नागपुर :- विदर्भ महाराष्ट्र की सभी तापीय बिजली परियोजनाओं सहित विशषतः चंद्रपुर महाताप बिजली केंद्र मे बिजली उत्पादन बढ़ाने, पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण की दृष्टिकोण से कोयला वॉश (शूद्ध) करने का ठेका मेसर्सःएसीबी इंडिया लिमिटेड वॉशरी को दिया गया है, किंतु इस वॉशरी की हालत इस कदर खराब हो चुकी है कि कई बार ब्रेक डाउन होने के कारण बगैर वॉश किया हुआ एवं रिजेक्ट कोल मिलावटी कोयला सीधे महाजेनको पावर प्लांट में आपूर्ति किया जा रहा है। साथ ही अच्छे कोयले में घटिया स्तर के कोयले की मिलावट कर बिजली केंद्र को आपूर्ती का गोरखधंधा बेखौफ चल रहा है। जिसका खामियाजा बिजली केंद्रों को भुगतना पड़ रहा है। इसका सीधा असर अप्रत्यक्ष रूप से नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार जिले के पांढरपवनी स्थित मेसर्सः एसीबी इंडिया लिमिटेड की वॉशरी बरसों से बंद हालत मे पडी थी। हाल ही में इसे शुरू किया गया किंतु निरंतर नहीं चल पा रही है। वॉशरी की कोयला धोने की क्षमता 2 से 2.5 हजार टन है। कामगारों के मुताबिक वॉशरी एक-दो दिन चलती है फिर ब्रेक डाउन के कारण काम ठप पड़ जाता है। इस कारण ज्यादातर कोयला बगैर वॉश किए ही रेलवे साइडिंग पर पहुंचाया जा रहा है। साथ ही अधिकांश कोयला निजी कंपनियों को भी बेचा जा रहा है। वर्धा तथा नागपुर की कुछ कंपनियों के साथ ही जिले की डालमिया सीमेंट कंपनी तथा अलग-अलग राज्यों में भी यहां से बड़े पैमाने पर कोयला भिजवाया जा रहा है। बताया जाता है कि, खदान से आए हुए कोयले को मजदूर लगाकर उसकी छंटनी की जाती है। बड़ा कोयला अलग गाड़ियों में लोड किया जाता है तथा प्रोसेसिंग कोयला (चूरीवाला) रेलवे साइडिंग के बाजू में डंप किया जाता है। यह गोरखधंधा जब से वॉशरी शुरू हुई तब से चल रहा है। अप्रैल से लेकर अक्टूबर माह तक लाखों टन कोयला मेसर्स एसीबी इंडिया लिमिटेड, वॉशरी द्वारा महाजेनको को भेजा जा चुका है।
रेलवे साइडिंग से ही चल रहा गोरखधंधा
30 दिसंबर 2020 को तत्कालीन सीएमडी राजीव रंजन मिश्र ने रेलवे साइडिंग का उ्दघाटन किया था। लेकिन वेकोलि ने अपने कार्य के लिए इस रेलवे साइिडंग का इस्तेमाल न करते हुए वॉशरी मेसर्सः एसीबी इंडिया को इसका जिम्मा क्यों सौंपा यह समझ से परे है। वहां मौजूद एक वेकोलि कामगार के अनुसार जबसे रेलवे साइडिंग शुरू हुई है तब से अब तक वेकोलि की स्वयं की एक भी रैक नहीं गई। वॉशरी इसे सिर्फ अपने गोरखधंधे के लिए इस्तेमाल करती आ रही है।
सू्त्रों के अनुसार विदर्भ में 5 कोल वॉशरी सिर्फ कागजों पर शुरू है। वहीं दो वॉशरी का काम आरंभिक दौर में है किंतु एक भी वाॅशरी नियमित रूप से रोजाना कोयला वॉश नहीं कर पा रही है। ज्यादातर वॉशरी कबाड़ हो चुकी है और पिछले 7 सालों से बंद भी पड़ी थी। कोई भी वॉशरी नियमित रूप से नहीं चल पा रही है। रोजाना किसी न किसी तरह के मेंटेनेंस की जरुरत पड़ ही जाती है। वॉशरी को 430 रुपए प्रति टन कोयला वॉश करने के लिए भुगतान किए जाते है परंतु वॉश के नाम पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार चल रहा है। रोजाना मिक्स कोयला बगैर वॉश किए ही महाजेनको पावर प्लांट को पहुंचाया जा रहा है।
…..तेरी भी चुप मेरी भी चुप
तकनीकी सूत्रों की माने तो महाजेनको, वेकोिल व एमएसएमसी अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा बखूबी से चल रहा हैै। सभी अधिकारियों का कमिशन टन के हिसाब से फिक्स है। बताया जाता है कि, सीएमडी के सेक्रेटेरी की छत्रछाया में कोल वॉशरी का यह गैरकानूनी धंधा बखूबी फलफूल रहा है, जिससे वेकोलि के नागपुर मुख्यालय, वणी वेकोलि क्षेत्र तथा बल्लारपुर के अधिकारी मालामाल हो चुके हैं। और घाटे के गर्त मे डूबते पावर प्लांट दिवालिया होने की कगार पर पंहुच चुके है।
निरीक्षण के लिए टीम भिजवायी है…
रहाटे, अधीक्षक अभियंता ( कोल प्रोक्योरमेंट यूनिट) नागपुर का मानना है कि मेसर्सःएसीबी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की वॉशरी शुरू है। मैंने अपनी टीम को वहां भेजा भी था। जहाँ 80 हजार मीट्रिक टन हर महीने का कोयला वॉश हो रहा है। अप्रैल माह से लेकर अब तक लगभग 100 रैक से भी अधिक कोयला महाजेनको को आपूर्ति किया जा चुका है।
वॉशरी प्रबंधक ने नहीं उठाया फोन
तत्संबंध मेसर्सः एसीबी इंडिया लिमिटेड का पक्ष जानने के लिए प्रबंधक वर्मा से कई बार उनके मोबाइल पर संपर्क साधने का प्रयास किया गया परंतु उन्होंने अपना फोन ही नहीं उठाया। उन्हें मोबाइल पर मेसेज भी भेजा गया परंतु उन्होंने इसका भी कोई रिप्लाय नहीं देते हुए अनदेखा कर दिया।
सरकार को लूट सको तो लूट नहीं तो प्राण जाएंगे छूट
इस विषय को लेकर मेसर्सः इंडिया नागपुर के डायरेक्टर को निरंतर फोन लगाया गया, किंतु उनकी ओर से किसी भी तरह का कोई जवाब नहीं आ रहा है। सूत्रों की मुताबिक हर महीने की तय तारिख को कंपनी प्रबंधन,वेकोलि अधिकारी और महानिर्मिती के अधिकारी अभियंताओं तथा संबंधित राजनेताओं की आलीशान होटलों मे रंगीली पार्टी का आयोजन की खबर है? जिसमे ये भ्रष्टाचारी कंपनी प्रबंधन नेता और अधिकारी आपस मे बतियाते हैं कि “सरकार को जितना हो सके लूटो “लूट सको तो लूट नहीं तो प्राण जाएंगे छूट” हम सरकार को लूट रहे हैं ? उक्त जानकारी वरिष्ठ समाज सेवी पत्रकार टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री ने दी।