– हल्दीराम ग्राहकों को बना रहा बेवकूफ, 420 केस में कोर्ट ने दिए FIR के निर्देश
नागपुर/रायपुर :- मिठाइयां और नमकीन बनाने वाली कंपनी ‘हल्दीराम’ ने अपने लगभग 20 से 22 उत्पादों के पैकेट्स और पाउच में ‘एक्स्ट्रा’ खाद्य पदार्थ देने का लालच देकर ग्राहकों को करोड़ों रुपये से ठगा. 11 वर्षों बाद इस मामले में अब नागपुर जिला व सत्र न्यायालय ने जेएमएफसी कोर्ट नंबर 9 को ‘हल्दीराम’ कंपनी और उनके संचालकों के खिलाफ ग्राहकों से धोखाधड़ी करने के मामले में भादंवि की धारा 420 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. हल्दीराम की लूट-खसोट से ग्राहकों को राहत दिलाने के लिए याचिका लगाने वाले याचिकाकर्ता नीलेश नागोलकर ने 11 वर्षों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद आए कोर्ट के आदेश को ‘सत्य की जीत’ बताया.
100% रहा जान का जोखिम अपर कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पर प्रकरण वापस लेने का दबाव बनाने 2 बार हमला किया गया. याचिकाकर्ता पर पहला हमला नागपुर के राणाप्रताप थाने के अंतर्गत हुआ. 1 जून 2014 को राणाप्रताप थाने में मामला दर्ज किया गया. दूसरा हमला नागपुर के सोनेगांव थानांतर्गत हुआ. सोनेगांव थाने में 6 अक्टूबर 2014 को मामला दर्ज कराया कराया गया. आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जल्द संभव अपर कोर्ट ने जेएमएफसी कोर्ट नंबर 9 को ‘हल्दीराम’ और उसके संचालकों के खिलाफ भादंवि की धारा 420 के तहत प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने का आदेश दिया है लेकिन लगातार हनुमान जयंती, गुड फ्राइडे, शनिवार और रविवार (ऐसे कुल 4 दिनों) की छुट्टियां होने के कारण सोमवार को कामकाजी दिवस पर हल्दीराम और उसके संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने की संभावनाएं हैं. इसके लिए नागपुर पुलिस प्रारंभिक तैयारियां कर चुकी है. चूंकि मामला बेहद हाई प्रोफाइल है और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है, इसलिए नागपुर पुलिस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है.
लगातार दूसरे दिन भी कंपनी ने नहीं दिया कोई बयान मामला उजागर होने और कोर्ट के आदेश के बाद ‘जनता से रिश्ता’ टीम ने पूरे मामले में कंपनी और उसके संचालकों का पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन कंपनी के तमाम फोन नंबरों पर कोई रिस्पांस नहीं मिला. जैसे ही कंपनी के संचालक या अधिकारी कंपनी की ओर से बयान जारी करेंगे या पक्ष रखने के लिए उपलब्ध होंगे, ‘जनता से रिश्ता’ टीम अपने सुधी पाठकों के लिए उनके पक्ष को भी उचित स्थान देगी.
नीलेश नागोलकर का कहना है कि…इस मामले में 11 वर्षें बाद कोर्ट के आदेश से सही मायने में सत्य की जीत हुई है. सत्य हमेशा प्रताड़ित हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता. इस निर्णय से हजारों ग्राहकों को न्याय मिलने की आशा बढ़ गई है. मुझ पर केस वापस लेने के लिए निरंतर दबाव बनाया गया. डराया गया. धमकाया गया लेकिन मैं सच के लिए लड़ रहा था, इसलिए जान की परवाह किए बगैर 11 वर्षों तक न्याय की लड़ाई में डटा रहा. मुझे आशा है कि सत्य की इस लड़ाई में आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिल पाएगी और हजारों ग्राहकों को न्याय मिलेगा.
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