एसयूवी और यूपीआई पर GST देनदारी स्पष्ट

नागपुर :- कई चीजों पर कर की दुविधा दूर करते हुए वस्तु एवं सेवा कर (GST ) परिषद की फिटमेंट समिति ने स्पष्ट किया कि निश्चित शर्तों को पूरा करने वाले स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) पर 22 फीसदी मुआवजा उपकर लगाया जा सकता है।

केंद्र और राज्यों के राजस्व अधिकारियों वाली इस समिति ने आगे स्पष्ट किया कि रुपे/भीम-यूपीआई लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए बैंकों को मिलने वाले भुगतान पर कर नहीं लगेगा। इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि सदस्य बैंकों को दिया गया प्रोत्साहन और कुछ नहीं बल्कि निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार से प्राप्त सब्सिडी है।

इन मुद्दों पर समिति के स्पष्टीकरण पर जीएसटी परिषद की बैठक में विचार किया जाएगा। परिषद की बैठक 17 दिसंबर को नई दिल्ली में होगी।

एसयूवी के मामले में उद्योग ने एंट्री और विवरण में अस्पष्टता का हवाला देते हुए ऐसे वाहनों की आपूर्ति पर लागू जीएसटी मुआवजा उपकर की दर पर स्पष्टीकरण की मांग की थी। समिति ने कहा, ‘जीएसटी व्यवस्था में मुआवजा उपकर के लिए वर्तमान एंट्री पहले की केंद्रीय उत्पाद शुल्क व्यवस्था में एंट्री के समान है। लेकिन एसयूवी शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है और विवरण में केवल एक स्पष्टीकरण दिया गया है।’

विभिन्न प्रकार के वाहनों पर जीएसटी की दर अलग-अलग है। वाहनों पर 5, 12, 18 और 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है। मगर वाहनों की बिक्री पर जीएसटी के साथ मुआवजा उपकर भी लगता है, जो 22 फीसदी तक हो सकता है।

समिति ने कहा कि परिषद की सिफारिशें सभी चार शर्तों को पूरा करने वाले वाहनों पर उच्च दर से उपकर लगाने के बारे में थीं। इन शर्तों में इंजन क्षमता 1500 सीसी से अधिक होना, लंबाई 4000 मिली मीटर से अधिक और ग्राउंड क्लीयरेंस 170 मिलीमीटर होना शामिल है। मगर एक और स्पष्टीकरण जारी कर स्पष्ट किया जा सकता है कि 22 फीसदी की उच्च मुआवजा उपकर दर लगाने के लिए वाहन को इन सभी चार शर्तों को पूरा करने की जरूरत होगी।

बैंकों को मिलने वाले प्रोत्साहन के बारे में फिटमेंट समिति ने स्पष्ट किया कि संबंधित प्रोत्साहन केंद्र सरकार द्वारा बैंकों को उनकी सेवा के लिए किया गया भुगतान नहीं है बल्कि प्रोत्साहन है क्योंकि यह बैंकों द्वारा लेनदेन की संख्या के आधार पर न्यूनतम वार्षिक विकास दर प्राप्त करने के लिए दिया जाता है।

जीएसटी पर फिटमेंट समिति ने कहा, ‘सरकार उन्हें रुपे/भीम-यूपीआई के माध्यम से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसका मतलब यह नहीं है कि बैंक केंद्र सरकार को कोई सेवा प्रदान कर रहे हैं।’

यह भी कहा गया कि बैंकों को दिया जाने वाला यह प्रोत्साहन उसी तरह है जैसे निर्यातकों को विभिन्न योजनाओं के तहत निर्यात प्रोत्साहन दिया जाता है। इसमें निर्यातक सरकार के लिए निर्यात नहीं करते हैं, लेकिन देश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार उन्हें प्रोत्साहित करती है।

इसके अलावा समिति ने व्यापक अध्ययन की आवश्यकता का हवाला देते हुए क्रिप्टो संपत्ति या वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के संबंध में आपूर्ति की ‘प्रकृति और कराधान’ सहित कुछ मसलों को टालने का सुझाव दिया। वर्तमान में जीएसटी व्यवस्था के तहत क्रिप्टो संपत्ति को परिभाषित नहीं किया गया है। समिति ने एडिटिव्स के साथ फलों के गूदे, सोना, चांदी और हीरे तथा बैटरी स्टोरेज घटकों जैसी कई वस्तुओं पर जीएसटी दर कम करने की उद्योग की मांग ठुकरा दी है। एडिटिव के रूप में मिलाए गए कार्बन-डाईऑक्साइड वाले जूस पर 28 फीसदी जीएसटी लगेगा.

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