1200 एकड़ सरकारी जमीन घोटाला पर जिलाधिकारी की चुप्पी ?

 – RTI में जवाब दिया जा रहा कि जाँच अभी जारी है,विडंबना नहीं तो और क्या हैं फिर भी राज्य सरकार पारदर्शी एवं न्यायप्रिय होने का दावा लगातार करती आ रही हैं

नागपुर :- नागपुर जिले के उमरेड तहसील अंतर्गत मौजा पीटीचुवा ग्राम के आदिवासियों की जमीन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधा दर्जन से अधिक धूर्त व्यवसाइयों ने अपने अपने कब्जे में कर लिया। लगभग 1200 एकड़ आदिवासी सरकारी जमीन के खिलाफ पूर्व जिलाधिकारी रविंद्र ठाकरे,पूर्व जिलाधिकारी विमला आर और वर्त्तमान जिलाधिकारी विपिन इटनकर के कार्यकाल में कोई प्रगति नहीं होना यह सिद्द कर रहा कि जिला प्रशासन निष्क्रिय हैं और सरकारी संपत्ति के प्रति इनकी दायित्व निभाने की मंशा साफ़ नहीं हैं.अब तक मिले जवाब में यही अंकित किया गया कि जांच अभी जारी हैं ?

याद रहे कि तत्कालीन जिलाधिकारी रविंद्र ठाकरे को एक निवेदन देकर जानकारी दी गई थी कि उमरेड तहसील अंतर्गत मौजा पीटीचुवा के खसरा क्रमांक ६,८,१२,३१,३२,३३,३५,३६,३९,४२,४२,४४,३८,४३,४५,४८,४६,६३,४६,४७,४९,७९,६४,६५,६६,७४,८२,८९,९३,८४/१,८४/२,८४/३,८४/४,८७,९४,१०८,११२,११३,१५५,११६,१२१,व १२९ अंतर्गत वर्ग-२ में शामिल भूखंड की खरीदी-बिक्री में बड़ी धांधली हुई हैं.इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जाँच करने की मांग की गई थी.

जिलाधिकारी ठाकरे ने जाँच के आदेश देने के बजाय निवेदन को अपने कब्जे में सर्वप्रथम ले लिया फिर निवेदनकर्ता ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने नाना प्रकार के बहाने बनाकर पहले निवेदन गुम होने की जानकारी देते हुए नए सिरे से फिर से निवेदन मंगवाई लेकिन उनका कार्यकाल ख़त्म हुआ और जिला प्रशासन से कार्यमुक्त हो गए,इनकी कार्यप्रणाली उक्त मामले में संदिग्ध रही.

इसके बाद बतौर जिलाधिकारी विमला आर आई लेकिन उन्होंने भी पुराने प्रकरण को हाथ लगाने से परहेज की.अब जबकि जिलाधिकारी विपिन इटनकर है,इनके कार्यकाल में RTI अंतर्गत उक्त विषय सम्बन्धी दिए गए निवेदन पर किये गए कार्यवाही की जानकारी मांगी तो जिलाधिकारी कार्यालय जवाब देने में आनाकानी कर रहा हैं.

याद रहे कि मौजा पीटीचुवा के खसरा क्रमांक ६,८,१२,३१,३२,३३,३५,३६,३९,४२,४२,४४,३८,४३,४५,४८,४६,६३,४६,४७,४९,७९,६४,६५,६६,७४,८२,८९,९३,८४/१,८४/२,८४/३,८४/४,८७,९४,१०८,११२,११३,१५५,११६,१२१,व १२९ के भूखंड कीखरीदी-बिक्री में आपके विभाग के सम्बंधित पटवारी ने बगैर जाँच के ७/१२ पर मेसर्स एमके हाउस रियल एस्टेट के माणिक दयाराम वैद्य के नाम पर चढ़ाया गया.

दूसरी ओर कार्यालयीन रिकॉर्ड से इस बाबत खरीदी-बिक्रीके दस्तावेज जानबूझकर गायब कर दिया गया हैं.तहसील उमरेड द्वारा पारित आदेश दिनांक१२-१२-२००८ के बाद भी उक्त भूखंडों की खरीदी-बिक्री मेसर्स एमके हाउस रियल एस्टेट ( माणिकराव दयाराम वैद्य कीमृत्यु बाद ) के जिम्मेदार प्रतिनिधि द्वारा आज भी हैं जो कि पूर्णतः अवैध व सरकारी आदेश की पूर्ण अवमानना की जा रही हैं.

उक्त मामले की उच्च अधिकारी मार्फ़त सूक्ष्म जाँच कर संबंधितों पर कानून में प्रावधान सजा/जुर्माना कर प्रभावितों को न्याय देने की विनंती एमओडीआई फाउंडेशन,स्थानीय लोकाधिकार समिति एवं शिकायतकर्ता ने की थी.उक्त मामले से सम्बंधित अधिवक्ता पत्र, निवासी उपजिलाधिकारी को तहसीलदार,उमरेड लिखा गया पत्र,रेवेन्यू अपील क्रमांक ४७/आरटीएस/५९/२०१२,राजस्व अपील क्रमांक १४/आरटीएस-५९/२००९-१० में दिनांक ३०-११-२०११ को पारित आदेश ,राजस्वअपील क्रमांक १४/आरटीएस-५९/२००८-९ में तहसीलदार,उमरेड द्वारा दिनांक १२-१२-२००८ को पारित आदेश संलग्न किया गया था,बावजूद इसके जाँच पूरी न होना,यह संकेत दे रहा कि उक्त घोटाले में सम्पूर्ण जिलाप्रशासन का सम्बंधित अधिकारी/विभाग संलग्न हैं.

उक्त मामले को लेकर १७-०१-२०२० तत्कालीन जिलाधिकारी को कागजात सह निवेदन दिया गया था,लेकिन इसे गंभीरता से नहीं ली गई. नियमित टालमटोल किया गया.समय रहते अब भी इसे गंभीरता से नहीं लिया गया तो न्यायालय की शरण में जानेके लिए मजबूर होना पड़ेगा।

#जिलाधिकारी

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