नागपूर :- जीवन के आखरी सांस तक समाज के प्रति कल्याण का भाव रखना हर किसी के बस में नही होता. पर सोमलवाडा स्थित 58 वर्षिय दिलीप लहानू पाटीलने दुनिया से अलविदा करते समय भी समाजके ऋण को चुकाने का मौका हाथ से छुटने नही दिया. साधारण बिमारीसे लडते समय 31 अक्तूबर को दिलीप पाटील ने डिगडोह स्थित शालिनीताई मेघे मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल और रिसर्च सेंटर में आखरी सांस ली. उनकी इच्छा के अनुसार दिलीप पाटील की 15 साल से देखभाल कर रहे केअर टेकर एवं अस्थिरोग विभाग के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. कुणाल सावजी और मुख्य वैद्यकीय अधिक्षक डॉ. वसंत गावंडे ने पाटील का उ्त्तरिय मेडिकल की पढाई करने वाले संशोधकों के लिए दान कर दिया.
बिमारी के चलते दिलीप पाटील को शहर के सबसे बडे ६५ बेड की क्षमता वाले आयसीयू में भरती कराया गया. जहां पूर्ण काल विशेषज्ञ और सुपर स्पेशालिस्ट चिकित्सकों ने उनकी देखभाल की. दुर्भाग्य वश उपचार के दौरान दिलीप पाटील ने 31 अक्तूबर को अपनी आखरी सांस ली. मृत्यू के पूर्व पाटील ने अपना खयाल रखने वाले डॉ. सावजी और डॉ. गावंडे से बातचित के दौरान मरणोपरांत देहदान इच्छा प्रकट की थी. इस बात का जिक्र डॉ. सावजी और डॉ. गावंडे ने नर्सिंग पर्यवेक्षक यशवंत वाघमारे और पंतप्रधान जन आरोग्य योजना के व्यवस्थापक रितेश गुजरकर से किया.
इसके बाद दिलीप पाटील के चाचा सुनील सावजी, उनके स्नेही प्रवीण चिमलवार इन दोनों का समुपदेशन किया गया. दिलीप का देह मरणोपरांत वैद्यकीय चिकित्सा की पढाई करने वाले स्नातकों को लाभदायी होने की बात इन दोनों को पसंद आ गयी. इन दोनों ने देहदान को सहमती देने के बाद डॉ. गावंडे ने शालिनीताई मेघे अस्पताल के प्रशासकीय अधिकारी नीरज कलिहारी, डॉ. शिवम गुप्ता, डॉ. इशांगी निमगडे, आशिष दरणे और भाग्यश्री गोहणे की टीम के साथ समन्वय किया. उसके बाद दत्ता मेघे मेडिकल कालेज के शरीर रचना शास्त्र विभाग के साथ संपर्क साध कर उनका देह विभाग प्रमुख डॉ. तृप्ती बलवीर को सुपूर्द किया गया.
इस देहदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते समय अधिष्ठाता डॉ. उज्वल गजबे ने बताया की विज्ञान के भलाई के लिए दिया गया कोई भी बलिदान व्यर्थ नही जाता. दिलीप पाटील का देहदान भी उसी गौरव के साथ देखा जाएगा. मरणोपरांत उनका देह भी मेडिकल की पढाई करने वाले चिकित्सकों को निश्चित तौर पर लाभदायी साबित होगा.
शालिनीताई मेघे हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के संचालक डॉ. अनुप मरार ने बताया, ज्ञान अर्जित करना और सकारात्मक उर्जा की खोज करना मानव के अदम्य साहस की इच्छाशक्ती की नरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. वैद्यकीय चिकित्सा क्षेत्र भी इस खोज के लिए अछुता नही है. उस वजह से दिलीप पाटीलजी ने जीवन के आखरी सांस संजोया हुआ समाजसेवा का यह भाव हमेशा प्रेरणादायी रहेगा.