– चाय से ज्यादा केतली गर्म,चौधरी और गोयल के PA सता रहे अधिकारी व कर्मियों को और अपना उल्लू सीधा कर रहे क्यूंकि अंधेर नगरी चौपट राजा …….बेहतरीन आयुक्त,अतिरिक्त आयुक्त देख चुकी जनता को मुंढे के बाद चौधरी जैसे अधिकारी से त्रस्त जनप्रतिनिधि
नागपुर :- एक था तुकाराम मुंढे उसके थे 2 आपूर्तिकर्ता, जिन्होंने अपने अल्प कार्यकाल में सिस्टम को तबाह कर अप्पतिजनक कृत किये वह भी बोल बोल कर,इसके बाद आये ‘मुका मुंढे’ उर्फ़ राधाकृष्णन बी जिन्होंने काम वही किये उन्ही सहायको के मार्फ़त सिर्फ अंतर यह था कि बोलते कम थे और इसके बाद आये अभिजीत चौधरी जो चेंबर से निकलते कम,जनता-जनप्रतिनिधि से मिलते कम से कम,मिल गए तो उन्हें समाधानकारक जवाब देते नहीं,सिर्फ स्वयंभू होकर बिल्डर लॉबी,भवन निर्माणकार्य मामले में सक्रिय है,इनका इनके भी 2 सहायक है एक जो ड्राइवर से PA बना और दूसरा नगर रचना विभाग में विषय सम्बन्धी कर्मी/अधिकारी।
नतीजा जनता-जनप्रतिनिधि परेशान है,इतना परेशान कि सबकी यही चाहत है कि जल्द से जल्द नागपुर शहर को अभिजीत चौधरी से मुक्ति मिले।
लेकिन यह तब मुमकिन होगा जब राज्य के उपमुख्यमंत्री चाहेंगे,क्यूंकि वे स्वयं बिल्डर लॉबी का प्रतिनिधित्व कर रहे है,तभी तो नागपुर शहर समेत तमाम शहर में हाई राइज अर्थात विशालकाय इमारतों का जमीन कम से कम होने के बावजूद नगर रचना और अग्निशमन विभाग को जेब में रख निर्माण हो रहा है.फिर डिफेन्स लैंड के आजुबाजु ही क्यों न हो.
अभिजीत चौधरी मनपा में मनपा आयुक्त के बजाय बिल्डर लॉबी के CEO के रूप में सक्रिय ताकि उन बिल्डरों के इमारतों के निर्माण में कोई बाधा न आए.
इनका फायदा चौधरी और गोयल के डिफॉलटर सहायक उठा रहे है,क्यूंकि उनके आका बिल्डर लॉबी के हित में सक्रिय है तो इन दोनों के सहायक मनपा के अधिकारियों को अपना उल्लू सीधा करने के उद्देश्य से ब्लैकमेलिंग तक कर रहे है,इन दोनों से मनपा के अधिकारी और कर्मी काफी परेशान है.जल्द ही दोनों के कारनामों के खिलाफ कुछ कर्मी सह अधिकारी एक संस्था के माध्यम से याचिका दायर कर न्याय की गुहार करने जा रहा हैं.
उल्लेखनीय यह है कि आयुक्त चौधरी और अतिरिक्त आयुक्त की निष्क्रियता से मनपा के अन्य विभाग प्रमुखों जो कुंडली मार कर वर्षो से मलाई खा रहे उन्हें एक एक जोन का प्रभारी प्रमुख बना दिया गया,नतीजा उन सभी HOD की ‘सर कढ़ाई में और पांचों उंगलियां घी में डूबी हुई हैं.
दोनों आला आयुक्तों के निष्क्रियता से मनपा के विभागों में जंगलराज चल रहा है,दिन के पहले हाफ में जगह पर कोई मिलता नहीं,जवाब मिलता है सब फील्ड पर गए हैं.इनके विभागों के मूल काम न के बराबर होने से जनप्रतिनिधियों को आंदोलन करने की नौबत पड़ी है फिर विपक्ष हो या सत्ता पक्ष।
उपमुख्यमंत्री या पालकमंत्री के पत्रों को तरजीह नहीं दी जाती है,जब तक पालकमंत्री या मंत्री अपने मुख से न बोले।
मनपा की अवाक् बढ़ाने और मनपा की आय बढ़ाने जैसे प्रस्तावों को कचरे के टोकरे में डाल दिया जा रहा है,वह भी HOD सह मनपा आयुक्त,आयुक्त स्तर के अधिकारियों द्वारा।विभागों के HOD अपने अपने विभागों के वेंडरों के बिल पर हस्ताक्षर करने के एवज में हस्ताक्षर पूर्व 5 से 7 % कमीशन वसूल रहे हैं.
उल्लेखनीय यह है कि चौधरी,गोयल से पहले मनपा ने कई आईएएस अधिकारी देखे,उनका अनुभव लिए उनमें श्रवण हार्डिकर,वीरेंद्र सिंह,अश्विन मुद्गल श्रेष्ट रहे,जो फील्ड पर जाकर जनता से न सिर्फ रु ब रु होते थे बल्कि समाधानकारक निर्णय भी लेते थे,इसके लिए उन्हें किसी सिफारिश की जरुरत नहीं पड़ती थी,इनसे कर्मी,अधिकारी,वेंडर आदि काफी प्रभावित थे,आज इनकी याद सभी को सता रही है.