परित्राणाचार्य भदंन्त सुभद्र सुबोधी महास्थविर

संदीप कांबळे, विशेष प्रतिनिधी

नागपुर जिल्हे के कामठी तहसील वारेगाव मे माता सुलोचना  एव गणपतराव चनकापुरे ईनके परिवार मे दिनांक १२/१२/१९४० को जन्मे सुखदेवराव चनकापुरे ये बचपन से ही आध्यात्मिक विचारोके अधिन रहे सामाजिक कार्य मे अग्रेसर उत्तरदायित्व पुर्ण करते वक्त राजकीय जिम्मेदारी भी संभालकर समता सैनिक दल के अनुशासन बंद्ध सैनिक के नाते गाव के १० साल तक उपसरपंच ,सरपंच रहकर गाव के सर्वांगीण विकास के लिये अविरत निस्वार्थ प्रयत्न करते रहे कामठी परिसर जयभीम प्रवर्तक लोकप्रिय आमदार बाबु हरदास एल एन के निधन के पच्छात भी आबेडकर आंदोलन को मजबूत बनाये रखनेमे अग्रेसर रहा डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर के धम्म क्राती के पच्छात तमाम अनिष्ट असंभ्य चमत्कारिक अदृश्य रिती रिवाजो को त्यागकर सुखदेवराव भजन गायन अभंग पद काव्य लेखन के माध्यम से परिसर मे सक्रिय रहे पारिवारीक एव सामाजिक धार्मिक राजकीय क्षेत्र मे जिम्मेदारी का निर्वहण करते हुये कामठी शहर मे भदंन्त सदानंद महास्थविर सतधंम्मादित्य भदंन्त धर्मकिर्ती महास्थविर ईनके श्रमसाफल्य से धार्मिक प्रचार प्रसार हो रहा था बौद्ध उपासिका संघ, बौद्ध उपासक संघ सक्रिय था ऐसे वातावरत मे भदंन्त सदानंद महास्थविर ईनका १९७२ मे वर्षावास प्रबुद्ध नगर नयागोदाम के विहार मे था कामठी के अनेकानेक युवाओ ने श्रामनेर शिबिर मे सुखदेवराव चनकापुरे भी श्रामनेर हुये उस शिबिर मे डाॅ भदंन्त आनंद कौसल्यायन एव डाॅ भदंन्त सावंगी मेधंनकर महास्थविर दींक्षाभूमी से पधारे थे उनोन्हेही युवाओको श्रामनेर दिक्षा दी थी, सुखदेवराव चनकापुरे यह श्रामनेर सुभद्र बोधी के नाम से पहचाने जाने लगे तमाम युवाओने शिबिर समापन के बाद चिवर छोडा मगर श्रामनेर सुभद्र बोधी ने नही छोडा और धम्म प्रचार-प्रसार करने मे सक्रिय रहे उपसंम्पदा कर वे पुर्ण रूपसे भीक्खु बनकर पावो को भीगरी बाध उत्साहीत वातावरत मे गाव कस्बे मे रात दिन भ्रमण करते रहे नागपुर जिल्हे के अनेकानेक तहसील के गावो मे चिरपरिचीत भदंत सुभद्र सुबोधी महास्थविर परित्राणाचार्य के रूप मे विख्यात हुये उनका निवास जगतकल्यान नगर के नाम से परिचित था, तथागत बुद्ध की वंदना दो सुत्त संज्झायन दो गीत, एव धम्मप्रबोधन करते हुए पहले मै कहता हु वैसा आप मेरे बाद कहे कहते हुए एक टिचर के भाती विचारोको जनसामान्य लोगो को अपने विचारो के साथ बनाये रखने मे सक्रिय रहे, परित्राण की सालभर की डायरी बुक रहती थी गाव कस्बे मे भ्रमण करते वक्त कभी पैदल, सायकल बैलबंडी स्कुटर आदी से प्रवास करते हुए देखे जाते थे,गाव कस्बे के लोगो मे धम्म संस्कार के प्रती निष्टा निर्माण कर अज्ञान अंधकार चमत्कार अनिष्ट असंभ्य चमत्कारिक अदृश्य शक्तीयो के खिलाफ वातावरत बनाने मे सफलता हासिल की आपस की बुराई, कटुता अविस्वास वैरत्व शत्रुत्व को कम कराने मे उनका बहोत बडा योगदान रहा कामठी परिसर की बिडी कामगार महिलाओ को धम्म प्रबोधन कर भीक्खुसंघ के भोजन दान संघदान आदर सन्मान के लिए प्रवृत करने मे भदंन्त सदानंद महास्थविर भदंन्त धम्मकिर्ती महास्थविर, डाॅ भदंन्त आनंद कौसल्यायन डाॅ सावंगी मेधंकर महास्थविर भदंन्त धिरधंम्म, भदंन्त सुमेध बोधी, भदंन्त ठीत्त बोधी, अश्वजित,आदी के साथ सुभद्र सुबोधी ईनका योगदान रहा महाशिवरात्री पर अन्य धर्मीय महिलाये एकत्रित होकर अपना संस्कार करती थी बिडी कारखाने मे बिडी बनानेवाली बौद्ध धम्मीय अशिक्षित महिलाओ को एकत्रित कर कटोरी भर आटा चावल दस पैसा चाराणा जमा कर सह भोजन का आयोजन कर महिलाओ को संघटित करणेका कार्य करते हुए बौद्ध उपासिका संघ का कार्य दींक्षाभूमी पर कभी कभार भीक्खुसंघ को भोजन दान देणा आरंभ हुआ कालांतर मे दींक्षाभूमी पर धम्मदिक्षा वर्धापन दिन पर देश भर से आने वाले भीक्खुसंघ के भोजन दान की पै पैसा जमा कर जो सुरूवात हुयी आज पाच दशक से माहामाया सार्वजनिक महिला उपासिका संस्था के माध्यम से चिरंतन सुरू है ईसमे अनेकानेक गावो की महिलाओ का सहयोग रहता है ईस कार्य को आरंभ करणे मे महत्वपूर्ण योगदान भदंन्त सुभद्र सुबोधी,भदंन्त गुणवर्धन बोधी सुमेध बोधी,का रहा आज भी भदंन्त नाग दिपंकर महास्थविर एव भदंन्त एन सुगत बोधी के सहयोग से एव ईसे आरंभ करने वाली महिलाये आज हयात नही मगर वर्तमान मे नयी पिढी की महिलाये ईसे आगे बढाने मे सक्रिय है.

भदंन्त सुभद्र सुबोधी महास्थविर परित्राणाचार्य के रूप मे विख्यात हुये ही मगर धम्म प्रचार-प्रसार के लिए कर्तव्य तत्पर रहकर सेवारत रहकर धंम्म की गरीमा बनाये रखने मे बहु आयामी व्यक्तीमंत्व के धनी रहे.

उम्र के ८४ बरस दिर्घ बिमारी के एव वृद्धाअवस्था के कारण दिनांक ११/४/२०२४ को उनका देहांत हुआ

जिस घर मे जन्म हुआ कालांतर मे वह घर बुद्ध विहार बनाया गया हमेशा भ्रमण कर धम्म का प्रचार-प्रसार कर जगतकल्यान नगर का निवासी बताने वाले भदंन्त जी पिछले एक दशक से अपणे जन्मस्थली पर निवासी हुये और वही पर अंतिम सांस ली उनके अंतिम वृद्धा अवस्थामे सेवारत रहे भदंन्त गुणवर्धन बोधी भीक्खुणी तक्षशिला, वाघमारे एव प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग प्रदान करणेवाले दायक दायीका साधुवाद के पात्र है

भदंन्त सुभद्र सुबोधी महास्थविर ईनके श्रमसाफल्य रूपी यादो को स्मरण कर त्रीवार अभिवादनिय आदरांजली अर्पीत करते है.

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