रामटेक लोस : नरेश बर्वे बनाम कृपाल तुमाने में हो भिड़ंत 

– शिवसेना उद्धव ठाकरे व कांग्रेस का सर्वसम्मति से सक्षम उम्मीदवार नरेश तोड़ सकता हैं कृपाल की हैट्रिक यात्रा 

नागपुर :- वर्ष 2024 में होने वाली लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुकी हैं,इस क्रम में नागपुर जिले के दोनों लोकसभा क्षेत्र से भाजपा – तथाकथित शिवसेना ने अपने वर्त्तमान सांसद को तीसरी दफे उम्मीदवारी देने का निर्णय ले चुकी है,वही दूसरी ओर नागपुर शहर और रामटेक लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस का उम्मीदवार उतरना तय हैं लेकिन संभावित उम्मीदवारों का अतापता नहीं हैं क्यूंकि कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई चरम सीमा पर हैं,जिसके कारण सबसे बड़ी पक्ष अब क्षेत्रीय पक्ष भी नहीं रही,नतीजा उन्हें क्षेत्रीय पक्षों से राजनैतिक गठबंधन कर चुनावी जंग में कूदना पड़ रहा हैं.इस क्रम में नागपुर शहर में भाजपा उम्मीदवार के सामने कांग्रेस का सक्षम उम्मीदवारों का तोटा हैं तो रामटेक लोकसभा में तथाकथित शिवसेना उम्मीदवार को हैट्रिक बनाने से रोकने के लिए कांग्रेस का नरेश बर्वे सबसे सक्षम उम्मीदवार साबित हो सकता है,जिसको एनसीपी,उद्धव सेना और कांग्रेस के सभी गुट समर्थन दे सकते हैं.

रामटेक लोकसभा क्षेत्र के वर्त्तमान सांसद कृपाल तुमाने पिछले 2 टर्म से सांसद हैं,लेकिन कोई उल्लेखनीय कार्य क्षेत्र के लिए नहीं कर पाए,क्यूंकि SC आरक्षित क्षेत्र है और भाजपा-सेना का गठबंधन के साथ ही साथ कांग्रेस में भीषण अंदरूनी दरार के कारण एक नहीं बल्कि 2-2 बार सांसद बनने में सफलता हासिल की.

तुमाने पाला बदलने और हाँ में हाँ लगाने के लिए मशहूर हैं, इसलिए मूलतः कांग्रेसी होने के बावजूद मौका देख 14 वर्ष पूर्व ऐन चुनाव के वक़्त शिवसेना में प्रवेश कर लोकसभा की उम्मीदवारी हासिल की थी,यह अवसर भी नरेश बर्व की वजह से तुमाने को मिला था.

उक्त चुनाव के पूर्व तक बर्वे को सुबोध मोहिते का करीबी के रूप में जाना जाता था,शिवसेना सुप्रीमो से मोहिते की अनबन के कारण मोहिते शिवसेना छोड़ कांग्रेस में प्रवेश कर चुके थे,तुरंत बाद लोकसभा चुनाव घोषित हुआ और शिवसेना की नज़र में मोहिते के समर्थक बर्वे को उम्मीदवारी देने के निर्णय लेने के बाद उसे मुंबई बुलाया गया,जिसकी भनक मोहिते को लगी और मोहिते के जज्बात में आकर बर्बे मुंबई नहीं गया,नतीजा बर्वे की जगह कृपाल तुमाने की मिली,तुमाने ने मौका देख सबकुछ गिरवी रख,कर्जा बाज़ारी कर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन करीब करीब से हार गया,वजह साफ़ थी कि शिवसेना का तत्कालीन मजबूत हाथ बर्वे को मुकुल वासनिक के रूखेपन से नाराज होने के बावजूद मना लिया गया और बर्वे ने फिर कामठी में उसके दूसरे दिन सोनिया गांधी की सभा को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी.

जब तुमाने पहली बार शिवसेना से उम्मीदवार थे तो मुकुल वासनिक कांग्रेस से उम्मीदवार बनाये गए थे,तब आशीष जैस्वाल ने तुमाने की बजाय वासनिक के पक्ष में मत परिवर्तन किया था.

तुमाने ने इसके बाद के चुनाव में मुकुल वासनिक को लम्बे अंतर से हराया,वजह साफ़ थी कि मुकुल वासनिक ने अपने सांसद के कार्यकाल में महीने में एक बार क्षेत्र में आते थे और प्यादों के सिफारिश की जगह भेंट देते थे.इस चुनाव में वासनिक को घर बैठाने में केदार और मूलक ने अहम् जिम्मेदारी निभाई थी,दोनों अपने चुनिंदा विधानसभा क्षेत्र के बाहर निकले ही नहीं।

तुमाने को शिवसेना ने जितना मौका दिया,उसके अनुरूप शिवसेना का वजन क्षेत्र में बढ़ा नहीं पाए.इसके साथ ही रामटेक के तथाकथित विधायक आशीष जैस्वाल का भी वही हाल रहा,शिवसेना को सिमित कर भाजपा की गोद में बैठे रहे.

पिछले दिनों शिवसेना में भाजपा ने बड़ी फुट करवाई तो मूल शिवसेना अल्पतम में आ गई,भाजपा नेताओं के शह पर तुमाने और आशीष जैस्वाल शिंदे की शिवसेना में चले गए.इस हिसाब से अगले लोकसभा चुनाव में पुनः तुमाने को शिंदे-मोदी-भाजपा का संयुक्त उम्मीदवार बनाया जाएगा।

इसके खिलाफ कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी फ़िलहाल किस पक्ष का उम्मीदवार लोकसभा चुनाव लड़ेगा,इस सन्दर्भ में राजनैतिक कुश्ती कर रही है,उद्धव सेना शांत है तो एनसीपी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है,कांग्रेस में उठापठक का दौर जारी हैं.

कांग्रेस चुनाव लड़े और कांग्रेस से उम्मीदवारी के लिए शहर और ग्रामीण से दावेदारी भी शुरू हो चुकी है.

लेकिन जहाँ तक जमीनी हकीकत का सवाल है,शिवसेना और कांग्रेस का संयुक्त उम्मीदवार नरेश बर्वे ही हो सकता है,क्यूंकि जमीनी स्तर पर बर्वे को कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना के स्थानीय जनप्रतिनिधि का समर्थन हासिल है और कर्मठ होने के साथ मृदुभाषी भी हैं.इस क्षेत्र में बर्वे का समाज निर्णायक भूमिका में हैं.

इसके अलावा कांग्रेस या शिवसेना ने अन्य को उम्मीदवारी दी तो तुमाने को हैट्रिक बनाने से कोई रोक नहीं सकता हैं,यह कड़वा सत्य हैं.

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