स्वामी चिन्मयानंदजी का 108 वां जयंती उत्सव 5 से 8 मई तक

नागपुर :- चिन्मय मिशन नागपुर की ओर से स्वामी चिन्मयानंद जी के 108 वें जयंती उत्सव का आयोजन 5 से 8 मई तक अमृत भवन, आंध्रा एसोसिएशन, उत्तर अंबाझरी मार्ग में किया गया है। चिन्मय मिशन नागपुर के केंद्रप्रमुख ब्रह्मचारी सुचेत चैतन्य के अनुसार 5 मई को सुबह 7 भजे रामनगर स्थित चिन्मय सदन से प्रभातफेरी निकाली जाएगी जो रामनगर राम मंदिर, हनुमान मंदिर, शिवाजी नगर पार्क, सीमेंट रोड होते हुए वापस चिन्मय सदन पहुंचेगी।

6 मई को शाम 6:30 बजे बायोपिक-‘ऑन ए क्वेस्ट’ सीताबर्डी स्थित सेवा सदन में दिखाई जाएगी।

7 मई को सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक वृद्धाश्रम में अन्नदान किया जाएगा। शाम 6:30 से रात 8:30 बजे तक मातृ-पितृ पूजन का आयोजन अमृत भवन में किया गया है।

8 मई को सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक पादुका पूजन, सत्संग, अन्नदान और वस्त्र दान चिन्मय साधना केंद्र, पवनार में होगा।

शाम 6.30 से रात 8.30 बजे तक अमृत भवन में 108 अनुयायियों द्वारा पादुका पूजन, गुरु स्तोत्र, गीता के 12वें अध्याय का पठन 108 विद्यार्थियों-अनुयायियों द्वारा किया जाएगा। कार्यक्रम का समापन महाप्रसाद के साथ होगा।

चिन्मय मिशन नागपुर के सचिव सुनील व्यवहारे और केंद्रप्रमुख ब्रह्मचारी सूचेत इन्होने मिशन के वैश्विक कार्य के बारेमे अवगत कराया. तदनुसार मिशन का मुख्य उद्देश्य वेद-वेदांत और उपनिषद का प्रचार प्रसार करना है जिसमें बताया जाता है कि भगवद्गीता जनसामान्य से लेकर उद्योग जगत के लिए किस प्रकार उपयोगी है, अद्वैत वेदांत क्या है। 5 से 15 वर्ष के किशोरों के लिए भगवद्गीता की क्लास भी ली जाती है। प्रौढो के लिए अभ्यास वर्ग चलते है.

प. पू. स्वामी चिन्मयानंदजी का जीवन परिचय

परम पूज्य स्वामी चिन्मयानंद का जन्म 8 मई 1916 को केरल के एर्नाकुलम में हुआ था उनके पिता न्यायाधीश कुट्टन मेनन थे। स्वामी के बचपन का नाम बालकृष्ण मेनन था। बीए एमए और लॉ की शिक्षा प्राप्त स्वामी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और जेल भी गए। नेशनल हेराल्ड में उन्होंने स्तंभ लेखन भी किया। इसी दौरान उनका संपर्क डिवाइन लाइफ सोसायटी के स्वामी शिवानंद जी से हुआ। वह उनके पास ऋषिकेश चले गए और वहीं रहे। 25 फरवरी 1949 को सन्यास दीक्षा ली और ‘स्वामी चिन्मयानंद’ बने। स्वामी शिवानंद ने उन्हें वेदो के महान अध्यता तपोवन महाराज के पास उत्तरकाशी में भेजा जहां उन्होंने वेद उपनिषद प्रकरण ग्रंथ का अध्ययन किया। सन 1950 से 1951 तक उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया। दिसंबर 1951 में पुणे में पहला ज्ञानयज्ञ वेदांत पढ़ाया जिसमें हजारों लोगों की उपस्थिति रही। आदि शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित अद्वैत वेदांत ज्ञान का बड़ी सुलभता से प्रचार और प्रसार किया। गीता ज्ञान का प्रचार-प्रसार करते हुए बताया कि गीता दैनिक जीवन जीने की मार्गदर्शिका है। स्वामी जी ने 42 साल तक पूरे विश्व में सामाजिक पुनर्निर्माण व आत्मिक पुनरुत्थान का महान कार्य किया। इस दौरान 576 ज्ञान यज्ञ किया। उनका कहना था कि बिना आत्म विकास के सामाजिक विकास संभव नहीं है। समचित्तभाव से, पूरी निस्वार्थ भावना और ईश्वरार्पण भाव से लोक संग्रह करना और समाज हेतु कार्य को बढ़ाना उनके जीवन का ध्येय था।

1953 में मद्रास में मिशन की स्थापना

स्वामी ने सन 1953 में मद्रास में मिशन की स्थापना की। विश्व में 300 से ज्यादा वेदांत प्रचार केंद्र कार्यरत है। चिन्मय इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा संस्कृत भाषा धर्म दर्शन के मूल तत्वों का अध्ययन और शोध कार्य किया जाता ह। चिन्मय ऑर्गेनाइजेशन फॉर रूरल डेवलपमेंट संस्था का ग्रामीण विकास व्यावसायिक प्रशिक्षण व स्वरोजगार सहायता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। सन 1981 में संदीपनी साधनालय की स्थापना की ताकि वेदांत घर-घर पहुंचे। चिन्मय प्रकाशन के माध्यम से वेदांत साहित्य उपलब्ध कराया। सभी भाषाओं में पुस्तक प्रकाशित होती है। चिंन्मय क्रिएशन के माध्यम से कला क्षेत्र में आध्यात्मिकता पर जोर दिया गया। दूरदर्शन पर धारावाहिक ‘उपनिषद गंगा’ के 52 एपिसोड प्रसारित हुए। चेंज माय मिशन द्वारा केंद्र आश्रम शिशु विहार बाल विहार युवा केंद्र संचालित किए जाते हैं। चिन्मय सेतुकरी-समाज में सामंजस्य से स्थापित करना, चिन्मय स्वाध्याय मंडल- शास्त्र अध्ययन और चर्चा, देवी ग्रुप – शास्त्र अध्ययन, चर्चा और उत्सव का आयोजन करता है। वानप्रस्थ संस्था भी कार्यरत हैं। शिक्षा अभियान के अंतर्गत स्कूल कॉलेज में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के अलावा संस्कृती देशभक्ति और विश्व बंधुता पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कोलवन (पुणे) में चिन्मय विभूति के अंर्तगत वेदांत ज्ञान, साधना, सेवा और आत्मविकास पर जोर दिया जाता है। चिन्मय नाद बिंदु संस्था द्वारा शास्त्रीय और भक्ति संगीत साधना का आयोजन किया जाता है। चिन्मय इंस्टीट्यूट और चिन्मय एकेडमी आफ मैनेजमेंट की स्थापना 1975 में की गई। चिन्मया मिशन हॉस्पिटल तथा चिन्मय इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग भी कार्यरत है।‌

इस प्रकार शिशु से लेकर वानप्रस्थ तक चिन्मय मिशन सभी अंगो से समाज मे कार्यरत है.

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