बीते डेढ़ साल में महाराष्ट्र राज्य दो बार सियासी भूकंप झेल चुका है. पहली बार एकनाथ शिंदे की बगावत से दो-फाड़ हुई और दूसरी बार अजीत पवार के नेतृत्व में एनसीपी भी दो टुकड़े हो गई. जाहिर है कि अब बारी कांग्रेस की है…. और हां, ये बात हम नहीं कह रहे हैं,…. बल्कि कांग्रेस के ही एक वयोवृद्ध वरिष्ठनेता कि राज्य में मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं और केंद्र में मंत्री भी रहे हैं… वे कह रहे हैं! तब तो बात में दम लगता है…. आईए देखते हैं कि वह सियासी भूकंप कैसे होगा? क्या इस भूकंप में के 14 विधायक टूट कर बीजेपी या शिंदे की शिवसेना अथवा अजित पवार की एनसीपी में चले जाएंगे? और क्या महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव…. आसन्न लोकसभा चुनाव के साथ ही निपटा लिए जाएंगे?
कांग्रेस में विभाजन की बुनियाद तो उसी दिन रख दी गई थी, जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर भाजपा के समर्थन से अपनी सरकार बनाई थी…. उस सरकार के फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस के 10 विधायक नहीं पहुंच पाए थे. इनमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी शामिल थे… तब उन्होंने बताया था कि वे और उनके साथी 10 विधायक किसी कारणवश लेट हो गए और सदन का गेट समय पर बंद हो गया था. यह बेहद रहस्यपूर्ण बात थी कि एक पूर्व मुख्यमंत्री समय पर सदन में कैसे पाए थे? हालांकि तब शिंदे सरकार को जीतना ही था और तब वह जीत भी गई,…… राज्य कांग्रेस में तभी से खलबली मची हुई है कि कुछ न कुछ गड़बड़ वाला है… और अब सरेआम ऑपरेशन लोटस की तैयारी चल रही है.
इसी का एक नमूना कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा के रूप में दिल्ली श्वरों ने पेश किया है. ये मिलिंद देवड़ा, कांग्रेस के स्टार नेता राहुल गांधी के बहुत खास मित्र थे. लेकिन उन्होंने कांग्रेस के रवैये और नीतियों से तंग आकर पार्टी को ‘राम- राम’ कर दिया …. और शिंदे एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए. जब मिलिंद देवड़ा के शिवसेना में शामिल हुए, उस अवसर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने देवड़ा का स्वागत करते हुए एक बहुत बड़ी बात कही थी. उन्होंने कहा था कि’ यहतो ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है!’ इसका मतलब यह हुआ कि शिवसेना या भाजपा में कांग्रेस के कुछ और बड़ेनेता या विधायक शामिल हो सकते हैं!