– 20 दिन पूर्व उपजिलाधिकारी(रोहयो) ने जिला परिषद् की प्राथमिक(आरटीई) को निर्देश देने के बावजूद समाचार लिखे जाने तक कोई कार्रवाई नहीं होना,क्या सिस्टम में जंग लग गया हैं या सिस्टम ऑपरेट करने वालों में !
नागपुर :- एक ही उम्मीदवार द्वारा मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार द्वारा जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर महाराष्ट्र के नागपुर में RTE के तहत मनचाहे स्कूल में प्रवेश लेने में सफलता प्राप्त की थी.जिसकी गैरकानूनी कृत और संदिग्घता पर RTE VERIFICATION COMMITTEE के जागरूक सदस्य ने उप शिक्षणाधिकारी के समक्ष सवाल भी उठाया था लेकिन उनके नज़रअंदाज करने पर ‘अधिक्षा राइट फाउंडेशन’ ने जिलाधिकारी कार्यालय से सम्बंधित जाति प्रमाणपत्र विभाग प्रमुख के ध्यान में लाया गया,मामले की गंभीरता को देखते हुए सूक्षमता से जाँच बाद प्राप्त त्रुटियों के आधार पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र को रद्द करने के बाद जिला परिषद् की प्राथमिक (आरटीई) को निर्देश दिया गया कि वे उक्त प्रवेश को रद्द करें।लेकिन 24 दिन होने के बावजूद जिला परिषद् की प्राथमिक (आरटीई) के कानों पर जूं नहीं रेंगना शिक्षण क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार को खुलेआम बढ़ावा दिया जा रहा,ऐसा कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी।
याद रहे कि RTE के तहत मनचाहे स्कूल में प्रवेश के लिए तारेंद्र पवार ने अपने पुत्र मोहित तारेंद्र पवार का आवेदन किया था.इनके प्रवेश के लिए सम्बंधित 2 से 3 RTE VERIFICATION COMMITTEE के सदस्यों पर RTE क्षेत्र में सक्रिय माफिया और शिक्षण विभाग के दलाल ने दबाव बनाया था,कुछ लालच भी दिए थे.
इस मामले में धांधली की बू आते ही एक जागरूक RTE VERIFICATION COMMITTEE सदस्य ने RTE VERIFICATION COMMITTEE के प्रमुख उपशिक्षणाधिकारी सुशील बंसोड़ से की थी.उन्होंने सिरे से नज़रअंदाज किया तो प्राथमिक शिक्षणाधिकारी रोहिणी कुम्भार को ‘अधिक्षा राइट फाउंडेशन’ ने लिखित शिकायत कर उन्हें आगाह किया लेकिन उन्होंने भी तवज्जो नहीं दी.
फिर ‘अधिक्षा राइट फाउंडेशन’ ने वर्त्तमान जिलाधिकारी को जानकारी दी,दो दफे उन्हें स्मरणपत्र भी दिया लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय से कोई ठोस जवाब नहीं आया.इसके बाद इन्होंने दिए गए पत्र पर हुई कार्रवाई से अवगत होने के लिए RTI के तहत ‘नस्ती’ की मांग की तो जवाब मिला कि प्रस्तुत जाति प्रमाणपत्र नकली/फर्जी हैं,इसे रद्द कर दिया गया और इस सम्बन्ध में मोहित तारेंद्र पवार के परिजन समय पर असली/क़ानूनी जाति प्रमाणपत्र नहीं दे पाए तो उनका प्रवेश रद्द करने सम्बन्धी निदेश उपजिलाधिकारी(रोहयो) ने जिला परिषद् की प्राथमिक(आरटीई) को दिया।
विडम्बना यह है कि 24 दिन बाद भी आजतक प्रवेश रद्द नहीं किया गया.क्या शिक्षण विभाग में भ्रष्टाचार की जड़े मुस्तैदी से अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी हैं या फिर जिलाधिकारी कार्यालय के निर्देशों को यूँ ही हल्के में लेती रहती हैं.यह ज्वलंत सवाल जिलाधिकारी के समक्ष हिचकोले खा रहा हैं ?
‘अधिक्षा राइट फाउंडेशन’ ने दावा किया है कि जिलाधिकारी की नाक के नीचे हर साल वर्षों से फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी हो रहे है,वह भी आवेदन के एक से चार दिनों के दरम्यान,अर्थात धांधली की हद्द हो गई हैं.नतीजा RTE का उद्देश्य पूर्ण नहीं हो रहा,केंद्र सरकार का राजस्व का नुकसान हो रहा,जरूरतमंद का हक्क मारा जा रहा हैं.
‘अधिक्षा राइट फाउंडेशन’ ने जिला प्रशासन और प्राथमिक शिक्षण विभाग को चेतावनी दी है कि उक्त मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वे पहले राज्य और केंद्र सरकार/विभाग से न्याय की गुहार करेंगे,उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया तो न्यायालय की शरण में जाकर याचिका दायर करेंगे,जिससे होने वाली नुकसान के जिम्मेदार जिला प्रशासन और नागपुर जिला प्राथमिक शिक्षाधिकारी की होगी।
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