– एप बेस्ड टैक्सी युनियन ने जनता दरबार में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी को दिया ज्ञापन
नागपुर :- केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से जारी आदेश में यातायात कानून के अंतर्गत सभी टैक्सी वाहनों में यात्रियों,बच्चों और टैक्सी चालकों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से 7-8 वर्ष पहले चाइल्ड लाॅक की शर्त रखी थी.
वाहन में चाइल्ड लाॅक लगाने का खर्च लगभग 10 से 15 हजार रुपये आता था जो कि वाहन चालकों के लिए काफी खर्चीला था.लेकिन इस चाइल्ड लाॅक के कारण देश भर में दुर्घटना और मानवीय भूल से कई मौतें हुई थी.
इस खतरें को देखते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जुलाई 2019 तक सभी एप बेस्ड टैक्सी वाहनों के चाइल्ड लाॅक निकलवाने के आदेश जारी कर दिये थे.जिसका जबर्दस्त आर्थिक रूप से फटका टैक्सी चालकों को ही लगा था.
एप बेस्ड वर्कर्स वेल्फेयर एसोसिएशन के सदस्य दीपक साने के नेतृत्व में ओला उबर टैक्सी चालकों का एक शिष्टमंडल रविवार को खामला में आयोजित केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के जनता दरबार में जाकर मिला और ज्ञापन सौंप कर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा टैक्सी वाहनों में वीटीएस,जीपीएस और पैनीक बटन की अनावश्यक शर्त शीघ्र हटाने की मांग की.
दीपक साने के अनुसार लगभग 10 हजार रुपये खर्च करके लगाएं गये टैक्सी में इतने महंगे इस सिस्टम का टैक्सी चालकों और यात्रियों को कोई भी फायदा होता हुआ नजर नहीं आने की जानकारी दी.
क्योंकि दीपक साने के अनुसार एक टैक्सी चालक का अनुभव ऐसा रहा हैं कि उसका वाहन नागपुर में था और सिस्टम ऑपरेटर से मिली जानकारी में वाहन कोच्चि (केरल) में होने की जानकारी दी.
अभी इस सिस्टम से यातायात नियंत्रण शाखा में किसी भी प्रकार से संदेश जाता नहीं हैं,उल्टा ड्राइवर को ही संदेश प्राप्त होता हैं.आखिर इतने महंगे इस सिस्टम के लगाने का टैक्सी चालकों और यात्रियों को फायदा ही क्या हैं?
फिर भी यातायात विभाग ऐसे अनावश्यक सिस्टम को वाहनों में लगाएं बगैर वाहनों की पासिंग ही नहीं होने देता.
युनियन के सदस्यों ने अपने ज्ञापन में इस अनावश्यक वीटीएस,जीपीएस और पैनीक बटन की शर्त आरटीओ कानून से शीघ्र ख़त्म करने की मांग नितिन गडकरी से की हैं.
इसी प्रकार टैक्सी चालकों को अनावश्यक बेच बिल्ला,एसईसी सर्टिफिकेट की शर्त हटाने की भी मांग की गयी हैं.क्योंकि टैक्सी चालकों के पास अपने पहचान पत्र के रुप में सरकारी दस्तावेजों में तो पहले से ही वोटर कार्ड,आधार कार्ड, राशन कार्ड जैसे महत्वपूर्ण प्रमाण पत्र मौजूद हैं.ऐसे में एसईसी सर्टिफिकेट की जरूरत ही क्या हैं?
दीपक साने ने अपनी शिकायत में 23 फरवरी को आरटीओ ग्रामीण चव्हाण को इस संबंध में निवेदन देने जाने पर चव्हाण ने सभी सदस्यों को कार्यालय खदेड़ देने का भी जिक्र किया हैं.
शिष्टमंडल में एप बेस्ड वर्कर्स वेल्फेयर एसोसिएशन के सदस्य दीपक साने,शुभम नेवलकर,रामेश्वर शाहू,अजय बागडे, मिलिंद ठवरे,आशीष उमरकर आदि सदस्य उपस्थित थे.
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