सावनेर शहर में आवारा कुत्तों का आतंक..

एक दर्जन से अधिक कुत्तों का झुंड घूम रहा सड़कों पर…

नगर परिषद के अनदेखी से कभी भी हो सकती है बड़ी अनहोनी.. अभियान चलाकर करें कार्रवाई

नगर परिषद के स्तर पर कुत्तों को पकड़ने और इस समस्या से निजात दिलाने के कोई प्रबंध नहीं है?

सावनेर – सावनेर में आवारा कुत्तों का आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि आवारा कुत्तों से परेशान होकर लोग सुबह व शाम या देर रात को घरों से निकलने से भी कतराने लगे हैं। ये आवारा कुत्ते अक्सर आने-जाने वाले लोगों पर झपट पड़ते हैं कई बार ये आवारा कुत्ते एक दूसरे कुत्ते से लड़ते-लड़ते बीच सड़क में भी आ जाते हैं। जिससे दोपहिया वाहन चालकों का इनमें उलझकर गिरने का खतरा बना रहता है। कई बार ये लोगों की बाइक या कार के पीछे भागते हैं। हैरत की बात यह है कि नगर परिषद के पास खूंखार होते जा रहे इन कुत्तों से नगरवासियों को निजात दिलाने के कोई इंतजाम ही नहीं है।

इन इलाकों में है कुत्तों का आतंक..

शहर में कई स्थानों पर बस स्टैंड, राजकमल चौक, रेलवे स्टेशन रोड, गडकरी चौक , बाजार चौक ,होली चौक, महाजन लेआउट आदि के बीचो बीच आवारा कुत्तों की भरमार है इन इलाकों में अक्सर आवारा कुत्तों के झुंडों को बैठे देखा जा सकता है।

बुजुर्गों और बच्चों के बीच आवारा कुत्तों का खौफ..

इसी बीच अब नगर बुजुर्गों और बच्चों ने आवारा कुत्तों के आतंक को देखते हुए शाम को टहलने के लिए घरों से निकलना कम कर दे रहे हैं।वैसे हम आए दिन कुत्तों के हमले में घायल होने की खबर सुनते हैं। कहीं आवारा कुत्ते बच्चों को अपना निशाना बनाते हैं, तो कभी वह वाहन से जाने वालों पर हमला कर देते हैं।

आवारा कुत्तों पर सावनेर नगर परिषद का नहीं है ध्यान..

हैरत की बात यह है कि नगर परिषद के पास खूंखार होते जा रहे इन कुत्तों से नगरवासियों को निजात दिलाने के कोई इंतजाम ही नहीं है। कोई विशेष कदम नहीं उठा रहे है यूं तो कुत्ते को सबसे वफादार जानवर माना जाता है, लेकिन अगर यह वफादारी भूल जाए तो जानलेवा भी हो सकता है शहर के अंदर ऐसी कोई गली और मोहल्ला नहीं जहां आवारा कुत्तों का आतंक न हो। शाम ढलने के बाद शहर के गली-मोहल्लों में पैदल या दुपहिया पर निकलना खतरे से खाली नहीं दोपहर में भी ये कुत्ते बच्चों को निशाना बनाने से नहीं चूकते।

शहर वासियों की मांग ..

नगर परिषद द्वारा आवारा कुत्तों को शहर से हटाने की मांग की है। सावनेर की महिलाओं का कहना हैं कि आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ जाने से उन्हें हर समय घर के दरवाजे बंद रखने पड़ रहे हैं। इन दिनों आवारा कुत्तों की अचानक भीड़ टूट पड़ने से बच्चों का भी घर के बाहर खेलना और घूमना बंद हो गया है। शहर वासियों की मांग है कि जल्द से जल्द आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान चलाकर करें कार्रवाई।

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