मात्र 79 मिलियन टन से उत्पादन शुरू कर विश्व की सबसे बड़ी कोयला कंपनी बनने का सफर

– CIL – 1 नवम्बर स्थापना दिवस
 
नागपुर – जिस समय देश आज़ाद हुआ हमारा कोयला उद्योग (Coal industry) निजी मालिकों के हाथों में था और कोयला मजदूरों की स्थिति (Status of coal laborers) जानवरों से भी बदतर थी।
1956 में भारत सरकार ने National Coal Development Corporation (NCDC) की स्थापना की और आंध्र प्रदेश ने सिंगरेनी कोलियरीज़ लिमिटेड का अधिग्रहण किया जिसमें आज भारत सरकार की 49% की भागीदारी शामिल है।
देश में बढ़ते हुए कोयले की माँग को पूरा करने में निजी मालिकों की नाकामी और मनमानी, कोयला मज़दूरों की दयनीय स्थिति और उनकी सुरक्षा एंव स्वास्थ के प्रति मालिकों की लापरवाही जैसी गंभीर समस्याओं के पेश-ए-नज़र तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण का फ़ैसला लिया और दो चरणों में कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। प्रथम चरण में 01 मई 1972 को 226 कोकिंग कोयला वाली खदानों का राष्ट्रीयकरण हुआ और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (Bharat Coking Coal Limited,) नामक कंपनी बनी, फिर 01 मई 1973 को 07 राज्यों में स्थित 711 नन-कोकिंग कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण हुआ और इसके प्रबंधन हेतु कोयला खान प्राधिकरण लिमिटेड ( Coal Mines Authority Limited- CMAL ) नामक कंपनी बनाई गई। तदुपरांत नवम्बर 1975 में दोनों कंपनियों को मिला कर कोल इण्डिया लिमिटेड (Coal India Limited) की स्थापना की गयी।
अपनी स्थापना के वर्ष में 79 मिलियन टन (एमटी) के साधारण उत्पादन के साथ शुरुआत करने वाली कोल इण्डिया लिमिटेड आज विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक तथा 272445 श्रमशक्ति (01 अप्रैल 2020 को) के साथ सबसे बड़े कॉर्पोरेट नियोक्ताओं में से एक है । सीआईएल अपनी अनुषंगी कंपनियों के माध्यम से भारत के आठ (8) राज्यों में फैले 84 खनन क्षेत्रों में कार्य करती है । कोल इंडिया लिमिटेड के पास 352 खदानें (1 अप्रैल, 2020 तक) हैं, जिनमें से 158 भूमिगत, 174 खुली (ओपेनकास्ट) और 20 मिश्रित खदानें हैं । इसके अतिरिक्त, सीआईएल 12 कोयला वाशरी (10 कोकिंग कोल और 2 नॉन-कोकिंग कोल) का संचालन करता है तथा कार्यशालाओं, अस्पतालों इत्यादि जैसे अन्य प्रतिष्ठानों का भी प्रबंधन करता है । सीआईएल में 26 प्रशिक्षण संस्थान और 84 व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र हैं । सीआईएल द्वारा संचालित भारत का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट प्रशिक्षण संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कोल मैनेजमेंट (आईआईसीएम), एक अत्याधुनिक प्रबंधन प्रशिक्षण का ‘उत्कृष्ट केंद्र’ है तथा यह बहु-अनुशासनिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है ।
सीआईएल एक महारत्न कंपनी है – यह उद्यमों का परिचालन विस्तार एवं वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने हेतु भारत सरकार द्वारा राज्य के स्वामित्व वाले चुनिंदा उद्यमों को प्रदत्त विशेषाधिकार है । देश के तीन सौ से अधिक केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों में से इस चुनिंदा क्लब में केवल दस सदस्य है।
सीआईएल की सात उत्पादक अनुषंगी कंपनियां हैं, जिनके नाम ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल), साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) और महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) है तथा सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) नामक एक खान योजना और परामर्श कंपनी भी है । इसके अलावा, सीआईएल की मोजाम्बिक में कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा (CIAL) नाम की एक विदेशी अनुषंगी कंपनी है । असम की खदानों यानि नॉर्थ ईस्टर्न कोलफील्ड्स का प्रबंधन सीधे सीआईएल द्वारा किया जाता है।
1973-74 से लेकर 2021-22 तक का सफर
– 2021-22 – सीआईएल का उत्पादन वित्त वर्ष 2020-21 में 596.24 एमटी के मुकाबले 4.43 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 622.64 एमटी हो गया है। इस अवधि के दौरान, सीआईएल द्वारा पिछले वर्ष के 573.80 एमटी के मुकाबले ढुलाई के लिए भेजे गए कोयले की मात्रा 661.85 एमटी हो गयी। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड ने सर्वाधिक 168.17 मिलियन टन उत्पादन दर्ज किया।
– 2020-21 – सीआईएल ने चुनौतीपूर्ण और प्रतिकूल परिस्थितियों में 596.22 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर लक्ष्य का 90% प्राप्त किया है । एनसीएल ने विगत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.5% द्धि करते हुए लक्षित उत्पादन का 102 प्रतिशत हासिल किया है । एसईसीएल ने लगातार तीसरे वर्ष 150 मिलियन टन से अधिक का उत्पादन करने का गौरव बरकरार रखा और एमसीएल ने पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 5.5% की वृद्धि के साथ 148.01 मिलियन टन का उत्पादन हासिल किया। 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में कच्चे कोयले का उठाव 574.481 एमटी और अधिभार निकासी (ओबीआर) 1344.68 मि.क्यू.मी. रहा।2020-21 के दौरान कोयले और कोयला उत्पादों का प्रेषण 573.60 मिलियन टन तथा विद्युत उपयोगिताओं (विशेष फॉरवर्ड ई-नीलामी सहित) को प्रेषण 444.97 मीट्रिक टन रहा।
– 2019-20 – कोयला उत्पादन: कोल इंडिया लिमिटेड ने 602.13 मिलियन टन (MT) कोयले का उत्पादन किया, सीआईएल ने लगातार दूसरी बार 600 मिलियन टन (MT) के रिकार्ड अंक को प्राप्त किया है।
2018-19 – कोल इंडिया लिमिटेड ने पहली बार, पिछले वर्ष की तुलना में 606.89 मिलियन टन कोयले का उत्पादन और 608.14 मिलियन टन की आपूर्ति कर, क्रमशः 6.97% और 4.8% की वृद्धि दर के साथ वित्त वर्ष 2019 के अंत में कोयला उत्पादन तथा प्रेषण में 600 मिलियन टन (MT) के रिकार्ड अंक को प्राप्त किया है। कोल इंडिया लिमिटेड ने आईएसए कॉर्पस फंड के लिए, 6.75 करोड़ रुपये से अधिक, 1 मिलियन यूएस $ के योगदान के माध्यम से, स्वयं को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के कॉर्पोरेट भागीदार के रूप में श्रेणीबद्ध किया है ।
– 2017-18 – कोल इंडिया लिमिटेड में 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली 69 कोयला-खनन परियोजना की प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर एमएस प्रोजेक्ट के साथ निगरानी शुरू की गई । कोल इंडिया ने हाल ही में सीएमपीडीआई के सहयोग से सीआईएल की 20 करोड़ रुपये और उससे अधिक की प्रचालनरत परियोजनाओं की निगरानी के लिए एक पोर्टल एमडीएमएस (माईन डाटा बेस प्रबंधन प्रणाली) का शुभारंभ किया है ।
– 2016-17- 27 अक्टूबर 2016 को कोल इंडिया को आईएस / आईएसओ 9001: 2015 (गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली) तथा आईएस / आईएसओ 50001: 2011 (ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली) प्रमाणन से अधिकृत किया गया
– 2015-16 – पहली बार, कोल इंडिया ने उत्पादन और प्रेषण में आधा-बिलियन टन से अधिक के अंक को प्राप्त किया। वित्त वर्ष 2016 के दौरान कोल इंडिया ने समग्र रूप से रिकार्ड 538.75 मिलियन टन (एमटी) कोयला उत्पादन दर्ज किया । वित्त वर्ष 2016 के दौरान कोयले के उत्पादन में लगभग 44.51 मिलियन टन की वृद्धि दर्ज की गई- यह कंपनी की स्थापना के बाद से किसी एकल वित्तीय वर्ष में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि रही। 2015-16 के दौरान, कोल इंडिया ने पहली बार 1,08,150.03 करोड़ रुपये की सकल बिक्री दर्ज करते हुए सकल बिक्री में रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ रुपये के जादुई आंकड़े को पछाडा था। कोल इंडिया देश में केन्द्र और राज्य सरकारों के राजकोषीय खजाने में उच्चतम योगदानकर्ताओं में से एक है । वित्त वर्ष 2016 में कोल इंडिया ने भारत सरकार को 7,012.35 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट टैक्स दिया।
– 2014-15- ईसीएल को बीआईएफआर से अलग कर, बीसीसीएल को मिनी रत्न का दर्जा प्रदान किया गया। कोल इंडिया देश में केन्द्र और राज्य सरकारों के राजकोषीय खजाने में उच्चतम योगदानकर्ताओं में से एक है । 2014-15 में कोल इंडिया ने, भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र में सबसे अधिक नकद भुगतानकर्ताओं में से एक के रुप में भारत सरकार को 9,572.05 करोड़ रुपये के कॉर्पोरेट कर का भुगतान किया।
– 2013-14 – कोल इंडिया को मीडिया में ‘सरकारी सार्वजनिक उपक्रम क्राउन में गहना’ एक नकद समृद्ध कंपनी ‘जो सरकारी खजाने को बढ़ावा देने के लिए सरकारी सहायक’ तथा ‘कोल इंडिया के विशेष लाभांश प्रदायकर्ता के रूप में’ नवाजा गया । यह सीआईएल के संदर्भ में 2013-14 में उच्चतम अंतरिम लाभांश घोषित करने के संदर्भ में कहा गया था।
– 2012-13 – कोल इंडिया लिमिटेड को अपने पिछले वर्ष के उल्लेखनीय प्रदर्शन के माध्यम से स्वयं को प्रतिष्ठित करने हेतु 2012 के लिए ‘प्लैट्स टॉप 250 ग्लोबल एनर्जी कंपनी रैंकिंग’ का नाम दिया गया था । 2002 से, प्लैट ने ऊर्जा कंपनियों को वैश्विक, क्षेत्रीय और उद्योग क्षेत्र में वित्तीय प्रदर्शन द्वारा स्थान दिया है। 2012 के लिए समग्र वैश्विक प्रदर्शन पर सीआईएल की रैंक 48 थी। सीआईएल एशिया / प्रशांत रिम में कोयला और उपभोज्य ईंधन में नंबर – 2 पर रहा; विश्व स्तर पर कोयले और उपभोज्य ईंधन में भी नंबर 2 पर है तथा एशिया / प्रशांत रिम में समग्र प्रदर्शन में नंबर 11 पर है । 22 जनवरी 2013 को कोल इंडिया लिमिटेड को जियोस्पेशियल मीडिया एंड कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ‘ उद्यमों में सर्वश्रेष्ठ भू-स्थानिक अनुप्रयोग’ पुरस्कार, से सम्मानित किया गया।
– 2011-12- महारत्न स्थितिभारत सरकार द्वारा 11 अप्रैल 2011 को कोल इंडिया लिमिटेड को “महारत्न ” का दर्जा प्रदान किया गया ! इस प्रकार देश के कुल 215 केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों (सीपीएसई) में से इसे 5 सर्वोत्तम पीएसयू में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ । बड़े केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को अपने अभियान का विस्तार तथा इसे सशक्त बनाने और वैश्विक कंपनियों के रूप में उभरने के लिए भारत सरकार ने केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लिए फरवरी 2010 में महारत्न योजना की शुरूआत की थी । अभी तक इस चयनित क्लब में केवल पांच सदस्य हैं । विनिर्दिष्ट बड़े नवरत्नं केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के बोर्ड को अधिक शक्तियॉं प्रदान करना, विनिर्दिष्ट मापदण्ड को पूरा करना, घरेलू और वैश्विक – दोनों बाजारों में अपने संचालनों में बढ़ोतरी करना महारत्न का उद्देश्य है। कोल इंडिया सेंसेक्स में सम्मिलितकोल इंडिया 04 नवम्बर 2010 में लिस्टिंग होने के उपरान्त नौ महीने की अल्पावधि में 30 शेयर सेंसेक्स में 08 अगस्त 2011 शामिल हुआ जो दुनियॉ भर में भारतीय अर्थव्यवस्था का पैमाना समझा जाता है। कोई अन्य कंपनी इतने कम समय में सूचकांक में शामिल नहीं हो पायी है । कोल इंडिया सेंसेक्सं में शामिल होने के बाद सिर्फ सात कारोबारी सत्रों में ही शीर्ष पर पहुँच गया । यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जाती है । देश में सबसे मूल्यवान कंपनी17 अगस्त 2011 को बाजार पूंजीकरण के मामले में कोल इंडिया देश में सबसे मूल्यवान कंपनी के रूप में उभरी जो हर व्यापार इकाई के लिए सफलता का शिखर सपना होता है । विशालकाय 2,51,296 करोड़ रुपये कंपनी का मूल्य है । क्या कभी किसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने अपनी उपलब्धि की ऐसी उदात्त ऊंचाइयों को छू पाया है। सीएमपीडीआई की गैस वसूली परियोजनारॉंची स्थित सेंट्रल माइन प्लानिंग और डिजाइन संस्थान (सीएमपीडीआई), कोल इंडिया लिमिटेड की खनन परामर्शदात्री अनुषंगी कम्पनी को कोयला खानों से ग्रीन हाउस गैस रिकवरी और गैर खननीय (अन-माइनेबुल) कोल बेड एवं ऊर्जा (जी.एच.जी.2.ई) में रूपान्तरण के लिए चिन्हित किया गया है – यह भारत में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर के साथ यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित अनुसंधान परियोजना है। परियोजना का मूल उद्देश्य कोयला खानों द्वारा उत्सर्जित मिथेन को नियंत्रित कर वैश्विक ग्रीन हाउस गैस में कमी लाने में योगदान करना है और उत्पादित मिथेन का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है । बीसीसीएल की मुनीडीह और सुदामडीह खानें इस अनुसंधान परियोजना के लिए चयनित की गई हैं । स्लोवाकिया में 06 से 09 अक्टूबर 2011 को आयोजित बैठक में सीएमपीडीआई के अधिकारियों ने भाग लिया । इंपीरियल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, लंदन के प्रो. सेवकेट डुरूकन और आईआईटी, खड़गपुर के प्रो. के. पाठक और दोनों संस्थानों के अन्य प्रतिभागियों के दल ने 16 नवम्बर 2011 को सीएमपीडीआई का दौरा किया और परियोजना के क्रियान्वयन के मामले पर विस्तार से चर्चा की । सीएमपीडीआई के अधिकारियों के साथ टीम ने विस्तृत चर्चा के लिए बीसीसीएल और मुनीडीह खान का दौरा किया । सीएमपीडीआई ने परियोजना के लिए अग्रिम भुगतान के रूप में 47,867.35 यूरो प्राप्त किया। रिकार्ड समय में राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते- IX का निष्पादन31 जनवरी 2012 को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अपने 3.63 लाख सशक्त गैर-अधिकारी श्रमशक्ति हेतु उसकी सकल मजदूरी में 25% वृद्धि कर वेतन समझौते को अंतिम रूप दिया । वेतन वृद्धि पूर्ववर्ती प्रभाव से दिनांक 01 जुलाई 2011 से पॉंच वर्षों के लिए है । वेतन समझौते के अंतिम निष्कर्ष के तौर पर देश के केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में कोल इण्डिया दूसरी बार प्रथम बना जिसने सफलतापूर्वक वेतन समझौता को अंतिम रूप दिया। अगस्त-2011 में जे.बी.सी.सी.आई. के गठन के पश्चात मात्र 6 महीने के रिकार्ड समय में एन.सी.डब्ल्यू.ए- IX संपादित हुआ। कोल इण्डिया लि. के इतिहास में वेतन समझौता इतना शीघ्र पहले कभी नहीं हुआ था।
– 2010-11- कोल इंडिया लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए अपने मुख्य कार्यनिष्पादन क्षेत्रों के लिए कोयला मंत्रालय के साथ 31 मार्च 2011 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। वित्तीय वर्ष 2011-12 के समझौता ज्ञापन के अनुसार ‘उत्कृष्ट’ रेटिंग प्राप्त करने के लिए सीआईएल द्वारा उत्पादन और कोयला ऑफ-टेक का लक्ष्य क्रमश: 452.00 मिलियन टन और 454.00 मिलियन टन निर्धारित किया गया है। संयोग से पिछले तीन वित्तीय वर्षों यानी 2007-08, 2008-09 और 2009-10 के लिए सीआईएल को ‘उत्कृष्ट’ का दर्जा दिया गया था। 2011-12 के लिए वर्तमान समझौता ज्ञापन के तहत अनुसंधान एवं विकास, निगमित सामाजिक दायित्व, सतत विकास पर विशेष जोर दिया गया और निगमित प्रशासन को प्रमुख विश्वसनीय क्षेत्र बनाया गया। ऑफ-टेक का लक्ष्य पूरा करने के लिए सीआईएल ने विगत वर्ष के दौरान प्रतिदिन उपलब्ध औसतन 156.8 रैक और वर्तमान वर्ष में प्रतिदिन उपलब्ध 161.9 रैक के स्थान पर 2011-12 के लिए प्रतिदिन 175 रैक की मांग की है। पिछले 3 वर्षों के दौरान रेल के माध्यम से कोयला ढुलाई की औसतन वृद्धि केवल 2% के आसपास है जबकि सीआईएल द्वारा उपर्युक्त लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रेल के माध्यम से 13.5 फीसदी से अधिक की वृद्धि की परिकल्पना की गई है। सीआईएल अनुसंधान एवं विकास की गतिविधियों पर 2009-10 के करीब 15 करोड़ रुपये वार्षिक से 30 करोड़ रुपये पिछले साल (2010-11) व्यय कर एक लंबी छलांग लगाई है। डीपीई के दिशानिर्देशों के अनुसार सीआईएल ने सीएसआर गतिविधियों पर व्यय के अपने लक्ष्य को भी बढ़ा दिया है। कोल इंडिया लिमिटेड ने 7 मार्च 2011 को जिनेवा में एक प्रतिष्ठित पहला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीता है। सीआईएल को “गुणवत्ता, नेतृत्व, प्रौद्योगिकी और अभिनव में उसकी प्रतिबद्धता को मान्यता देने हेतु गोल्ड श्रेणी में “सेन्चुअरी इंटरनेशनल क्वालिटी ईरा अवार्ड(सी.क्यू.ई)” से सम्मानित किया गया था। यह कहा गया था कि कोल इंडिया भारत की व्यापारिक दुनिया में सफलता का प्रतिनिधित्व करता है। यह पुरस्कार – बीजनेस इनिशिएटिव डायरेक्शन (बीआईडी), एक प्रमुख निजी संस्थान द्वारा प्रदान किया गया जो क्वालिटी मिक्स प्लान पर जोर देता है। कोल इंडिया लिमिटेड ने लोड पोर्ट से कंज्यूमिंग इंड तक सिरे से सिरे तक व्यापक (इंड-टू-इंड) तर्कसंगत समाधान निकालने हेतु एक संयुक्त उद्यम कंपनी (जे.वी.सी) परिवर्तित करने के लिए दिसम्बर 2010 में शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। वर्तमान में आयातित कोयला उपभोक्ताओं विशेषकर विद्युत स्टेशन तक व्यापक गुणवत्ता और मात्रा आश्वासन के साथ निजी और सार्वजनिक उपक्रमों – दोनों के द्वारा आपूर्ति की जाती है जबकि स्वदेशी कोयले के मामले में सीआईएल की बिक्री की शर्त है कोलियरी से रेल तक नि:शुल्क ।संयुक्त उद्यम कंपनी. का प्रमुख उद्देश्य हैं – मालिक / जहाजों के पट्टे, सर्वेक्षण ड्राफ्ट, माल का निरीक्षण, वेसेल्स उतराई, सीमा शुल्क निकासी, शोर पर निकासी और स्टेकिंग सहित भारत में उतराई पोर्ट पर कुली प्रभार रेलवे से वैगनों की मांग, उनकी लोडिंग, कोयले की गुणवत्ता संबंधी विश्लेषण और बिजली गृहों में कोयले की आपूर्ति 4 नवंबर को सीआईएल का शेयर 291/- रुपये पर सूचीबद्ध हुआ था और कारोबार के पहले दिन 342/- रुपये पर बंद हुआ । सबसे महत्वपूर्ण बात, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में राष्ट्रीय परिसंपत्ति को ‘लोगों के स्वामित्व’ के रूप में जनता के लिए पेशकश की गई थी।
21 अक्टूबर 2010 के दिन सीआईएल का आईपीओ बंद हुआ था – वह दिन कोल इंडिया लिमिटेड के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना के रूप में अंकित रहेगा। वह दिन सीआईएल के मूल्य और उसकी असली क्षमता दर्शाता है। देश और अमेरिकीय, यूरोपीय बाजारों में असंख्य रोड-शो आयोजित किये गये जिसमें अनगिनत श्रमिक घंटे लगे, के कारण सीआईएल आई.पी.ओ. को भव्य सफलता मिली। सीआईएल का आईपीओ जो भारतीय पूंजी बाजार में अब तक का सबसे बड़ा था 15.3 गुना ओवर सब्सक्राइव हुआ। 2, 35,276.55 करोड़ रुपए की कुल निधि के साथ चौंका देनेवाले रिकार्डतोड़ कंपनी के पब्लिक ऑफर को शानदार सफलता मिली जो अब तक भारतीय पूंजी बाजार में सुना नहीं गया था । निर्गम के तीनों प्रमुख क्षेत्रों यथा- योग्य संस्थानिक क्रेता (क्यू.आई.बी.), हाई नेटवर्थ इंडिभी‍डुअल (एच.एन.आई.) और खुदरा में अधिक अंशदान हुआ। पात्र संस्थागत क्रेता जिनके लिए शेयरों के शुद्ध निर्गम का 50% तक आरक्षण था, में 24.62 गुणा से अधिक ओवर सब्सक्रिप्शन था। लगभग 784 पात्र संस्थागत क्रेता निवेशकों ने 38 अरब अमेरिकी डॉलर यानी 1, 71,469.64 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जो स्वयं में भारतीय आईपीओ के इतिहास में सर्वाधिक है। रिटेल क्षेत्र में 63,639.26 करोड़ रुपये के लगभग 16.36 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे जो अब तक सभी पीएसयू के आईपीओ से सर्वोच्च था । यह भारतीय पूंजी बाजार में अब तक का उच्चतम है । दिलचस्प है, विदेशी निवेशकों ने अकेले $ 27 अरब अमेरिकी डॉलर डाले जो भारत में इस साल के पहले दस महीने एफआईआई में निवेश के बराबर है । देश की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सीआईएल के प्रस्तावित आईपीओ की अधिकतम ग्रेडिंग -5 दिया है – जो किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सबसे अच्छा है । ग्रेडिंग यह इंगित करती है कि देश में अन्य सूचीबद्ध प्रतिभूतियों की तुलना में आईपीओ की बुनियाद मजबूत है।
– 2009-10 स्टेण्डिंग कॉफरेंस ऑप पब्लिक इंटरप्राइजेज द्वारा हमारी कंपनी को वर्ष 2007-08 के लिए स्कोप एक्सिलेंस पुरस्कार दिया गया। मोजाम्बिक में कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा नामक एक विदेशी अनुषंगी कंपनी की स्थापना। हमारी कंपनी का एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में रूपांतरण। सीएमपीडीआईएल को सार्वजनिक उपक्रम विभाग, भारत सरकार द्वारा ‘मिनी रत्न’ का दर्जा दिया जाना। लोक उद्यम विभाग, भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2007-2008 में हमारी कंपनी को समग्र स्कोर 1.47 और “उत्कृष्ट” रेटिंग दिया गया।
– 2008-09 सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारत सरकार द्वारा हमारी कंपनी को हमारे परिचालन क्षमता और वित्तीय ताकत के लिए ‘नवरत्न’ का दर्जा दिया गया जिससे अधिक से अधिक परिचालन संबंधी निर्णय लेने में स्वतंत्रता और स्वायत्तता मिल सका। हमारी कंपनी और हमारी अनुषंगियों द्वारा समग्र उत्पादन 400 मिलियन को पार कर गया।
– 2007-08 सीसीएल को सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारत सरकार द्वारा ‘मिनी रत्न’ का दर्जा दिया गया।
– 2006-07 हमारी कंपनियों- एमसीएल, एनसीएल, एसईसीएल एवं डब्युसीएल को सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारत सरकार द्वारा ‘मिनी रत्न’ का दर्जा दिया गया । कर्ज के निबल मूल्य में 2001-2002 के 66% से 2006-2007 में 10% की गिरावट आई।
2005-06 हमारी कंपनी के 250 मिलियन बॉण्ड कार्यक्रम में ब्याज और मूलधन के समय पर भुगतान करने के लिए क्रिसिल द्वारा ‘एएए / स्थिर’ रेटिंग प्रदान किया जाना सुरक्षा के उच्चतम डिग्री को दर्शाता है । कोयले की बिक्री ई-ऑक्शन पद्धति द्वारा प्रारंभ किया जाना।
– वित्तीय वर्ष 2006 में ईसीएल और बीसीसीएल को 3,638 मिलियन और 2,026.67 मिलियन रुपये का लाभ हुआ
– 2003-04 हमारी कंपनी और अनुषंगियों द्वारा कोयले का कुल उत्पादन 300 मिलियन टन को पार कर गया।
– 2001-02 परियोजना के विकास के लिए आवश्यक 85% की क्षमता उपयोग पर न्यूनतम वापसी की आंतरिक दर में 12% की कमी कर दी गई है।
– 1997-98 हमारी कंपनी और अनुषंगियों के बीच वित्तीय प्रवाह का निगमीकरण जिससे लागू नीति के तहत हमारी कंपनी को अनुषंगियों से केवल लाभांश प्राप्त होता रहे और हमारी कंपनी की निधि का उपयोग घाटे वाली कंपनियों को नीतिगत समर्थन प्रदान करने के साथ-साथ उत्पादक पूँजीगत परिसम्पत्तियों को बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता था। उपकरणों की वैश्विक सोर्सिंग जिसमें वित्तीय वर्ष 1998 से 2004 की अवधि के दौरान 484.40 मिलियन अमरिकी डॉलर उपयोग करने के साथ 24 उच्च क्षमता वाली परियोजनाओं को लागू करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के रूप में विश्व बैंक और जापानी बैंक से 1.03 अरब अमरीकी डालर के ऋण की स्वीकृति मिली ।
– 1996-97 हमारी कंपनी द्वारा जारी 4,००० मिलियन बांड के संबंध में ब्याज और मूलधन के रुपये समय पर भुगतान करने पर क्रिसिल द्वारा ‘ए +’ रेटिंग दिया जाना पर्याप्त सुरक्षा का संकेत है । कोयला विकास परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए आधार के रूप में वित्तीय व्यवहार्यता को ग्रहण करना । प्रतिधारण कीमत योजना और कुछ ग्रेड के कोयले की कीमतों में ढील के साथ कोयला मूल्य नियमन खाता (CPRA) की समाप्ति।
– 1995-96 सरकार द्वारा वित्तीय पुनर्गठन पैकेज का अनुमोदन जिसके द्वारा देय ब्याज के 8,917 लाख रुपये माफ किये गये थे, योजना ऋण चुकौती बकाया के 9,041.8 लाख रुपए प्रीफरेंस इक्विटी में तबदील कर दिये गये थे और 4,326.4 लाख रुपये गैर योजना भुगतान बकाया की चुकौती हेतु पुनर्भुगतान के लिए श्रृणस्थगन की मंजूरी और तीन वर्ष की अवधि के लिए प्रोद्भवन(एक्रूअल) ब्याज तीन बराबर किश्तों में चुकाये जाने की अनुमति दी गई । वित्तींय वर्ष 1996 में हमारी कंपनी ने 7,116 मिलियन रुपये का लाभ अर्जित किया।
– 1992-93 उड़ीसा राज्य में तालचर और ई-वैली खदानों के प्रबंधन के लिए एम.सी.एल. का हमारी अनुषंगी के रूप में गठन किया गया।
– 1991-92 1991 से लाभ होना शुरू हुआ और हमारी कंपनी ने वित्तीय वर्ष 1992 में 1670 लाख रुपये का लाभ अर्जित किया । हमारी कंपनी एवं अनुषंगियों द्वारा समग्र रुप से 200 मिलियन टन कोयले के उत्पादन को पार कर गया। ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्रियल कॉस्ट एवं प्राइसेस (“BICP “) द्वारा निर्धारित वृ‍द्धि फार्मूले को अपनाकर एक मानक लागत के आधार पर सामग्री की बढ़ी हुई कीमत की प्रतिपूर्ति हेतु वर्ष में एक बार कोयले का मूल्य निर्धारित किया गया।
– 1987-88 बीसीसीएल के अधीन ईस्ट कतरास खान एवं ईसीएल के अधीन चोपरा खान में ब्लास्टिंग गैलरी पद्धति को लागू किया गया ।
– 1985-86 डब्युसीएल और सीसीएल द्वारा प्रबंधित कुछ खानों के प्रबंधन के लिए एनसीएल और एसईसीएल के रूप में अनुषंगी कंपनी की स्थापना की गई।
– 1981-82 31 मार्च, 1982 को अधिसूचना द्वारा कोलियरी कंट्रोल ऑर्डर, 1945 में संशोधन करके हमारी अनुषंगियों के संबंध में कोयले का रिटेनशन कीमत लागू किया गया।
– 1980-81 पॉंच नई वाशरियों – मुनीडीह वाशरी, रामगढ़ वाशरी, मोहुदा वाशरी, बरोरा वाशरी, केदला वाशरी का निर्माण किया गया हमारी कंपनी एवं अनुषंगियों द्वारा कोयले का कुल उत्पादन 100 मिलियन टन को पार कर गया।
– 1979-80 लघु तापीय कार्बोनाइज्ड संयंत्र का निर्माण डानकुनी कोल कम्पलेक्स में प्रारंभ किया गया । कंपनी “न लाभ न हानि” के आधार पर काम करने के बजाय व्यावसायिक लाइन पर काम कर रही है या नही को सुनिश्चित करने के लिए सीएमपीडीआईएल की कीमत नीति की समीक्षा की गई।
– 1975-76 हमारी कंपनी का नाम बदलकर ‘कोल इंडिया लिमिटेड’ कर दिया गया। सीएमपीडीआईएल, ईसीएल एवं डब्युसीएल का समावेश किया गया और बीसीसीएल, सीसीएल, सीएमपीडीआईएल, ईसीएल और डब्युसीएल के रूप में हमारी अनुषंगी कंपनी का गठन।
– 1973-74 देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने हेतु कोयला क्षेत्र में उच्च विकास के लिए कोयला खानों के राष्ट्रीयकरण किया गया। ‘कोयला खान प्राधिकरण लिमिटेड’ के रूप में हमारी कंपनी के निगमन।

Contact us for news or articles - dineshdamahe86@gmail.com

NewsToday24x7

Next Post

शिंदे-फडणवीसांना ठेकेदारांचा हिस्का; हिवाळी अधिवेशन अडचणीत ?

Wed Nov 2 , 2022
नागपूर :- हिवाळी अधिवेशनाची जय्यत तयारी सुरू असतानाच सार्वजनिक बांधकाम विभागाच्या (PWD) ठेकेदारांनी (Contractors) १२२.७४ कोटींची थकबाकी मिळवण्यासाठी दबाव वाढविला आहे. थकबाकी नाही, तर अधिवेशनाचे काम नाही, असा इशारा त्यांनी दिला आहे. नागपूरमध्ये १९ डिसेंबरपासून हिवाळी अधिवेशनाला प्रारंभ होणार आहे. यंदा सुमारे ९५ कोटी रुपयांच्या खर्चाचे नियोजन सा.बां. विभागाने केले आहे. हाती अवघा दीड महिना शिल्लक असल्याने झटपट कामे करायचे […]

You May Like

Latest News

The Latest News

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com