‘अमेजिंग ब्रिलियन्स – 2022 – पुरस्कार’ – डॉ. प्रशांत गायकवाड के नाम एक ओर कीर्तिमान’

नागपुर :- शहर के नामचीन संगीत शिक्षक और ज्योतिषाचार्य, गिनीज वल्र्ड रिकार्ड धारक, राष्ट्रपति द्वारा सन्मानित डॉ. प्रशांत मनोहरराव गायकवाड को किंग्स बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड और एक्सक्लुसिव्ह वर्ल्ड रिकार्ड अंतर्गत ‘अमेजिंग ब्रिलियन्स – 2022 पुरस्कार’ से हाल ही में सम्मानित किया गया.

डॉ. प्रशांत गायकवाड़ ने पुरस्कार को अपने गुरु स्व. पद्मविभूषण पंडित किशन महाराज और पंडित अभिजीत कुमार मजुमदारजी को समर्पित किया, डॉ. गायकवाड़ द्वारा वर्ष 2009 मे लगातार 324 घंटे लंबे समय तक तबला बजाने का गिनीज वल्र्ड रिकार्ड दर्ज है। इतना लंबा समय भी अद्भुत है। इस रिकार्ड को आज तक कोई नहीं तोड़ पाया इसलिए एक्सक्लुसिव्ह वल्र्ड रिकार्ड्स तथा किंग्स बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की ओर से यह पुरस्कार दिया गया.

22 दिसंबर 2018 से 27 दिसंबर 2018 के दौरान डॉ. प्रशांत गायकवाड़ ने गुवाहाटी असम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 47 देशों के लोगों को एक साथ भारतीय कला, संस्कृती, संगीत, ज्योतिष और विज्ञान का प्रशिक्षण दिया, इसलिए इन्हें अमेजिंग ब्रिलियन्स 2022 का सम्मान दिया गया। डॉ. गायकवाड़ की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है जिनमें राष्ट्रपति सम्मान, लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड, नागपुर भूषण, संगीत रत्न अवार्ड, नौशाद अली अवार्ड, महाराष्ट्र नवरत्न सम्मान, वल्र्ड बुक रिकार्ड, राजरत्न पुरस्कार, मोदी रत्न पुरस्कार, मानवाधिकार रत्न पुरस्कार, भारतीय कलाश्री पुरस्कार,इंटरनॅशनल इंडियन आयकॉन जैसे अनेक राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय पुरस्कारों की लंबी सूची है।

डॉ. प्रशांत गायकवाड़ की यह उपलब्धिया उनको,उनका अथक प्रयास, कठीन परिस्थितियों से संघर्ष, लक्ष्य के प्रति जुनून से मिला है। उनके पिताजी श्री मनोहररावजी गायकवाड़ नागपुर के प्रसिद्ध हार्मोनियम निर्माता थे, जिनके उत्पाद देश – विदेश में भेजे जाते थे । राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हुआ था। उन्होंने अपना पहला हारमोनियम तुकड़ोजी महाराज को भेट स्वरूप दिए थे।

मनोहरराव जो भी कमाते थे वे गरीबों की भलाई में खर्च कर देते थे, इसी कारण वश वे निर्धन रह गए। डॉ गायकवाड़ की माताजी उषा गायकवाड, केशवराव रोकडे की बेटी थी जो पंचम रघुजी राजे भोसले के दरबार में पहलवान थे और जिन्हें हजरत ताजुद्दीन बाबा ओलिया का आशीर्वाद मिला था। डॉ. गायकवाड़ का बचपन का जीवन काँटो भरा रहा पाँचवी से स्नातकोत्तर की पढाई आर्थिक परिस्थिति दयनीय होने के कारण अंधेरे में की। बाल्यावस्था में उन्होंने मिट्टी उठाना, कुएँ खोदना, रिक्शा चलाना, फर्निचर का काम करने से लेकर होटल में वेटर की नौकरी तक की। मिट्टी का कच्चा मकान होने के कारण छत भी बार-बार गिर जाती थी। फीस ना भरने के कारण उनकी एल. एल. बी की पढ़ाई छूट गई। किंतु जिन्हें अपने लक्ष्य और मंजिल का पता होता है और जो लगातार संघर्ष करते है उनके कदम जहाँ भी पड़ते है वहाँ रोशनी अपने आप होती है। डॉ. प्रशांत गायकवाड आज बी.ए बी.कॉम, बी.एम.सी. संगीत प्रभाकर, संगीत अलंकार एम एफ .ए., नेट, पीएचडी., डी. लिट (संगीत), एम.ए (वेदांग ज्योतिष) तथा भारत सरकार की सिनियर फेलोशिप प्राप्त है। आज उच्चशिक्षित होने के साथ ही कई लोगों( 24,000) को मुफ्त में संगीत की शिक्षा दे चुके हैं। कुछ दिनों पूर्व ही ब्रह्मकुमारी आर्ट एंड कल्चर विंग द्वारा आयोजित “संस्कृती के संरक्षक”,डॉ प्रशांत गायकवाड का कार्यक्रम 150 देशों में एक साथ ऑनलाइन प्रसारित किया गया। उनके विद्यार्थी देश और विदेशों में फैले हुए है। डॉ. गायकवाड़ ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के ब्रांड एम्बेसेडर हैं। इनके अंतर्गत उन्होंने 4 लाख लड़कियों को विभिन्न सेमिनार, वर्कशॉप, प्रशिक्षण द्वारा मार्गदर्शन किया है।

उनकी उपलब्धियों पर दो लोग पीएचडी कर रहे हैं और फिल्म निर्देशक आनंद शिंदे (उमरखेड)द्वारा उनके जीवन पर फिल्म बन रही है। डॉ. प्रशांत गायकवाड़ नागपुर शहर के होने के कारण नगर वासियों को उनपर गर्व है। दुष्यंत कुमार की पंक्ति ‘कौन कहता है, आसमां में सूराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो उन्होंने सार्थक की है। आज वे अपने संघर्षमय जीवन के लिए लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्त्रोत बन गए है।

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