पंचपरिवर्तनयुक्त भारत के उद्भव की आवश्यकता – श्रीधरराव गाडगे

– चिखली में विदर्भ प्रांत संघ शिक्षा वर्गका समापन

चिखली :- कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संतुलन, सामाजिक समरसता, स्व आधारित व्यवस्था निर्मिती एवम् नागरिक शिष्टाचार और कर्तव्य पालन द्वारा हम सभी को पंचपरिवर्तनयुक्त भारत का उद्भव करना आवश्यक है ऐसा प्रतिपादन प्रांत सहसंघचालक श्रीधरराव गाडगे इन्होंने किया। चिखली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विदर्भ प्रांत ‘संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य)’ के समापन अवसर पर वे बोल रहे थे।

शनिवार, 1 जून को सायं 6.30 बजे तालुका क्रीडा संकुल में आयोजित प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह के दौरान मंच पर प. पू. परमहंस परिव्राजकाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी हरिचैतन्यानंद सरस्वती महाराज, वर्ग के सर्वाधिकारी राजेश लोया और तालुका संघचालक शरद भाला इनकी प्रमुख उपस्थिती रही।

संबोधन में श्रीधरराव गाडगे ने बताया कि, परिवारों के संस्कारक्षम वातावरण में दरारें पैदा हो रही हैं, संवादहिनता बढ़ रही है। इस स्थिती को बदलने हेतु कुटुंब प्रबोधन बड़े पैमाने पर होना चाहिए। जाती आधारित विषमता को समाप्त करने हर किसी को सामाजिक समरसता अपने आचरण में लानी होगी। आत्मनिर्भर भारत के निर्मिती हेतु, स्वदेशी एवम् स्वावलंबन का भाव समाज में जगाना होगा।

हिंदुत्व का अर्थ सब में उपस्थित मूल्य, संस्कृती, विचार तथा देश के प्रती निष्ठा ऐसा है। संघ हिंदुत्व का विचार आचरणद्वारा प्रसारित करने का काम कर रहा है, ऐसा बताकर, संघ की शताब्दी की दिशा में जारी प्रवास का संदर्भ देते हुए श्रीधऱराव गाडगे ने कहा कि, संघने आज तक के प्रवास में अनेक चढउतार देखे हैं। इस द्वारा अनुभव प्राप्त हुआ। अनेक अडचनोंपर मात करते हुए संघ मार्गक्रमण करते हुए आगे बढ़ता रहा। विषाक्त वातावरण से बाहर निकला। अनेक कार्यकर्ताओंका संघ द्वारा निर्माण हुआ। अपने राष्ट्र को बड़ा बनाने के उद्देश से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सतत प्रयत्नशील रहा है। किंतु, यह कार्य केवल संघ ने नहीं अपितु, संपूर्ण समाज ने करना चाहिए। वर्ष 2025 यह संघ का शताब्दी वर्ष है। इस पृष्ठभूमीपर समाज माध्यमों द्वारा संभ्रम फैलाने वाले दुर्जनोंके विरुद्ध सज्जनशक्ती खड़ी होनी चाहिए। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी ये मानव द्वारा निर्मित हैं। प्रौद्योगिकी का उपयोग विवेकपूर्ण होना चाहिए।

संघ राष्ट्रभक्त निर्माण करने वाला व्यासपीठ

इस अवसर पर अपने संबोधन में स्वामी हरिचैतन्यानंद सरस्वतीजी महाराज ने कहा कि, ‘’राष्ट्र के प्रती समर्पण, त्याग एवम् प्रेम ये भाव संघ स्वयंसेवकों में विद्यमान रहते ही हैं। इस प्रशिक्षण वर्ग से स्वयंसेवक को प्रेरणा प्राप्त होती है । यहां को शिक्षा प्राप्त हुई उसकी खुशबू स्वयंसेवक अपने आसपास के लोगों को और मित्रों को दें। संघ यह राष्ट्रभक्त निर्माण करनेवाला विश्वविद्यालय है और स्वयंसेवक राष्ट्र जोडने के कार्य में लीन हैं।’’

इस अवसर पर प्रशिक्षण वर्ग के स्वयंसेवकोने दंड, नियुद्ध, सामूहिक समता, आसन, घोष, व्यायाम योग आदीं के प्रात्यक्षिक प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का प्रास्ताविक वर्गके सर्वाधिकारी राजेश लोया ने किया। परिचय तथा आभार प्रदर्शन प्रांत सहकार्यवाह अजय नवघरे ने किया। इस अवसर पर चिखली शहर तथा परिसर में आए स्वयंसेवक और नागरिक बंधू-भगिनी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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