाग पर कोई बोर्ड नहीं लगा है। फिर यह पहेली है कि शहर के नागरिक और खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस कार्यालय के बारे में कैसे जानेंगे, पहचानेंगे। ऐसे में बाल विकास परियोजना अधिकारी इसे कैसे नजरअंदाज कर सकते है, यह भी विचार सामने आया।
इस संबंध में बाल विकास परियोजना अधिकारी माया पाटिल से दूरभाष पर संपर्क कर पुछे जाने पर ‘ मैं नागपुर में हूं, कार्यालय संबंधी कार्य से आई हूं. रामटेक स्थित महिला एवं बाल कल्याण कार्यालय में दो कर्मचारी हैं, इनमें से एक चुनाव ड्यूटी पर है और दूसरा कार्यालय में होगा ‘ ऐसा उन्होने बताया । जब प्रतिनिधि ने कहा कि कार्यालय में कोई कर्मचारी ही नहीं है तो यहां सरकारी दस्तावेजों की क्या जिम्मेदारी है तो उन्होने (माया पाटील ने ) कहा कि मैं उस कर्मचारी को फोन करती हु।