नागपुर :- चुनाव के पूर्व महादेव ऐप को लेकर बीजेपी ने कुछ माहौल बनाया. सत्ता पाने के लिए कुछ भी आरोप प्रत्यारोप करते रहे. लेकिन अब बीजेपी सत्ता में है, लेकिन महादेव को भूल चुकी है. जबकि मैंने सट्टा ऐप महादेव के खिलाफ मैंने 90 एफआईआर दर्ज कराई थी और 900 लोगों को गिरफ्तार करवाया था इसके बाद भी छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन हुआ. आरोप लगाकर सत्ता में काबिज होने वाले लोग अब इसे ‘मोदी ऐप’ मान बैठे हैं. 8 माह बाद भी इस ऐप के संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. यहां तक तक जांच भी बंद हो गई है. संभव है ऐप संचालकों से डबल इंजन वाली सरकार को ‘डबल आय’ हो रही होगी. उक्त आरोप छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लगाये.
बघेल ने कहा कि जब ऐप इतना खतरनाक था, तब सत्ताधारी चुप्पी क्यों साधे हुए हैं. यह समझना बहुत कठिन नहीं है. वित्त मंत्री कार्रवाई करने की जगह 18 फीसदी जीएसटी वसूली करने में लगी है. बदनाम कर सत्ता तक पहुंचने की उनकी सोच छत्तीसगढ़ की जनता को भी यह समझ में आ गया है. उन्हें अब भी भरोसा नहीं हो रहा है कि छत्तीसगढ़ में आखिर बीजेपी जीत कैसे गई है. सारे तथ्य उनके खिलाफ थे. लोगों के वोट भी, परंतु परिणाम संपूर्ण राज्य के लोगों को आश्चर्य में डाल दिया है. ‘भाभी’ के हाथ में कमान
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सत्ता कौन चला रहा है यह राज्य की जनता के लिए पहेली है. मुख्यमंत्री के कई दावेदार हैं. मुख्यमंत्री के रूप में कई मंत्री खुद का दावा पेश करते हैं, तो कभी पदाधिकारी सामने आकर आदेश देने लगते हैं. कुछ लोग झारखंड से आकर सत्ता चलाने की कोशिश कर रहे हैं. दिल्ली के लोग अलग से दावा करते हैं. लेकिन कुछ दिन पूर्व ‘भाभी’ का एक बयान आया, इससे स्पष्ट हो गया है कि सत्ता का कमान ‘भाभी’ के हाथ में है.
महाराष्ट्र ने दिखाई राह
उन्होंने कहा कि मोदी का भष्टाचार अब सब को समझ में आने लगा है. देश के दो बड़े राज्य महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश की जनता ने उन्हें आइना दिखाने का काम किया है. इससे वे डर गए हैं. यही कारण है कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ कराने की बात करने वाले हरियाणा और महाराष्ट्र में एक साथ चुनाव कराने से कतरा रहे हैं. उन्हें परिणाम मालूम है और डरे हुए हैं. दोनों राज्यों ने पूरे देश को राह दिखाने का काम किया है. इस अवसर पर विधायक विकास ठाकरे, विशाल मुत्तेमवार, प्रदेश महासचिव अतुल कोटेचा प्रशांत धवड उपस्थित थे.
सेबी का मामला सुमोटो ले सुप्रीम कोर्ट
बघेल ने कहा कि मोदी सरकार नियम कानून को तोड़ मरोड़ कर, लोगों को डरा धमका कर, छल कपट कर देश की संपत्ति केवल और केवल अडानी को देने का काम कर रही है. यह देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है. आज बंदरगाह, एयरपोर्ट, सीमेंट, बिजली पर अडाने का एकाधिकार होता जा रहा है. मोदी सरकार ने अडानी को न सिर्फ देश में बल्कि श्रीलंका, बांग्लादेश और इजराइल में भी फैलाने के लिए काफी मेहनत की. उनसे स्पर्धा करने वालों पर ईडी, आयकर, डीआरआई की ओर से कार्रवाई हो रही है और फिर तत्काल उस इकाई, समूह को अडानी खरीद ले रहा है. इसी प्रकार अडानी को बचाने के लिए अडानी की सहयोगी माधवी पूरी बुच को सेबी का प्रमुख बनाया गया. यह जगजाहिर है. बुच का संबंध अडानी से है. उन पर कई आरोप लगे हुए हैं. पूरा विपक्ष जेपीसी जांच की मांग कर रहा है, लेकिन मोदी सरकार इन मुद्दों पर खामोश है. तमाम विरोध को दरकिनार कर देश को संकट की ओर धकेला जा रहा है. 30 करोड़ निवेशकों के जीवन को खतरे में डाला जा रहा है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने सेबी मामले में 2 माह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था. 8 माह हो गए, रिपोर्ट सामने नहीं आई है. इससे यही लगता है कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट को खुद संग्यान में लेना चाहिए और देश के हित में एक बार जांच कर दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहिए.
पड़ोसी देशों पर भी दबाव
मोदी देश के अंदर ही नहीं बल्कि पड़ोसी देशों में भी अडानी को फायदा पहुंचाने पर जोर दे रहे हैं. बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति के लिए ऑस्ट्रेलिया से कोयला आयात कर केवल अडानी की कंपनी से बिजली खरीदने की अनुमति दी गई. कोलंबो, श्रीलंका में अपशिष्ट कंटेनर टर्मिनल को 35 वर्षों के लिए पट्टे पर देना. इसके लिए अडानी ने पोर्टस के साथ साझेदारी की. इस साझेदारी को ‘सरकार से सरकार’ कहकर अडानी को नियंत्रण दे दिया गया. मोदी ने श्रीलंका में ही मन्नार में पवन ऊर्जा परियोजना के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पर दबाव डाला. बघेल ने यह भी आरोप लगाया कि अडानी की कंपनी को इजराइल से रक्षा उपकरण खरीदने के लिए अधिकृत किया गया था.