अंधश्रद्धा के रूप में बढ़ी कछुओं की तस्करी, इ’छा पूर्ति के लिए 2० और 21 नाखून वालों को पसंदी

नागपुर :-रुके हुए काम पूर्ण हो, भरपूर पैसा मिले, स्वास्थ्य ठीक रहे जैसे विभिन्न इ’छाओं के लिए हर कोई अपने अपने तरीके से कार्य करता है. परंतु इन सभी आशा आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए अंधश्रद्धा का शिकार होने वालों की संख्या भी काफी अधिक है. इंसानों में बढ़ी इस अंधश्रद्धा से कछुओं की तस्करी बढ़ी हुई दिखाई देती है.

विगत 15 वर्षों से कछुआ, मांडूल सांप जैसे प्राणियों की मांग बढ़ी है. गुप्तधन का लालच देकर उनकी तस्करी की जाती है. कई बार इन प्राणियों की जानकारी ना होने से उन्हें सरेआम गलत भोजन दिया जाता है. इसलिए उनकी मौत होती है. परिणाम स्वरूप कछुआ व मांडूल यह प्राणी दुर्लभ हो चले हैं. अंधश्रद्धा से कछुओं की तस्करी अधिक होती है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कछुओं की मांग होगी इस झूठी आशा में प्राणियों की तस्करी व शिकार की जाती है. आर्थिक रूप से संकट में फंसे अथवा तुरंत पैसे कमाने के लिए यह मार्ग चुना जाता है. कछुओं की करीब 25० जातियां है. वास्तु विशेषज्ञों तथा ‘योतिषी घर में जीवित अथवा कांच, धातु, लकड़ी से बने कछुए के रखने की सलाह देते हैं. कछुआ घर में रखने से आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, स्वास्थ्य अ’छा और लंबी आयु प्रदान करती है. नकारात्मक ऊर्जा घर से दूर रखने के लिए कछुआ रखें ऐसा माना जाता है. जीवित कछुआ रखना होगा तो 2० और 21 नाखून वाले कछुए को विशेष पसंद किया जाता है. लोगों के इस मानने से कछुओं की तस्करी बढ़ी है.

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