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नागपुर :- प्रन्यास की अनुमति के बिना प्लॉट के हस्तांतरण और बेचे जाने के मामले में मामला दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रशांत कामडी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
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मामला काफी गंभीर होने के कारण लंबी बहस के बाद हाई कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका ठुकरा दी. अभियोजन पक्ष के अनुसार प्रन्यास के अधिकारी प्रीतेश बंसोड ने पूरे मामले को लेकर रिपोर्ट दर्ज की थी. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि वाठोडा स्थित खसरा नंबर 157 में कुल 19.10 एकड़ भूमि है जिसका स्वामित्व प्रन्यास के पास है. वर्ष 1969 में कृषि उपयोग के लिए महिपत शेंद्रे, गजानन शेंद्रे, यशोदाबाई शेंद्रे और सरजाबाई बावनकर के नाम 19 फरवरी 1969 से लेकर 31 मार्च 1999 तक 30 वर्ष के लिए पंजीकृत लीज डीड कर पट्टे पर जमीन आवंटित की गई.
अलग-अलग व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी
-उक्त भूमि की चंद्रकांत शेंद्रे के पक्ष में फिर से 30 वर्ष के लिए 2029 तक लीज की अवधि बढ़ाई गई जिसके बाद गजानन शेंद्रे और उनके परिवार के सदस्यों ने 1 अक्टूबर 2002 को 4.16 हेक्टेयर (10.27 एकड़) भूमि सतरंजीपुरा निवासी शेख महमूद नामक व्यक्ति के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी.
इसी तरह से यशोदा बोंद्रे और सरजा बावनकर ने भी 19.10 एकड़ में से 2.20 एकड़ भूमि धर्मदास रमानी के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी जिसे रमानी ने 31 दिसंबर 2014 को शेख महमूद के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी. फिर शेख महमूद ने उक्त भूमि पर लेआउट बनाकर कई लोगों को प्लॉट बेच दिए.
71.04 करोड़ की धोखाधड़ी
– आरोपों के अनुसार महिपत शेंद्रे के पुत्र प्रेमचंद शेंद्रे ने भी 19.10 एकड़ में से 1.59 हेक्टेयर भूमि विकसित की. मुकुंद व्यास नामक सह-अभियुक्त के साथ मिलकर आवासीय भूखंडों को अलग-अलग व्यक्तियों को बेच दिया.
– इस तरह से प्रन्यास की अनुमति लिए बिना ही उसके स्वामित्व वाली पूरी जमीन के व्यारे-नारे कर दिए गए. जमीन को विकसित कर प्लॉट बेचकर प्रन्यास के साथ 71,04,82,080 रुपए की धोखाधड़ी की गई है.
– सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि मूल पट्टाधारकों के पक्ष में पट्टे के अधिकार को हस्तांतरित करने के अधिकार थे. जहां तक वर्तमान याचिकाकर्ता प्रशांत कामडी का सवाल है, वह रमेश कामडी का बेटा है जिसके पक्ष में पावर ऑफ अटॉर्नी हुई थी.
– जिसके आधार पर प्रशांत ने खंडों का कब्जा खरीददारों को सौंपा है. इसके लिए प्रशांत को कस्टडी में लेकर पूछताछ की आवश्यकता नहीं है. ऐसे में जमानत देने की गुहार अदालत से लगाई गई.
81 प्लॉटों की धांधली, सरकारी पक्ष का कड़ा विरोध
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि महिपत शेंद्रे और अन्य ने प्रशांत कामडी के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी की थी. जांच के दौरान कई दस्तावेज जब्त किए गए जिसके अनुसार याचिकाकर्ता प्रशांत द्वारा सीमा गुप्ता और अन्य 80 व्यक्तियों को प्लॉट का कब्जा दिए जाने की पुष्टि हुई है. यहां तक कि सभी दस्तावेज नोटरीकृत दस्तावेज हैं. दस्तावेजों के अनुसार यह स्पष्ट है कि संबंधित भूमि में से 80 भूखंडों का कब्जा अलग-अलग व्यक्तियों को सौंपा गया है. दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट है कि प्रशांत ने स्वयं को प्लॉट का मालिक होने का दावा किया है. कब्जे की रसीदों से यह भी पता चलता है कि याचिकाकर्ता ही मास्टर माइंड है. सुनवाई के बाद अदालत ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने से इनकार कर दिया.