– 31 दिसंबर के पूर्व विदर्भ राज्य बनने की विदर्भवादियों को आशा
नागपुर :- विदर्भ राज्य आंदोलन समिति ने मिशन 2०23 अंतर्गत ‘विदर्भ लेकर रहेंगे इस बार’ की घोषणा की थी. इसके अनुसार संपूर्ण विदर्भ में तीव्र आंदोलन किया गया. इसके बाद भी केंद्र सरकार ने इस मांग की उपेक्षा की. इसलिये अब विदर्भवादी दिसंबर माह में तीन आंदोलन करने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2०23 के पूर्व स्वतंत्र विर्छीा राज्य की घोषणा करें, इसके लिये समिति द्वारा दबाव ड़ालने का प्रयास शुरू किया है.
इस निर्णय के अनुसार 14 दिसंबर को सुबह 1० बजे महाराष्ट्र-छततीसगड की सीमा पर गड़चिरोली जिले के कोरची तहसील के दुर्गम क्षेत्र के बोटेकसा इस गांव की सडक़ पर रास्ता रोको आंदोलन किया जायेगा. इस तरह विदर्भ की विभिन्न समस्या की आरे ध्यान आकर्षित करने 2० दिसंबर को अकोला में विदर्भ संकल्प मेला आयेाजित किया गया है. नागपुर में शीतकालिन सत्र शुय है. अंतिम सप्ताह में 27 दिसंबरको देापहर 12 बजे से संविधान चौक में आमरण अनशन शुरू किया जायेगा.
इस आंदोलन में विराआंस के अध्यक्ष पूर्व विधायक एड. वामनराव चटप, दैनिक देशोन्नती – राष्टप्रकाश के मुख्य संपादक व लोकनायक प्रकाश पोहरे, महिला मोर्चा की अध्यक्ष रंजना मामर्डे, पूर्व विदर्भ अध्यक्ष अरुण केदार, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश मासुरकर व गोंदिया स्थित दैनिक कशीशचे के संपादक एड. वीरेंद्रकुमार जयस्वाल सहित विदर्भ के सभी प्रमुख पदाधिकारी व कार्यकर्ता इस आमरण अनशन आंदोलन में शामिल होनेवाले है. इस तरह इस दिन विदर्भ के सभी 11 जिलों में आंदोलन किया जायेगा, ऐसी जानकारी एड. वामनराव चटप व प्रकाश पोहरे ने गुरुवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी.
फिलहाल संसद का शीतकालिन अधिवेशन शुरू होकर वह 2 जनवरी तक चलेगा. इस अधिवेशन में केंद्र सरकार ने स्वतंत्र विदर्भ राज्य के निर्मिती की घोषणा करें, इसके लिये संविधान की धारा 3 के तहत केंद्र सरकार को विवश करने के लिये दबाव गुट के रूप में यह आंदोलन किया जा रहा है. ‘करेंगे अथवा मरेंगे’ ऐसी घोषणा समिति ने की थी. इसलिये अब मरने के लिये भी हम तैयार होने की भूमिका संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित नेताओं ने रखी.
संवाददाता सम्मेलन में डॉ. श्रीनिवास खांदेवाले, रंजना मामर्डे, अरुण केदार, मुकेश मासुरकर, प्रभाकर कोंडबत्तुनवार, तात्यासाहेब मते, गुलाबराव धांडे, नरेश निमजे, रेखा निमजे, एड. मृणाल मोरे, विष्णुपंत आष्टीकर, ओमप्रकाश तापडीया, विठ्ठलराव मानेकर आदि समिति के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे.