‘मीटिंग पर मीटिंग’ से कर्मचारी वर्ग परेशान

कर्मचारियों का हो रहा शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से शोषन, शोषन बंद करो, कर्मचारियों के बीच मांग

नागपुर :- क्षेत्रफल की दृष्टि से, रामटेक तहसील क्षेत्र में बहुत बड़ा है और तहसील के कोनों में स्थित गांवों में विभिन्न विभागों के तहत कर्मचारी कार्य जबाबदारी से कर रहे हैं। लेकिन बिते एक – दो माह से अपना कार्यालयीन कार्य छोड़कर 20-25 किलोमीटर तहसील कार्यालय में आकर स्थानिक विभिन्न विभाग के अधिकारियों द्वारा आयोजित बैठकों में उपस्थित रहना कर्मचारियों के लिए कष्टदायी होता नजर आ रहा है। कुछ कर्मचारियों द्वारा व्यक्त किए गए उनकी व्यथा से वे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से बहोतही परेशान हो गए है और वे काफी पीड़ित है ऐसा चित्र दिखाई दे रहा है।

तहसील का क्षेत्रफल देखा जाए तो रामटेक शहर से लगभग 25 किमी पूर्व, 17 किमी पश्चिम, 35 किमी उत्तर और 14 किमी दक्षिण में तहसील की सीमारेखा है और वहां गांव बसे है। खासकर अगर अंतिम छोर के गांवों पर विचार करें, तो लगभग हर गांव में ग्रामसेवक, ग्राम.पं. कर्मचारी, स्वास्थ्य विभाग एवं कृषि विभाग के कर्मचारी, तलाठी, कोतवाल,शिक्षक सेवाएं दे रहे हैं । सुबह घर से निकलने के बाद ये सभी कर्मचारी अपने कार्यस्थल पर जाकर अपना काम करते हैं। कुछ कर्मचारियों को दो से अधिक गांवों में भटकना पड़ता है। कुछ गाँवों में नाश्ता होटल नहीं है, साधारण चाय की तो बात ही छोड़िए। ऐसे स्थिती मे उक्त कर्मचारी के हाल ना पुंछे तो ही अच्छा है । हालांकि, तालुका स्थान पर पिछले एक-दो महीने से विभिन्न विभागों में आयोजित कर्मचारियों की बैठकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। हर हफ्ते औसतन तीन से चार बैठकें निर्धारित हैं। एक बैठक में लगभग दो से तीन घंटे लगते हैं। कभी-कभी तो पूरा दिन लग जाता है। इसके चलते संबंधित कर्मचारी की उसके कार्यालय के सेवा में बाधा उत्पन्न होती है । किए जाने वाले कार्य में रुकावट के कारण देरी हो रही है और साथ ही, बैठक में भाग लेने के लिए इतने दूर तालुका स्थान पर आने से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से शोषन होता है। इन सब समस्याओ के देखते हुए कर्मचारियों की ओर से इस शोषण को रोकने की मांग की जा रही है.

राजस्व विभाग की बैठकों का बढ़ा ग्राफ

इस साल की मानसून में भारी बारिश हुई थी। नतीजन, किसानों के खेतों और नागरिकों के घरों का भारी नुकसान हुआ। उनका पंचनामा बनाने और रिपोर्ट जमा करने की जिम्मेदारी पटवारी, कृषि विभाग के कर्मचारियों और सुई की नोक मात्र संबंध नही आने वाले ग्रामसेवकों पर भी लगाई गई थी । साथ ही KYC का काम भी दिया था।आगामी चुनाव को देखते हुए BLO का कार्य भी सौंपा गया था और खास बात यह है कि इन सभी कार्यों की रिपोर्ट जमा करने के लिए तहसील स्थान तक पहुंचना पड़ता है और इन सभी मामलों के संबंध में पिछले एक-दो महीनों से राजस्व विभाग में बैठकों का ग्राफ बहुत बढ़ गया है।

उल्लेखनीय यह है कि सरकारी सेवा में कार्यरत प्रत्येक कर्मचारी को सरकार द्वारा संबंधित कार्यालय में विभिन्न कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। इसके अलावा,उन्हें सरकार द्वारा की गई नई योजनाओं और उपक्रम को भी चलाना पड़ता है। फिर अगर उन्हें वह काम करने के लिए मजबूर किया जाता है जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं है, तो बेहतर है कि यह कल्पना न करें कि उन कर्मचारियों की मनःस्थिति क्या होती होगी। इसलिए विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की मांग है कि ऐसे कार्यों के लिए एक स्वतंत्र यंत्रणा नियुक्त किया जाए, भले ही वो ठेकेदारी पद्धती मे हो.

 

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