नागपुर –WCL के खदानों की शुरुआत कामचोर,निकम्मों अर्थात बिना काम के मासिक वेतन सह सुविधा उठाने वालों से हुई हैं.क्यूंकि इस श्रेणी के लोग चापलूसी का उद्योग चलाते हैं या फिर किसी न किसी अधिकारी के ‘भक्त’ या सर्व-सुविधा उपलब्ध करवाने वाले नुमाइंदे होते हैं.आज की सूरत में वेकोलि के हर खदान में ऐसे निकम्मों और कामचोरों की संख्या दर्जन पार हैं,इनमें से कुछ कामगार संगठनों की आड़ में रोटी सेक रहे,जिसे वेकोलि मुख्यालय का शह हासिल हैं.
हाल ही में वणी नार्थ क्षेत्र के उकणी खुली खदान का मामला प्रकाश में आया.इस खदान में कार्यरत सचिन आर खाडे लिपिक होने के साथ ही उकणी गांव के सरपंच भी है और तो और भाजपा पक्ष के ‘काड़ीकर्त्ता भी है,इनका बड़ा रुदबा है इसलिए इस खुली खदान के अधिकारियों को अपने जेब मे रखने का नियमित दावा करते हैं,इसी बिना पर ये अपने घर से हाजरी हर महीने अपनी तनख्वाह उठाते हैं.
इनकी तैनातगी खदान के सुरक्षा विभाग में होने के बावजूद उनका OUTPUT शून्य अंकित होने के बावजूद इनका खदान क्षेत्रीय कार्यालय में बोलबाला होना वेकोलि मुख्यालय की कार्यशैली पर उंगलिया उठा रही हैं. उल्लेखनीय यह है कि खानापूर्ति के लिए जब कभी स्थानीय वेकोलि प्रशासन कार्रवाई करती है तो उक्त ‘दामाद’ आंदोलन कर सम्बंधित अधिकारियों को मानसिक रूप से परेशान करता हैं.इसके बावजूद ऐसे ‘दामादों’ को वेकोलि मुख्यालय का शह होना समझ से परे हैं.