मोदी ने किया अडानी से किनारा

– यूपी उद्योगपति समिट में नहीं पहुंचे अडानी 

नागपुर :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मित्र अडानी से कन्नी काटने लगे हैं। अडानी अब प्रधानमंत्री के गले की हड्डी बनते जा रहे हैं। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में आयोजित उद्योगपतियों के समीट में गौतम अदानी नहीं पहुंचे। जबकि इस समिट में देश के सभी बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

विगत कुछ दिनों से अडानी को लेकर संसद में गतिरोध कायम है। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने प्रधानमंत्री को गौतम अदानी को लेकर आड़े हाथों लिया है। संसद में मोदी अडानी भाई भाई जैसे नारों की गूंज उठने लगी थी। यही वजह है कि मोदी ने अडानी को इस समिट में न आने की सलाह दी। अडानी से कहा गया कि आप मत आईये, प्रधानमंत्री नहीं चाहते उनके व सत्ता के बीच कोई ना आए।

उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट में अड़ानी नहीं आये। सभी लोग उनसे कन्नी काट रहे हैं। दरअसल हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी संकट में फंसे। अडानी ने मुंबई में रोड शो के दौरान यूपी के लिए सवा लाख करोड़ के निवेश की घोषणा की थी। इसके बाद हिडनबर्ग रिपोर्ट सामने आई और अदानी और मोदी के संबंधों की चर्चा होने लगी। कांग्रेस ने मोदी अडानी के रिश्ते को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। यूपी में इन्वेस्टरों की समिट में रिलायंस के मुकेश अंबानी सहित टाटा संस के संजय बजाज, बिरला समूह के कुमार मंगलम बिडला, महिंद्रा ग्रुप के आनंद महिंद्रा आदि बड़े निवेशकर्त उपस्थित थे। परंतु सबका ध्यान गौतम अदानी पर था। परंतु उन्हें इस समिट में आने के लिए मना किया गया था।

दरअसल मोदी अडानी पर इतने अधिक मेहरबान है कि अडानी को प्रीपेड मीटर का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। अब अडानी पर आरोप लगते ही यह कांट्रेक्ट अडानी से छीन लिया गया।

वर्ष 2013 वह दौर था जब कांग्रेस के खिलाफ कुछ मुद्दों पर भाजपा टूट पड़ती थी। 2G स्कैम को लेकर जेपीसी का गठन करने की मांग बीजेपी ने मनमोहन सिंह सरकार से की थी और कांग्रेस ने उसे स्वीकार कर जेपीसी का गठन किया था। गौतम अडानी के कारण प्रधानमंत्री संदेह के घेरे में है। तो विपक्षी यानी कांग्रेस ,आप और अन्य दलों ने जेपीसी का गठन करने की मांग की है तो इसमें गलत क्या है। दूध का दूध पानी का पानी होना ही चाहिए।

गौतम अडानी को ६ एयरपोर्ट सौंपने का विरोध योजना आयोग ने किया था। उसको भी नजरअंदाज किया गया।

श्रीलंका सरकार में 9 जून 2020 एक रिपोर्ट में कहा था कि अडानी को भारत सरकार ने चुना है। चर्चा तो यह भी है कि अडानी ने बीजेपी को चंदे के रूप में करोड़ों रुपयों का नजराना पेश किया है।

अब इतने सारे आरोप होने के बाद जेपीसी का गठन सरकार ने करना चाहिए। प्रधानमंत्री की लगातार हो रही आलोचना कोई गलत नहीं है। क्योंकि मोदी और अडानी मंच पर दिखते थे। विपक्ष का कहना है कि मोदी की तीन कमजोरियां हैं। वह है गौतम अदानी, अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी। दरअसल यह आरोप विपक्षी के साथ-साथ किसानों का भी है।

दरअसल मे कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मिडिया ने अनेक घोटालों में सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। परंतु आज की गोदी मीडिया मोदी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के बारे में आवाज़ उठाने के लिए तैयार नहीं। मोदी को महिमामंडित करने का काम चल रहा है। अगर मीडिया जनता के सामने सही हकीकत लाता है तो उसका असर चुनाव पर होगा। यही डर मोदी को सता रहा है। संसद में 2 दिन प्रधानमंत्री ने लंबा चौड़ा भाषण दिया। परंतु उन्होंने विपक्ष के एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया और नहीं अडानी के बारे में अपने रिश्ते को लेकर कुछ कहा। दरअसल प्रधानमंत्री सहमे हुए हैं। इसलिए वे अब अडानी से कन्नी काट रहे हैं।

@ फाईल फोटो

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