– DIMTS प्रबंधन पूर्व परिवहन सभापति के कंधों पर बन्दूक रख अपना उल्लू सीधा कर रहा
नागपुर :- आर्थिक लेनदेन में हेराफेरी रोकने के लिए PM ने DIGITAL INDIA योजना लाई और केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री व स्थानीय सांसद नितिन गडकरी व राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की वर्षों से दिली इच्छा थी कि मनपा भ्रष्टाचार मुक्त सेवा केंद्र बने,इसी को साकार करने की कोशिश में जुटी मनपा प्रशासन को भाजपा के विवादास्पद पदाधिकारी ‘बाल्या’ नाना प्रकार से आरोप-प्रत्यारोप कर आये-दिन जनता के समक्ष दोषी ठहराते हुए उनके सरकारी कामकाजों में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं.इस मामले पर भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व की चुप्पी से PM MODI और NITIN-FADANVIS का सपना चूर होने के साथ ही साथ जनहितार्थ योजनाओं से जनता को महरूम होने की नौबत आन पड़ी हैं।
मनपा ने स्वयंभू होकर शहर परिवहन की जिम्मेदारी अपने कांधों पर ली और मनपा की ओर से बस संचलन की जिम्मेदारी IBTM के माध्यम से दिल्ली की विवादास्पद कंपनी DIMTS को जाने-अनजाने में दे दी थी.मनपा परिवहन विभाग और DIMTS के करार के अनुसार DIMTS ने जिम्मेदारी का पालन करने के बजाय ‘फुट डालो और शासन करो’ की नीति शुरू से अपनाते हुए आजतक मनपा में बनी हुई हैं.उन्होंने इसके लिए कमजोर नब्ज पूर्व परिवहन सभापति ‘बाल्या’ को अपना मोहरा बनाया और आजतक उसे जब जब मनसूबे पर पानी फिर तब तब प्रशासन और भाजपा के सपनों को चकनाचूर करने के लिए कूदा दिए.
आइबीटीएम की जिम्मेदारियां : प्लानिंग,मॉनिटरिंग,डिजिटल टिकटिंग,कंडक्टर मैनेजमेंट और सुपरविजनिंग तय की गई थी,पिछले 5 साल पहले इसकी जिम्मेदारी दिल्ली की DIMTS को दी गई थी जो आज भी कई एक्सटेंशन लेकर कायम है और आगे भी कायम रहने की जीतोड़ कोशिश कर रही हैं.इसके लिए उन्होंने मनपा के पूर्व परिवहन सभापति ‘बाल्या’ को मोहरा बनाकर कभी प्रशासन तो कभी उसकी कार्यप्रणाली पर अकारण कुदवाकर नियमनुसार तय प्रक्रिया को बाधा पहुंचा रहे हैं.
DIMTS की करतूतें
नागपुर मनपा में परिवहन संचलन की जिम्मेदारी उन्हें पूर्व परिवहन सभापति ‘बाल्या’ के कार्यकाल में दी गई थी,AS PER RFP कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया,याने RFP में अंकित मुद्दों को उक्त पूर्व सभापति ‘बाल्या बोरकर’ के माध्यम से मनपा प्रशासन से ही करवा लिया।इनका TENDER डिसम्बर 2022 के आसपास ही ख़त्म हो चूका हैं ,तब से अपने मोहरे को विभिन्न मुद्दों पर कुदवाकर EXTENSION पर EXTENSION अबतक लिए जा रहे हैं.AS PER RFP अमूमन सभी जिम्मेदारियां DIMTS को करनी थी.स्लैश अग्रीमेंट के अनुसार डिजिटल टिकटिंग के लिए SOFTWARE नहीं बनवाया,क्यूंकि बड़ा खर्च था,इसलिए मनपा आपली बस सेवा में आजतक लागु नहीं हो पाया।बस स्थानक,DISPLAY BOARD और TICKET CHECKERS पर होने वाली खर्च मनपा प्रशासन ने की ,इसके बावजूद मनपा प्रशासन प्रत्येक माह १.72 करोड़ रूपए DIMTS और CONDUCTOR आपूर्तिकर्ता UNITY को 1.35 करोड़ रूपए मासिक भुगतान कर रही हैं ,यह निर्णय भी उक्त पूर्व परिवहन सभापति ‘बाल्या’ के कार्यकाल में लिया गया,दोनों एजेंसियों से पूर्व सभापति के मधुर सम्बन्ध सार्वजानिक हैं.
यात्रियों की संख्या घटाई
DIMTS के साथ हुए करार में उन्हें वर्तमान यात्रियों की संख्या को भी बढ़ाना था,लेकिन करार के 5 वर्ष के दौरान और आज की सूरत में यात्रियों की संख्या वर्ष 2016 को लगभग डेढ़ लाख हुआ करती थी और अब मात्र 1.15 लाख प्रति दिन पर आ गई.
36 टिकट चेकर्स किसके ?
विभागीय सूत्रों के अनुसार आपली बस सेवा में 36 टिकट चेकर्स कार्यरत हैं,जिनकी नियुक्ति पूर्व परिवहन सभापति ‘बाल्या’ व आरोपकर्ता के कार्यकाल में किया गया,इनकी नियुक्ति कायदे से DIMTS ने करनी थी,डिम्ट्स के खाते से मासिक भुगतान होना था लेकिन पूर्व परिवहन सभापति ‘बाल्या’ के SELF INTEREST पर मनपा परिवहन विभाग को करनी पड़ी,यह सुझाव भी पूर्व सभापति ‘बाल्या’ को DIMTS ने दिया था.
याद रहे कि पूर्व मनपायुक्त बांगर के कार्यकाल में उन्होंने मोर भवन बस स्थानक पर छापा मारी थी तो DAILY COLLECTION 16 लाख रूपए से सीधा 23/24 लाख पर पहुँच गया था.अर्थात रोजाना की 8 लाख रूपए की चोरी हो रही थी और आज भी हो रही है ? यह सब TICKET CHECKERS के जानकारी में उनके सहयोग से और संभवतः इनके आका के संरक्षण से हो रही होगी,इसके जिम्मेदार कौन ? इस चोरी के राशि के लाभार्थी कौन कौन ? क्या इस गोरखधंधे को संरक्षण देने के लिए पिछले कुछ वर्षों से DIMTS को EXTENSION दर EXTENSION दिलवाई जा रही हैं।
बाधा देना जारी फिर भी प्रशासन निडर !
उल्लेखनीय यह है कि उक्त धांधलियां रोकने के लिए मनपा आयुक्त चौधरी,अतिरिक्त आयुक्त गोयल सह वित्त विभाग,परिवहन विभाग ने नए टेंडर जारी करने के पूर्व के RFP की खामियों को दरकिनार कर ठोस RFP तैयार किया,जिसकी भनक DIMTS के मार्फ़त उनके गुर्गे तक पहुंची और उन्होंने TENDER प्रक्रिया में खामिया निकालते हुए मनपा प्रशासन को गुमराह करने की जीतोड़ कोशिशें की ताकि प्रक्रिया में देरी हो और DIMTS को मनमाफिक EXTENSION मिलता रहे.
DIMTS और नए टेंडर प्राप्तकर्ता में दिखेगा फर्क
DIMTS ने RFP के अनुसार काम करने के बजाय सिर्फ मनपा में राजनीति ही की,इस दौरान कभी प्रशासन तो कभी पदाधिकारियों को मोहरा बनाकर अपना उल्लू सीधा करते रहे.
याद रहे कि DIMTS को सिर्फ प्लानिंग व मॉनिटरिंग के लिए मनपा परिवहन विभाग 1.72 करोड़ रूपए भुगतान कर रही है.मैनपावर कॉन्ट्रैक्ट THIRD PARTY से ली गई हैं जिसके लिए UNITY को मासिक 1.35 करोड़ रूपए भुगतान की जा रही हैं.NMC पाय ROLE पर TICKET CHECKERS है,जिन पर मासिक लगभग 10 लाख रूपए खर्च हो रहे हैं.
DIMTS और UNITY के समन्वयक पूर्व परिवहन सभापति ‘बाल्या’ है आजतक,इसलिए आजतक दोनों ही एजेंसी पर कोई बड़ी कार्रवाई नुकसान करने के मामले में नहीं हुई ,है न आश्चर्य वाली बात !
DIMTS ने बड़ी चालाकी से DIGITAL TICKETING के लिए तैयार किये जाने वाली SOFTWARE निर्माण न कर उसका खर्च बचा लिया।
आज की सूरत में पूर्व परिवहन सभापति ‘बाल्या’ के कार्यकाल से DIMTS को भुगतान AUTOMODE PAYMENT SYSTEM 100% किया जा रहा हैं.
नए TENDER CONDITION के अनुसार WORK ORDER प्राप्तकर्ता को पहले दिन से SOFTWARE DEVELOP कर IMPLEMENT करना होगा,सम्बंधित सभी मशीनें खरीदी कर दिखाना होगा,MANPOWER SUPPLY ( CHECKERS N CONDUCTORS) सीधे तौर पर उपलब्ध करवाना होगा और उससे सम्बंधित सम्पूर्ण जिम्मेदारियां निभानी होगी,साथ ही DIGITAL CARD सेवा भी देनी होगी।
करार के सम्पूर्ण कार्यकाल के लिए तय शुल्क या भुगतान का 60% FIXED और 40% VARIABLE होगा ( शर्ते पूरी करो व भुगतान पाओ प्रणाली)
DIMTS ने भाग नहीं लिया क्यों
जुगाड़ू कर्मियों से लैस DIMTS ने मनपा में प्रवेश तो कर लिया और कागजी हेराफेरी कर आजतक रोटी सकते रहे और सेवा को गुणवत्ता प्रदान नहीं कर पाए,नतीजा आज की वर्त्तमान तज्ञ मनपा प्रशासन ने ऐसी STRONG RFP तैयार की कि TENDER में भाग लेने की जिगर नहीं जुटा पाई,अब सिर्फ अपने मोहरे पूर्व परिवहन सभापति बाल्या बोरकर के कांधों पर बन्दुक रख कर प्रशासन को उनके कामों और उद्देश्यों को पूर्ण न होने दे रही हैं.
दूसरा अहम् मुद्दा यह है कि DIMTS के हटते ही और नए TENDER प्राप्तकर्ता के आते ही रोजाना की लगभग 8 लाख से अधिक की नगदी चोरी,वह भी TICKET CHECKERS के भरोसे होना बंद हो जाएगी तो प्रमुख लाभार्थी को …… लोग कहना शुरू कर देंगे कि अब तेरा क्या होगा कालिया….
अपने पक्ष को राम-राम करने वाले हैं…. क्या ?
उक्त मामले में अकारण अड़चन पैदा करने वाले बस यात्रियों,बस संचालकों,परिवहन-मनपा विभाग और अपने पक्ष के लिए सरदर्द बने हुए हैं,ऐसा हो गया है कि उक्त सभी को मजबूरीवश न घोटते बन रहा और न ही निगलते बन रहा.
लगभग 4 माह पहले उक्त आरोप लगाते हुए उक्त मुद्दा उठाया गया था,तब पक्ष के पदाधिकारी पर भी उंगलियां उठाई गई थी,मामले को गरमाता देख,पक्ष की बदनामी से बचाने के लिए प्रदेशाध्यक्ष ने मध्यस्थता कर आरोप कर्ता पूर्व परिवहन सभापति को उसके मनमाफिक असंवैधानिक पद से नवाजा था लेकिन…… पक्ष व पदाधिकारी को दरकिनार कर पुनः ‘उबलने’ लगे,इस बार यह साफ़ कर दिया कि यह पक्ष व पदाधिकारी के खिलाफ नहीं बल्कि उनका व्यक्तिगत मामला हैं ! बाल्या ने 6 जनवरी 2024 को एक पत्रपरिषद में यह खुलासा किया था कि उक्त मामले से भाजपा या उससे सम्बंधित किसी भी पदाधिकारियों का कोई लेना देना नहीं है,यह उनका व्यक्तिगत मामला है,अब सवाल यह उठता है कि फिर डिम्ट्स के पक्ष में बोरकर आखिर क्यों सक्रिय हैं ? इसका राज जनता -जनार्दन जानना चाहती हैं ?
उल्लेखनीय यह है कि इनका पक्ष और पक्ष के तथाकथित राष्ट्रीय नेतृत्व अक्सर यही कहते फिरते है कि हमारी पक्ष में अनुशासन है,अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी ! क्या इनको भी पक्ष के नीत और पक्ष के मंसूबे के खिलाफ जाने पर पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा ?
या फिर पक्ष को ही ‘जय श्रीराम’ कहने के फ़िराक में हैं ,शायद विरोधी पक्ष से इन्हें अगला चुनाव उनके चिन्ह पर लड़ने का ऑफर मिला होगा….. इसलिए वातावरण तैयार कर रहे हैं ?
सरकारी टेंडर प्रणाली पर उंगली उठाना बेतुका
पूर्व परिवहन सभापति ‘बाल्या’ ने नए बस नियंत्रक(IBTM) के TENDER प्रक्रिया करने वाली सरकारी महा इ-टेंडर ऑनलाइन वेबसाइट पर उंगलियां उठाई,जबकि इससे या इसमें छेड़खानी का या उसमें बदलाव का कोई व्यवस्था ही नहीं हैं.
यह सम्पूर्ण सिस्टम राज्य सरकार की ‘आईटी विभाग’ द्वारा ‘मॉनिटरिंग’ की जाती हैं.इस विभाग से संपर्क करने पर जानकारी मिली कि इ-टेंडरिंग,टेंडर गाइडलाइन,टेंडर मैन्युअल,समय-समय पर जरूरतानुसार क़ानूनी बदलाव आदि का शत-प्रतिशत FOLLOW किया गया हैं.
आरोपकर्ता पूर्व परिवहन सभापति ने नए टेंडर में भाग लेने वाले कंपनियों पर बस संचालन का अनुभव नहीं होने का तथ्यहीन आरोप लगाया गया है,जबकि यह टेंडर बस नियंत्रण करने संबंधी जारी किया गया था,जिस की नियमानुसार आगे की प्रक्रिया अड़चनों के बावजूद जारी हैं.ऐसे आरोपों से यह आभास हो रहा कि इसके पीछे कोई और ‘हाथ’ या ‘कंपनी’ सक्रिय है,जो रेडीमेड मसाला तैयार कर कूदा रही हैं.
आरोपकर्ता व पूर्व परिवहन सभापति बोरकर ने आरोप लगाया कि टेंडर में भाग लेने वाली कंपनी अनुभवहीन है तो उन्हें सुझाव यह है कि वे एक बार मुंबई,बैंगलोर,आसाम,भुवनेश्वर,भोपाल,चेन्नई,इन्दोर शहर का भ्रमण DIMTS के साथ करके आये और वहां के बसों की सेवा का अनुभव लें और उनसे जुड़ी सिस्टम की सूक्ष्म जानकारियां हासिल करें फिर बयानबाजी कर खुद की पीठ थपथपाए।
टेंडर में भाग लेने वाली एक कंपनी से पिछले 4 साल से मनपा परिवहन विभाग बस संचलन मामले में GPS TRACKING आदि तकनीकी सेवाएं ले रही हैं.
टेंडर में भाग लेने वाली कंपनी पर तथ्यहीन आरोप
नए बस नियंत्रण हेतु मनपा परिवहन विभाग ने टेंडर जारी किया,जिसमें ‘चलो एप्प’ और ‘आई ट्राइंगल’ नामक कंपनी ने भाग लिया। दोनों ही कंपनी किसी अन्य शहर में इसी प्रकार के टेंडर में JV की थी,हो सकता है अनुभव नहीं रहा होगा दोनों में से किसी को,फिर अनुभव लेकर आज नागपुर मनपा में एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं.यह कृत गैरकानूनी नहीं है,सरकारी नियमानुसार हो रहा हैं.मनपा की क़ानूनी सलाहकारों की टीम ने भी उक्त आरोपों को बेबुनियाद ठहराया हैं.
उदाहरण के लिए देश में विदेशी कंपनी HONDA व्यवसाय करने के लिए HERO कंपनी से हाथ मिलाई थी,जब HERO कंपनी को अनुभव हो गया तो HONDA से अलग होकर दोनों देश में ही अलग-अलग अपनी-अपनी गुणवत्ता के आधार पर व्यवसाय कर रही हैं.
PENALTY कम कराकर मनपा को नुकसान पहुंचाने की साजिश
TENDER शर्तों के अनुसार किसी दिन कोई बस IBTM की खामियां या वजह से नहीं सड़कों पर दौड़ी तो उसे प्रति बस प्रति दिन 21000 रूपए जुर्माना लगाए जाने का शर्त रखा गया है,जिसका विरोध पूर्व परिवहन सभापति कर रहे हैं.
ज्वलंत सवाल यह है कि एक बस अधिकतम 200 किलोमीटर रोज दौड़ती हैं,जिस पर 75/- प्रति किलोमीटर खर्च और 27/- प्रति किलोमीटर आवक होती है,इस हिसाब से लगभग 20500 रूपए प्रति बस प्रति दिन खर्च/आय को ROUND FIGURE में उसे 21000 रूपए किया गया हैं,इसे कम करवाकर मनपा का नुकसान करने की कोशिश की जा रही है,जो हास्यास्पद हैं.
आरोपकर्ता ने मनपा अधिकारियों सह बस सेवा से जुड़े विशेषज्ञ सलाहकारों पर भी तथ्यहीन आरोप मढ़ उनके कामकाजों में बाधा पहुँचाने की असफल कोशिशें कर रहे है ताकि वे सकते में आये और टेंडर प्रक्रिया ठन्डे बस्ते में जाए और तय रणनीति के तहत पुनः DIMTS को पुनः पुनः EXTENSION मिल जाए और पूर्व की तरह ‘FOOD N DRUG’ की व्यवस्था अगल से होती रहे.
आज का खर्च,नए टेंडर से कहीं ज्यादा
DIMTS का शानदार कार्यकाल में RFP को SIDELINE कर DIMTS मासिक 1.72 करोड़ खुद उठा रही,UNITY भी मासिक 1.35 करोड़ मासिक उठा रही,टिकट चेकर्स पर मासिक खर्च लगभग 10 लाख रूपए,टिकट मशीन/पार्ट्स पर मासिक 10 लाख हो रहा,सॉफ्टवेयर निर्माण और कॉमन मोबिलिटी कार्ड,मैन हैंडलिंग,रूट डिस्प्ले बस स्टॉप पर होने वाली मासिक खर्च 40 लाख रूपए के आसपास बचा लिए.अर्थात आज की सूरत में लगभग 3.75 करोड़ रूपए से अधिक मनपा परिवहन सेवा पर खर्च कर रही हैं और नए टेंडर के तहत पूर्ण RFP को पूरा करने के बाद साढ़े 3 करोड़ के आसपास खर्च किया जायेगा,अगले 5 साल में दरम्यान।
AUTOMATIC SYSTEM पर MANUAL ALLEGATION
राज्य सरकार की ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया में टेक्नीकल,कमर्शियल,फाइनेंसियल,क्वीलिटी आदि पर पॉइंट्स ऑटोमैटिक मिलते है,जिसका जिक्र RFP में बाकायदा किया गया हैं। जैसे जैसे टेंडर प्रक्रिया आगे बढ़ती है,ऑटोमैटिक पॉइंट्स UPDATE होते रहते है.जिसको नियमानुसार समय-समय पर टेंडर कमिटी SCRUTINY करते रहती हैं.इसका रिकॉर्ड PUBLIC DOCUMENT के आधार पर उपलब्ध हैं,जल्द से जल्द SCRUTINY के बाद टेंडर में भाग लेने वालों से सम्बंधित उनके सभी डॉक्यूमेंट ऑनलाइन UPLOAD कर दिए जायेंगे,जिसे इसी माह देखा जा सकता हैं.इसके लिए आरोप कर्ता को तकनीकी सहायता लेनी चाहिए।