नागपुर :- बर्डी स्थित संगम चॉल की दूकान धारकों को नागपुर सुधार प्रन्यास ने वर्ष 1981 से लेकर 2002 के बीच अलग-अलग नोटिस तो जारी किए किंतु इसके बाद अवैध निर्माण को हटाने के लिए किसी तरह की कार्रवाई नहीं की.
इसे लेकर जयंत बूटी एवं अन्य ने हाई कोर्ट में वर्ष 2010 में याचिका दायर की. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने दूकानदारों को जारी किए गए नोटिस के अनुसार यदि किसी तरह की न्यायिक अड़चन न हो तो कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होने का आदेश प्रन्यास को दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. पीपी कोठारी, प्रन्यास की ओर से अधि. सुधीर पुराणिक और मध्यस्थ दूकानदारों की ओर से अधि. यश माहेश्वरी ने पैरवी की.
द्वितीय अपील पर ‘जैसे थे’ का आदेश
सुनवाई के दौरान मध्यस्थता करने वाले दूकानदारों ने बताया कि उनकी ओर से हाई कोर्ट में ही अलग से द्वितीय अपील दायर की गई. इसमें हाई कोर्ट ने ‘जैसे थे’ की स्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया है. प्रन्यास की ओर से बताया गया कि प्राथमिक स्तर पर 15 अक्टूबर 2010 को दिए गए नोटिस के अनुसार ही प्रन्यास उचित कदम उठाना चाहता है. इसे लेकर 7 अगस्त 2023 को 5 दूकानदारों को नोटिस जारी किया गया है. दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया. याचिकाकर्ता याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. कोठारी ने कहा कि बूटी की ओर से किरायेदारों को खाली जगह किराये से दी गई थी जिस पर अस्थायी रूप में टीन के शेड तैयार करने के लिए किरायेदारों ने प्रन्यास से अनुमति मांगी थी.
केवल 6 माह की अस्थायी अनुमति
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि प्रन्यास ने नियमों के अनुसार 6 माह के लिए अस्थायी अनुमति दी किंतु उसके बाद से उसके द्वारा किसी भी तरह से इस पर ध्यान नहीं रखा गया. प्रन्यास अधिकारियों की अनदेखी का आलम यह रहा कि धीरे-धीरे यहां निर्माण कार्य स्थायी होते चले गए. मामला उजागर होने के बाद प्रन्यास ने नोटिस तो जारी किए किंतु कार्रवाई नहीं की. वर्षों बीतने के कारण अतिरिक्त निर्माण हुआ है. अत: अवैध निर्माण तोड़ने के लिए नये सिरे से नोटिस जारी करना जरूरी था. इसके अनुसार अब नया नोटिस जारी किया गया है.