मोहर्रम का चांद नजर आते ही मजलिसो मातम का सिलसिला शुरू,यौमे आशूरा पर 29 जुलाई को विशाल ताजियों के साथ निकलेगा मातमी जुलूस

संदीप कांबळे, विशेष प्रतिनिधी 

कामठी :- हजरत मोहम्मद (स,अ,व) के नवासे हजरत ईमाम हुसैन (अ,स) और उनके 72 साथियों की कर्बला (ईराक) की धरती पर यादगार शहादत की याद में मनाये जाने वाले गम के पर्व मोहर्रम के कार्यक्रम की शुरुआत 19 जुलाई को मोहर्रम महीने के चांद नजर आते ही कामठी के हुसैनाबाद परिसर के इमाम बाड़ा, हैदरी मस्जिद, हैदरी चौक दरगाह मौला अली, जाफरी मस्जिद, न्यू कामठी आदि स्थानों पर अलम-ए-मुबारक के लहराने के साथ ही मोहर्रम कार्यक्रम की शुरुआत हो गई।

मोहर्रम कार्यक्रम के अंतर्गत 19 जुलाई से 29 अगस्त तक रोजाना रात 9 बजे से ईमाम बाड़ा हुसैनाबाद में मौलाना अली शबीह अहसन काजमी की मोहर्रम और इमाम हुसैन की शहादत से संबंधित तकरीर जारी है। दिन भर हुसैनाबाद भोईपूरा, नया बाजार, फूल ओली, न्यू कामठी, येरखेडा में मजलिसो मातम का सिलसिला जारी है। रात की मजलिस के बाद रोजाना मातमी जुलूस निकाला जा रहा है। मोहर्रम की सात तारीख बुधवार 26 जुलाई को शाम 4 बजे हैदरी ईमाम बाड़े से जूलसे गम निकलेगा, जो कोतवाल बाडे का भ्रमण कर वापस हैदरी इमाम बारगाह पर देर रात समाप्त होगा। मोहर्रम का मुख्य जूलूस शनिवार 29 जुलाई को ईमाम हुसैन और 72 साथियो की शहादत के दिन यौमे आशूरा के अवसर पर हुसैनाबाद इमाम बाड़ा हैदरी चौक से सुबह 10 बजे विशाल ताजियो के साथ जुलसे अजा निकलेगा।

यह जुलूस हैदरी चौक, मेन रोड होता हुआ दोपहर 2 बजे जूनी कामठी पुलिस स्टेशन पहुंचेगा जहां मौलाना शबीह अहसन काजमी करबला की घटना पर आधारित तकरीर करेंगे। तकरीर के फौरन बाद तलवारो और जंजीरों से मातम होगा। जूलूस मातम करता, नौहा पढता भाजीमंडी होता हुआ करबला नदी (गाड़ेघाट) पहुंच कर रात 9 बजे वापस हैदरी मस्जिद परिसर पर समाप्त होगा। फिर शामे गरीबां की मजलिस होगी। इसी के साथ मोहर्रम का मुख्य कार्यक्रम समाप्त होगा परंतू आने वाले दो माह तक मोहर्रम के कार्यक्रम शुरू रहेगे। सभी कार्यक्रम में शामिल होने की अपील धार्मिक संस्था शिया असना असरी के अध्यक्ष कल्बे हसन जाफरी, सचिव इसरारूल हसन सहित सभी सदस्यों ने की है। सभी मजलिसो में मर्सिया ख्वानी अशरफअली शहंशाह हुसैन व हमनवा और नवाब मुजफ्फर अली व फोरात हुसैन करेंगे। इस के साथ ही शहर व ग्रामीण भागों मे अलग अलग समुदाय के लोग भी अपने स्तर पर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए “सवारी’ उठाने के साथ ही अलाव पर चलना अनेक दरगाहों पर तकरीर, अनेक स्थानों पर शरबत, खिचड़ी वितरण कार्यक्रम करते हैं। कामठी में मोहर्रम कार्यक्रम देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

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