नागपुर :- रामटेक स्थित पौराणिक इतिहास की विरासतवाले गडमंदिर के विकास काम न होने से रामटेक का महतव जरा भी कम नही हुआ है. परंतु तीर्थक्षेत्र विकास प्रारूप के अनुसार पर्यटक व्यवस्था, स्वच्छतागृह, मुत्रीघर, रोजगार वृद्धि के लिये आवश्यक उपाययोजना न होने से अपेक्षित व्यवसाय नही बढ़ा और उसके द्वारा खत्म होनेवाली बेरोजगारी दूर नही हुई. इसलिये मानव विकास निर्देशांक कम रहा. अब तो भी इस गड़ मंदिर का यह वनवास खत्म होगा क्या?, ऐसा सवाल उपस्थित होने लगा है.
रामटेक परिसर प्राकृतिक साधन संपत्ति से सजा हुआ है. प्रभू श्रीरामचंद्र के पदस्पर्श से यह परिसर पवित्र हुआ है. यहां उनकी पादुका भी 15०० वर्ष पूर्व के वाकाटक राजे और बाद के राजाओ ने इन पादुकाओं का भक्तिभाव से जतन किया. कवि कुलगुरू कालिदास जैसा विद्वान भी यहां की सुंदरता से और पवित्रता से अचंबित हुआ. यहां श्रीराम, सीता व लक्ष्मण के मंदिरों सहित ऐतिहासिक त्रिविक्रम, वराह, केवल नृसिंह, रुद्र नृसिंह, भोगराम, गुप्तराम के भी मंदिर है. यहां पवित्र अंबाला तालाब भी है. इन सभी का विकास हो और रामटेक में आया पर्यटक, तीर्थयात्री को संतोष मिले इसलिये महाराष्ट्र सरकार ने 21 मई 2०18 को तीर्थक्षेत्र विकास प्रारूप को मंजुरी दि. इसके पूर्व तत्कालिन विधायक आनंदराव देशमुख के कार्यकाल में भी 15० करोड़ का प्रारूप मंजूर हुआ था. परंतु, विकास नही हो सका. 21०8 के प्रारूप के अनुसार पहले चरण में 49.28 कराड के काम को प्रशासकीय मंजूरी मिली. परंतु , विगत पांच वर्षांे से एकभी मुत्रीघर शुरू नही हुआ. भक्तनिवास, ज्ञानसाधना केंद्र के काम कछुआ गति से शुरू है. रोप वे, बगिचे, म्युजिकल फाउंटेन, पीने का पानी, प्रसाधनगृह, सुंदर पथदिप, आकर्षक प्रवेशद्वार व अन्य अनेक सौंदर्यीकरण के लिये राशि अभी तक नही मिली. इसलिये कालिदास स्मारक की दुरावस्था हुई है. बगिचे, म्युजिकल फाउंटेन, विद्युत रोषणाई बंद पडी है