– सम्पूर्ण कार्यकाल में भ्रष्टाचार को दबाकर भ्रष्टाचारी अधिकारियों को संरक्षण देते रहे
नागपुर :- एक आयुक्त आए थे मुंडे, ऊपर से कड़क अंदर से पूर्ण भ्रष्टाचारी,पहले दिन से आखिरी दिन तक विवादों में रहे और अल्प काल में कई मुकदमों का शेहरा बांध कर खदेड़ दिए गए। वे बोल बोल कर अपने कारनामों को अंजाम देते रहे, उनकी जगह आए ‘मुका’ मुंडे जो TRUE COPY थे बोलने वाले मुंडे के लेकिन अंतर इतना ही था दोनों में कि वर्तमान वाले मुंडे मुका थे,बोलने में विश्वास नहीं रखते थे और अमूमन कम से कम बड़बड़ करते थे। दोनो की कार्यशैली एक जैसी थी दोनों के इर्द गिर्द भ्रष्टाचारी व विवादास्पद अधिकारी/कर्मियों का जमावड़ा था। इन्हीं भ्रष्ट अधिकारी/कर्मी के भरोसे दोनों मुंडे अपनी रोटी सेका करते थे और फ्री का व्यंजन का आनंद लिया करते थे। दोनों की व्यवस्था धरमपेठ जोन मार्फत हुआ करती थी,व्यवस्था करने वाले कर्मी काफी दुखी थे क्योंकि कभी उन्हें फ्री तो कभी जेब मे हाथ डालना पड़ता था। बड़बड़ करने वाले मुंडे अपने रिश्तेदारों को टेंडर देते थे तो ‘मुका’ मुंडे टेंडर में बड़े बड़े घापे करने वालों को संरक्षण देते रहे। दोनों के राजदार ड्राइवर/सहायक हिवसे थे। बड़बड़ करने वाले मुंडे के सभी जायज/नाजायज निर्णयों को ‘मुका’ मुंडे ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन तक कायम रखा। खैर दोनों मुंडे से मनपा नागपुर को काफी नुकसान हुआ,’मुका’ मुंडे के कार्यकाल में 2 बड़े घोटाले सार्वजनिक हुए सीमेंट सड़क फेज -2 भुगतान घोटाला और स्टेशनरी खरीदी घोटाला,दोनों के मुख्य आरोपियों को ‘मुका’ मुंडे न अंतिम समय तक संरक्षण देकर अपनी उत्कृष्ट कार्यशैली का परिचय दिया।अब नए आयुक्त से निष्पक्ष कार्यप्रणाली ,निष्पक्ष प्रशासन की उम्मीद शहर के तमाम जागरूक नागरिक कर रहे है।