हवाईअड्डों के आसपास नहीं चलेगा 5जी !

– दूरसंचार कंपनियों को रनवे के पास बफर जोन तैयार करना होगा जहां 3300-3600 स्पेक्ट्रम बैंड का बेस स्टेशन नहीं बनाया जाना चाहिए।

नागपुर :- हवाईअड्डे के नजदीकी क्षेत्र में विमानों के उड़ान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दूरसंचार कंपनियों को यह निर्देश दिया है कि वे 5जी स्पेक्ट्रम के सी बैंड पर अमल करते वक्त एक बफर जोन और सुरक्षा क्षेत्र तैयार करें। मंत्रालय ने दूरसंचार कंपनियों से कहा है कि भारतीय हवाईअड्डे के रनवे क्षेत्र के दोनों तरफ के 2100 मीटर क्षेत्र और रनवे के केंद्रीय स्थल से 910 मीटर की दूरी पर 3300-3000 मेगाहर्ट्ज में कोई बेस स्टेशन नहीं बनाया जाना चाहिए।

इसके अलावा इस जोन से इतर 540 मीटर के दायरे वाले क्षेत्र में तैयार किए गए बेस स्टेशन इस समान बैंड में कम सिग्नल क्षमता यानी 58 डीबीएम के साथ संचालित हो सकते हैं। दूरसंचार कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ये 5जी बेस स्टेशन थोड़े झुके हुए हों ताकि इससे रेडियो अल्टीमीटर में कोई बाधा न आए जिसकी मदद से विमान की स्थिति का अंदाजा लगता है।

ऐसे में दूरसंचार कंपनियां हवाईअड्डे में और इसके आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ देश के अधिकांश टर्मिनलों, हवाईअड्डे के बाहर मौजूद आवासीय और कॉमर्शियल क्षेत्रों में सी बैंड में 5जी सेवाएं नहीं दे पाएंगे। वैश्विक स्तर पर यह चिंता जताई गई है कि 5जी बैंड, विमानों और खासतौर पर पुराने विमानों के रेडियो अल्टीमीटर को बाधित कर सकता है जिससे उनकी सुरक्षा जोखिम में पड़ सकती है। इसके बाद ही नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने यह कदम उठाया है।

रेडियो अल्टीमीटर, जीपीएस के साथ-साथ भूमि से ऊपर विमानों की ऊंचाई को मापता है ताकि विमानों का रास्ता तय हो सके। यह अधिक ऊंचाई वाली जगहों, पहाड़ों और अन्य जोखिम वाली जगहों पर स्पष्ट नजर न आने वाले वाली स्थिति में भी मददगार साबित होता है। हालांकि दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि अल्टीमीटर में 4.2 गीगाहर्ट्ज बैंड का इस्तेमाल किया जाता है न कि 3.3 से 3.67 गीगाहर्ट्ज का जिसकी नीलामी देश में 5जी सेवाओं के लिए की गई है।

ऐसे में 500 मेगाहर्ट्ज का एक बड़ा अंतर दिखता है जिसके चलते किसी भी बाधा की कोई गुंजाइश नहीं है। हालांकि दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि उन्होंने डीजीसीए से यह आग्रह किया था कि वे बाधा की जांच कर लें जैसा कि कुछ यूरोपीय देशों में भी किया गया था हालांकि यह बात स्वीकार नहीं की गई।

अमेरिका में 5जी बैंड 4 गीगाहर्ट्ज के दायरे तक में रहता है जिसकी वजह से विमानन कंपनियों ने संभावित बाधाओं को लेकर चिंता जताई थी क्योंकि अल्टीमीटर 4.2-4.4 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करते हैं। यूरोप में ऐसे भी देश हैं जिन्होंने बिना किसी बफर जोन के विमानों के उड़ान की इजाजत दी है।

एक दूरसंचार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘दिल्ली में तीन रनवे हैं और टर्मिनल के बीच 500 मीटर की भी दूरी नहीं है। ऐसे में टर्मिनल में इस बैंड पर 5जी सेवाएं देना संभव नहीं होगा और यहां तक की इससे बाहर और छोटे हवाईअड्डे पर भी यह सेवाएं देना संभव नहीं होगा। इसका अर्थ यह भी हुआ कि दिल्ली के वसंत कुंज, एयरोसिटी और इसके आसपास के होटलों और महिपालपुर में 5जी सेवाएं नहीं दी जा सकेंगी क्योंकि ये सभी क्षेत्र बफर जोन के भीतर ही आते हैं।’

दूरसंचार विभाग के वायरलेस योजना एवं समन्वय विभाग से एक पत्र तीन दूरसंचार कंपनियों, रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को 29 नवंबर को भेजे गए थे जिसमें यह लिखा गया था कि तत्काल प्रभाव से दूरसंचार कंपनियों को यह कदम उठाना चाहिए और जब तक डीजीसीए सभी पुराने रेडियो अल्टीमीटर फिल्टर को नहीं हटा लेता है तब तक यह नियम लागू रहेंगे। ऐसी उम्मीद है कि डीजीसीए समयबद्ध तरीके से इस काम को सुनिश्चित करेगी।

डीजीसीए ने कहा कि यह दूरसंचार विभाग को पुराने अल्टीमीटर हटाने के तुरंत बाद सूचना देगा ताकि सभी तरह के प्रतिबंध हटाएं जाएं। डीजीसीए का यह कदम अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन की तरह ही समान है जिसने करीब 50 हवाईअड्डों की पहचान करते हुए बफर जोन तैयार करने की योजना बनाई है ताकि 5जी स्पेक्ट्रम आधारित सेवाओं की अनुमति न दी जाए। कई दूरसंचार कंपनियों ने इन उपायों पर सहमति जताई है और 2023 की पहली छमाही तक इन क्षेत्रों में 5जी सेवाएं न देने का स्वैच्छिक फैसला किया है।

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