– विदर्भ वनवासी कल्याण आश्रम, नागपूर महानगर
नागपूर :- जिनको देश के लोगों ने पूर्वोत्तर की ‘रानी लक्ष्मीबाई’ कहां, जिनका भारत के स्वाधिनता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा और स्वतंत्रता के पश्चात भी धर्म संस्कृति रक्षा के भाव को जगाए रखा ऐसी पद्मभूषण रानी मां गाइदिन्ल्यू इनकी जन्मजयंती वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा ‘नारी शक्ति दिवस’ के रूपमें मनायी जाती है।
इस वर्ष यह कार्यक्रम नागपूर महानगर द्वारा गुरुवार दि. 25 जानेवारी 2024 को दोपहर ठीक 5:30 बजे देवी अहिल्या मंदिर सभागृह, धंतोली, नागपूर यहां निश्चित हुआ है। इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता इस नाते पल्लवी कुळकर्णी (सिनेट सदस्या, संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ) तथा कार्यक्रम की अध्यक्ष के नाते शिवाली देशपांडे (सचिव, प्रहार समाज जागृती संस्था एवं संचालक, प्रहार डिफेन्स अकादमी) उपस्थित रहेंगी। इस कार्यक्रम में विदर्भ वनवासी कल्याण आश्रम, नागपूर महानगर अध्यक्षा डॉ.सौ. शेरील पडोळे विशेष रुपसे उपस्थित रहेंगी।
सभी बंधु-भगिनी, हितचिंतक, दानदाता इस कार्यक्रमे सहकुटुंब समय के ५ मिनिट पूर्व अवश्य उपस्थित रहे यह नम्र निवेदन | राष्ट्रगीत तथा अल्पहार के बाद कार्यक्रम समाप्त होगा ।
गुरुवार दि. 25 जनवरी 2024 दोपहर ठीक 5:30 बजे|
देवी अहिल्या मंदिर सभागृह मेहाडिया चौक के पास, धंतोली, नागपूर
विदर्भ वनवासी कल्याण आश्रम, नागपूर महानगर
अमर बलिदानी रानीमाँ गाइदिन्ल्यू
जन्म: 26 जनवरी 1915, मणिपुर
जाति : नागा | बलिदान : 17 फरवरी 1993
नागालैंड में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का नेतृत्व करने वाली रानीमाँ गाइदिन्ल्यू एक आध्यात्मिक एवं राजनीतिक नेत्री थी । उनको भारत सरकार द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में सन 1982 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। रानी गाइदिन्ल्यू के शौर्य व पराक्रम के कारण उन्हें नागालैण्ड की रानी लक्ष्मीबाई कहा जाता है। मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्होंने 4000 नागा सैनिकों का नेतृत्व किया और अपने छापामार हमलों से अंग्रेज सेना की नींद उड़ा दी। 17 अप्रैल 1932 को अचानक हुए हमले में वे पकड़ी गईं और 14 वर्ष उन्हें जेल में रहना वर्ष 1946 में मुक्त हुई और देश की स्वाधीनता के बाद उन्होंने नागा संस्कृति की रक्षा के लिए अपना जीवन अर्पण कर दिया। 17 फरवरी 1993 को उनका देहांत हुआ।
अमर बलिदानी रानीमाँ गाइदिन्ल्यू को शत शत नमनः ॥ ॥