सौरभ पाटील, प्रतिनिधी
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मनुस्मृति में महिलाओं को अधिकार नही थे जो बाबासाहब आंबेडकर ने दिए -विश्रांती रामटेके
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वाड़ी :-25 दिसम्बर दलितों के लिए “मनुस्मृति दहन दिवस” के रूप में अति महत्वपूर्ण दिन है। इसी दिन ही सन 1927 को “महाड़ तालाब” के महा संघर्ष के अवसर पर डॉ बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने खुले तौर पर मनुस्मृति जलाई थी।इसी दिन को याद करते हुए रविवार को महिला वंचित बहुजन आघाडी ने नवनीत नगर वाड़ी में मनुस्मृति दहन दिवस मनाया।मनुस्मृति का दहन किया गया।
इस अवसर पर दवलामेटी सरपंच रीता उमरेडकर, वंचित बहुजन आघाडी महिला जिलाध्यक्ष विश्रांती रामटेके, जिला उपाध्यक्ष राजेश जंगले, अतुल शेंड,गणेश नितनवरे,भूषण सोमकुंवर , म्हानंदा राऊत, लता महेसकर ,रेखा धुपे, साधना नितनवरे, माधुरी खोब्रागड़े, सुनीता बोरकर,माया रामटेके, निमस्कर प्रमुखतासे उपस्थित थे।अपने भाषण में विश्रांती रामटेके ने कहा कि डॉ आंबेडकर के मनुस्मृति जलाने के कार्यक्रम को विफल करने के लिए सवर्णों ने यह तय किया था कि उन्हें इस के लिए कोई भी जगह न मिले परन्तु एक फत्ते खां नाम के मुसलमान ने इस कार्य हेतु अपनी निजी ज़मीन उपलब्ध करायी थी। मनुस्मृति ने महिलाओं को अधिकार नही था बाबासाहब ने इसे जलाकर नष्ठ किया व संविधान में महिलाओ को अधिकार दिए।आज महिला हर क्षत्र में है वह बाबासाहब आंबेडकर की मेहरबानी है।कार्यक्रम का आयोजन वंचित बहुजन आघाडी ने किया।