तस्करी से लड़ने में सामूहिक प्रयास एवं सहायता महत्वपूर्ण – उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

नागपूर और अमरावती में मानव तस्करी की रोकथाम पर महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग का अभियान

नागपूर :- “मानव तस्करी खून से भी खतरनाक अपराध है। यह नशे के कारोबार से भी बड़ा संगठित अपराध है। बिन सरहदों के इस अपराध से लड़ने एक बड़ा सामाजिक आंदोलन खड़ा करना होगा और उसे न्यायव्यवस्था की ताकत से मज़बूत भी करना होगा। यह मुद्दा सरकार के लिए महत्वपूर्ण है।”, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ‘यौन शोषण हेतु होने वाली महिलाओं की तस्करी’ विषय पर महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग तथा ‘एक्ट’ संगठन के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि कहा।

राज्य महिला आयोग की नियोजित छह संगोष्ठियों में से पहली संगोष्ठी मंगलवार को वनमति के सभागार में संपन्न हुई। मानव तस्करी की समस्या से लड़ने के लिए राज्य महिला आयोग ने एक्ट संगठन से साझेदारी कर ली है। इस संगोष्ठी की प्रशंसा करते हुए फडणवीस ने सभी सरकारी विभागों और गैरसरकारी संगठनों में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया की राज्य भर में तस्करी पीड़ितों के लिए पचास ‘शक्ति सदन’ बनाने के लिए ज़रूरी प्रावधान हालिया बजट में कर दिए हैं।

कार्यक्रम की निमंत्रिका तथा राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा रुपाली चाकणकर, नागपुर के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार, रिटायर्ड आईपीएस डॉ पी एम नायर तथा विपला फाउंडेशन की नंदिनी ठक्कर ने संगोष्ठी को सम्बोधित किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना राज्य महिला आयोग की सदस्या आभा पांडेय ने की। अपर्णा कोल्हे, विभागीय उपयुक्त, महिला बाल कल्याण मंच पर उपस्थित थीं। इस संगोष्ठी में हुए मंथन में तय हुआ की मानव तस्करी की रोकथाम तथा दोषियों पर क़ानूनी कारवाई को मजबूती देने हेतु राज्य महिला आयोग के नेतृत्व में ज़िले के स्तर पर समितियां बनाई जाएँगी ।

” यौन तस्करी दुनिया भर में एक भीषण समस्या है, जो औरतों और बच्चों को प्रभावित करती है। संगठित अपराध करने वाले गिरोह इसे चलाते हैं। राज्य महिला आयोग और ‘एक्ट’ का साझा प्रयास यौन तस्करी पर नकेल कसने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। “, महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा रुपाली चाकणकर ने कहा।

तस्करी के लिहाज़ से नागपुर और अमरावती संवेदनशील ज़िले हैं। केंद्रीय स्थान और यातायात की सुविधाएं नागपुर को तस्करी का बड़ा केंद्र बनाती हैं। हाल में अमरावती में भी तस्करी के, विशेष रूप से ऑनलाइन तस्करी के मामले बढे हैं। इन दोनों ज़िलों में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करने की संभावित रणनीतिओं पर संगोष्ठी में मंथन हुआ। इस दौरान डॉ पी एम नायर ने सरकारी विभागों के साथ ही गैरसरकारी संगठनों और समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की।

यौन तस्करी के बदलते प्रारूप को देखते हुए मौजूदा कानूनों का इस्तेमाल प्रभावी ढंग से होगा, तभी न्याय व्यवस्था सुचारु हो पायेगी। दोषियों को सज़ा मिले और पीड़ित को कानूनी लड़ाई लड़ने का हौसला मिले यह अंतिम लक्ष होना चाहिए , गणमान्य सदस्यों ने अपने विचार रखे। इंटरनेट और सोशल मिडिया का यौन तस्करी में बढ़ता उपयोग – खास तौर पर कोविड के बाद – संगोष्ठी के केंद्र में रहा। इस समस्या से पार पाना बहुआयामी रणनीति और समन्वय के द्वारा संभव है, विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर तकनिकी जानकारी दी।

“तस्करी शोषण का प्राचीनतम स्वरुप है , इसे पेशा ना कहें” विपला फाउंडेशन की क़ानूनी विशेषज्ञ नंदिनी ठक्कर ने कहा। पीड़ितों के लिए सुनियोजित तरीके से और मिल जुल कर काम करना आवश्यक है। इससे पीड़ित दोबारा तस्करी के शिकार नहीं होंगे। संगोष्ठी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा की, इस प्रकार के संवाद से मौजूदा तौर-तरीकों की समीक्षा करके अधिक कारगर रणनीतियां बनाने में मदत मिलती है। एक्ट पांच गैरसरकारी संगठनों – विपला फाउंडेशन, प्रथम, प्रकृति, युवा रूरल एसोसिएशन एवं फ्रीडम फर्म – का गठबंधन है जो मानव तस्करी तथा महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध के खिलाफ काम करता है।

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