नागपुर :- वर्धमान नगर के राधा कृष्ण मंदिर में नारायण रौनक मनियार परिवार की ओर से श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह जारी है। डॉ. संजय कृष्ण सलिल महाराज श्रीमद्भागवत के विविध प्रसंग का वर्णन कर रहे हैं। आज उन्होंने सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, जड़ भरत-रहूगण संवाद, अजामिल उपाख्यान, प्रह्लाद चरित्र का सरस वर्णन किया। सलिल महाराज ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे हैं वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान न हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए।
उन्होंने बताया कि माता सती के पिता दक्ष ने एक विशाल यज्ञ किया था और उसमें अपने सभी संबंधियों को बुलाया। लेकिन बेटी सती के पति भगवान शंकर को नहीं बुलाया। जब सती को यह पता चला तो उन्हें बड़ा दुख हुआ और उन्होंने भगवान शिव से उस यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी। लेकिन भगवान शिव ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि बिना बुलाए कहीं जाने से इंसान के सम्मान में कमी आती है। लेकिन माता सती नहीं मानी और राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में पहुंच गईं। वहां पहुंचने पर सती ने अपने पिता सहित सभी को बुरा भला कहा और स्वयं को यज्ञ अग्नि में स्वाहा कर दिया। जब भगवान शिव को ये पता चला तो उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर राजा दक्ष की समस्त नगरी तहस-नहस कर दी और सती का शव लेकर घूमते रहे। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए। जहां शरीर का टुकड़ा गिरा वहां-वहां शक्तिपीठ बनी।
कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया।
4 मई को गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मंथन, बलि वामन चरित्र, राम कथा, कृष्ण जन्म, नन्दोत्सव होगा। कथा का समय दोपहर 4 बजे से रखा गया है। सभी से उपस्थिति की अपील की गई है।