लंडन से ‘वाघनख’ भारत में लाने के करार पर हुए हस्ताक्षर; शिवप्रेमियों के लिए यह ऐतिहासिक क्षण – मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

मुंबई :- छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वराज्य स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करनेवाले गनिमी कावा यानि शत्रु को मार गिराने के साजिश का उत्तम उदाहरण रहें वाघनखं (एक शस्त्र) ब्रिटन से भारत आएंगे. इस संबंधित सामंजस्य करार लंडन में किया गया है. शिवछत्रपति के यह ‘वाघनख’ अब सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं, बल कि भारत के सभी शिवप्रेमियों के लिए एक प्रकार से शिवदर्शन ही होगा, यह प्रतिपादन वीडियो कॉन्फरन्स प्रणाली के द्वारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने किया.

व्हिक्टोरिया अँड अलबर्ट म्युजियम के संचालक ट्रायस्टम हंट के साथ ‘वाघनख’ भारत में लाने के करार पर इस दौरान हस्ताक्षर किये गए. इस दौरान सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, उद्योग मंत्री उदय सामंत, सांस्कृतिक विभाग के प्रधान सचिव विकास खारगे, पुरातत्व एवं संग्रहालय के संचालक तेजस गर्गे उपस्थित थे.

यह वाघनख नवंबर 2023 से नवंबर 2026 इस तीन साल की अवधि तक भारत में रहेंगे. यह ‘वाघनखं’ महाराष्ट्र के विभिन्न संग्रहालय में शिवप्रेमी, इतिहासप्रेमी और नागरिकों को देखने के लिए रखे जाएंगे. इसमें सातारा, नागपुर, कोल्हापुर स्थित राज्य पुरातत्व विभाग के संग्रहालयों समेत मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तुसंग्रहालय का समावेश रहेगा.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि सभी शिवप्रेमियों के लिए, समूचे महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के लिए भी आज का यह ऐतिहासिक क्षण है. छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक की 350 वीं वर्षगाँठ समारोह राज्य में बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है. इसी साल हम शिवछत्रपति के पराक्रम का प्रतिक यानि ‘वाघनख’ शिवभूमि में ला रहें है. यह एक अच्छा यानि दूध में शक्कर जैसा पल है. उन्होंने बताया कि शिवकालीन शस्त्रों में ‘वाघनख’ को बड़ा महत्त्व था.

शिवस्पर्श प्राप्त ‘वाघनख’ हमारे लिए अनमोल है. शिवराज्याभिषेक के औचित्य पर सांस्कृतिक कार्य विभाग ने यह अलग संकल्प किया और इसे पूरा भी किया, इस पर विभाग के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और सांस्कृतिक विभाग के उनके सहयोगी सराहना के पात्र है, यह गौरवोद्गार मुख्यमंत्री श्री. शिंदे ने इस दौरान निकाले. इस करार के लिए राज्य के सांस्कृतिक कार्य विभाग, केंद्र सरकार और ब्रिटिश सरकार का अभिनंदन, इन शब्दों में उन्होंने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे दूरदृष्टि रखनेवाले राजा भारत में दूसरा कोई नहीं हुआ. शिवछत्रपति के यह ‘वाघनख’ यानि उनका शस्त्र अब सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं, तो भारत के सभी शिवप्रेमियों के लिए एक तरह से शिवदर्शन ही होगा. शिवप्रताप का स्मरण करानेवाला यह एक अवसर होगा. शिवप्रताप की प्रेरणा लेकर ही हमारी अगली पीढ़ी महाराज के आदर्शों पर आगे बढ़ने की बात उन्होंने कही.

लंडन में ढोल और ताशा की गूंज और ‘छत्रपति शिवाजी महाराज की जय’ इस जयघोष में बहुत स्फूर्ति एवं उत्साह भरे वातावरण में इस करार पर हस्ताक्षर किये गए. इस दौरान इस संग्रहालय के ऐतिहासिक वास्तु को भी मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, मंत्री सामंत और उपस्थितो ने देखा.

छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का 350 वां समारोह प्रारंभ होते ही यह ‘वाघनख’ भारत में वापस लाने का संकल्प मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने किया था. इसके लिए केंद्र सरकार और अंतराष्ट्रीय स्तर पर राज्य सरकार की ओर से निरंतर प्रयास किये जा रहे थे. दि. 15 अप्रैल 2023 को मुंबई में ब्रिटेन के पश्चिम भारत उप उच्चायुक्त अँलेन गँमेल समेत ब्रिटन के राजनीतिक व द्विपक्षीय संबंध उपप्रमुख श्रीमती इमोगेन स्टोन के साथ बैठक लेकर महाराष्ट्र सरकार व्हिक्टोरिया अँड अल्बर्ट संग्रहालय से पत्र-व्यवहार शुरू किया था. सही मायने में आज इन प्रयासों को सफलता मिली है.

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