नागपुर :- मनपा की तरह घोटालों को लेकर नागपुर महानगरपालिका कर्मचारी सहकारी बैंक भी कई बार चर्चाओं में रहा है. इन घोटालों को उजागर करते हुए ही चुनाव में उतरी नई टीम ने बाजी मारकर संचालक मंडल पर अपना कब्जा तो कर लिया लेकिन अब ईश्वर मेश्राम की अध्यक्षता में बने संचालक मंडल ने उन्हीं घोटालों पर पर्दा डालने की प्रक्रिया शुरू की है.
इसका जीता जागता उदाहरण उस समय देखने मिला जब संचालक मंडल की बैठक में भर्ती घोटाले में नौकरी पाने वाले कर्मचारियों को पदोन्नति देने की मंजूरी प्रदान कर दी गई.
इस तरह से अब नया संचालक मंडल भी घोटालेबाजों के कुनबे में शामिल हो गया. यह आरोप लगाते हुए अब इसे बर्खास्त करने की मांग की जा रही है. सूत्रों के अनुसार पिछले संचालक मंडल के पदाधिकारियों ने अपने 30 रिश्तेदारों को नौकरी पर लगाने के लिए परीक्षा में धांधली की थी जिसे लेकर मामला न्यायालय तक पहुंच गया.
न्यायप्रविष्ट मामले की भी परवाह नहीं
उल्लेखनीय है कि पिछले संचालक मंडल द्वारा किए गए घोटालों को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया. नये संचालक मंडल के पदाधिकारियों को भी इसकी भलीभांति जानकारी है. इसके बावजूद अदालत की परवाह किए बिना भर्ती घोटाले के सहारे लगे सभी कर्मचारियों को पदोन्नति देने का प्रस्ताव संचालक मंडल की बैठक में लाकर इसे मंजूरी भी प्रदान कर दी गई
सूत्रों के अनुसार नये संचालक मंडल के कुछ पदाधिकारियों ने सभी धांधलियों पर परदा डालने के लिए भ्रष्ट तंत्र अपनाना शुरू कर दिया है. पूरे संचालक मंडल के नाम पर सभा में प्रस्ताव लाकर उसे वैध बनाने की नई कार्यप्रणाली अपनाई जा रही है. बताया जाता है कि इस संदर्भ में मामला उजागर होते ही अब नये संचालक मंडल को कानूनी नोटिस भी जारी किया गया जो संभवत: एक-दो दिनों के भीतर संचालक मंडल को प्राप्त होगा.
रिश्तेदारों को बैंक में दी नौकरी
– शिकायतकर्ता का मानना है कि एक ओर जहां इस तरह की धांधली की गई वहीं बैंक की भर्ती प्रक्रिया में भी गड़बड़ी कर रिश्तेदारों को नौकरी प्रदान की गई है. इसे लेकर भी लगातार जांच की मांग की जारी है. इसकी जांच के बदले उन्हीं कर्मचारियों को पदोन्नति दी गई है.
-इसके अलावा जीएसटी घोटाले के मामले में जिस कंपनी से कोटेशन दिए गए वह ही बंद थी. ऐसे में जीएसटी कहां गया, इसकी जांच करने की बजाय नये संचालक मंडल ने चुप्पी साध ली है.
-इस तरह के कई सवाल होने से पूरी जांच के लिए केंद्र और राज्य सरकार से शिकायत की गई है. नये संचालक मंडल ने चुनाव के दौरान ऐसे सभी मुद्दों पर पहल करने का आश्वासन सदस्य मतदाताओं को दिया था किंतु अब स्वयं घोटालेबाजों के साथ लिप्त होते जा रहे हैं.