नागपुर :- इन दिनों स्टेशन परिसर की ट्रैफिक व्यवस्था रेलवे सुरक्षा बल और लोहमार्ग पुलिस के बस की बात नहीं रही. संकरी जगह और अन्य परेशानियों के कारण कुछ ही देर में प्रवेश द्वार से लेकर निकासी द्वार तक वाहनेां का जमावड़ा हो जाता है.
स्टेशन के पूर्वी और पश्चिमी, दोनों भागों में ऐसा ही नजारा दिखता है. यदि एक वाहन भी रूक जाये तो पीछे वाहनों की लंबी लाइन लग जाती है. यह स्थिति उस समय अधिक विकट हो जाती है जब नागपुर से चलने वाली या यहां से गुजरने वाली ट्रेनों को समय होता है.
यूं तो स्टेशन परिसर में जाम के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई कारण हुए हैं. इन्हें वाहनों के जाम का फार्मूला कहा जा सकता है क्योंकि ये वर्षों से एक से बने हुए है और बदलने को तैयार नहीं. जैसे पश्चिमी भाग में स्टेशन की हेरिटेज इमारत के सामने 4 लेन और कार पार्किंग बनी हुई है. इनमें से पहली लेन सुरक्षा कारणों से आम वाहनों के लिए बंद है जबकि आखिरी लेन कार पार्किंग के लिए रिजर्व है. इस प्रकार हर दिन हजारों वाहनों की मेजबानी करने वाले इस भाग में आम नागरिकों के लिए केवल 2 ही लेन उपलब्ध रह जाती है. वहीं पार्किंग में कारों की आवाजाही के चलते अन्य वाहन चालकों को भी ब्रेक लगाना पड़ता है. इन सबसे आगे निकासी द्वार के ठीक बाहर टेकड़ी रोड पर ऑटो रिक्शा और ई-रिक्शा चालकों की मनमानी है. निकासी द्वार के सामने ही अपने रिक्शे खड़े करके ये यात्रियों को बैठाने के लिए आपस में भिड़ पड़ते हैं. फिर कुछ ही देर में निकासी द्वार से प्रवेश द्वार तक वाहनों की कतार लग जाती है.
पूर्वी भाग के प्रवेश द्वार पर पहले ही जगह संकरी है. मेट्रो स्टेशन के चलते अब पहले से भी कम जगह बाकी है. परिसर के गेट और प्रवेश द्वार के बीच मुश्किल से 25-30 फीट की संकरी जगह है. इस जगह में लगेज और परिवार के साथ सफर करने आये यात्री, दोपहिया और चौपहिया वाहनों की आवाजाही और एक बार फिर ऑटो चालकों की मनमानी स्थिति बिगाड़ने के लिए काफी है. हाल ये हैं कि झुंड में खड़े ऑटो चालकों को एस्केलेटर की रास्ता तक जाम करते हुए देखा जा सकता है. खास बात है कि ठीक सामने एक्सरे मशीन पर आरपीएफ जवानों की ड्यूटी लगती है लेकिन उन्हें इस बारे में कोई खबर नहीं होती.
ज्ञात हो कि 11 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने स्टेशन के रिडिवलपमेंट प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था. काम काफी तेजी से शुरू हो भी हो चुका है लेकिन इसे पूरा होने में 36 महीनों का समय है. कम से कम तब तक स्टेशन प्रबंधन, आरपीएफ और जीआरपी के ट्रैफिक विभाग ने स्थिति को संभालना चाहिए जब तक रिडिवलपमेंट पूरा नहीं नहीं हो जाता.