श्रीमद्भागवत का महाप्रसाद के साथ विराम

– श्रीमद्भागवत का अनुसरण करें :भाई ओझा महाराज

नागपुर :-उस दिव्य स्वरूप की सेवा की इस जगत में कोई तुलना नहीं है। वह जो सबसे महान है उसकी तो तुलना हो ही नहीं सकती। श्रीमद्भागवत भागवत कथा का श्रवण कर अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाएं। उक्त आशय के उद्गार लकडगंज के कच्छी वीसा मैदान में ओ. जे अग्रवाल चैरिटबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिवस सुविख्यात कथाकार रमेश भाई ओझा ने कथा को विराम देते हुए कहे। कथा के मुख्य यजमान ओ. जे अग्रवाल परिवार थे।

उन्होंने आगे कहा कि देहधारियों के लिए अव्यक्त में मन लगाना कठिन होता है। निराकार को स्वीकार कर सकते हैं पर मन लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। यह तो मन है बहुत चंचल है। यह अन्य सर्वत्र जगह लगने के लिए होता है परंतु उसे जहां लगना चाहिए उस परब्रह्म में, वहाँ उसका लगना जरा कठिन हो जाता है। मन चंचल है यही उसकी समस्या है। वह उस भगवत भक्ति में लगना नहीं चाहता। भगवान में लगना उसका मुश्किल जरूर है पर असंभव नहीं है। अभ्यास और वैराग्य से यह संभव हो सकता है। श्री हरि के प्रति समर्पण का भाव, उनसे प्रीत होना चाहिए। श्री कृष्ण की कृपा है कि उन्होंने सभी के कल्याण के लिए इस धरा पर जन्म लिया। उन्होंने भजन प्रस्तुत कर गोपाल, गोविन्द की भक्ति में श्रद्धालुओं को लीन कर दिया।

कथा के पश्चात सभी भक्तों के लिए महाप्रसाद का आयोजन किया गया। इसका लाभ लगभग हजारों भक्तों ने लिया।

आज व्यास पीठ का पूजन रवि अग्रवाल, सूरज अग्रवाल, धीरज अग्रवाल, नीरज अग्रवाल,अमिता अग्रवाल, अर्चना अग्रवाल, रुपाली अग्रवाल,संचिति अग्रवाल, मोनिका खेमुक़ा, संकेत खेमुक़ा, समित खत्री, लक्ष्मी नारायण शर्मा, रमेश ठक्कर, सहित अन्य ने किया।

आज कथा आरम्भ से पूर्व श्रीराम जन्मभूमि न्यास अयोध्या के ट्रस्टी एवं कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देवगिरि जी महाराज ने कथा स्थल पर भेंट देकर भाई ओझा का स्वागत किया। उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा को जीवन में उतारने का आह्वान किया।

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