भागीरथी संगम गंगासागर में 80 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकियां लगाई

गंगासागर में स्नान-ध्यान का बडा ही महत्व

कोलकाता :- सृष्टिकर्ता भगवान ब्रम्हदेव के कमण्डल से प्रकटी गंगामैया भागीरथ की तपस्या से गंगा जी शंव शंकर की जटाओं मे समाई तत्पश्चात वह धरती पर आई। धर्म शास्त्रों के अनुसार भागीरथ गंगा सहित अनेक पुण्यदायिनी महानदियों का संगम समूह गंगासागर द्वीप पर होता है और इसीलिए गंगासागर में स्नान और ध्यान का धर्म शास्त्रों मे बडा ही पुण्य एवं महत्व बतलाया गया है।

इस मर्तबा मकर संक्रांति के मौके पर गंगा सागर स्नान के लिए करीबन 80 लाख की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। वैसे वैदिक सनातन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति पर गंगा सागर में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप-ताप-ग्रह-व्याधि नष्ट हो जाती हैं और आलौकिक पुण्य की प्राप्ति होती है।क्योंकि गंगासागर संगम मे मिलने वाली महानदियों में भागीरथीगंगा,गंगोत्री,यमनोत्री,अलखनंदा, ब्रम्हपुत्रा, कावेरी, मंदाकिनी,सिंधु,सतलज,सूर्य पुत्री ताप्ती, क्षिप्रा, चंद्रभागा, कोसी,घाघरा,चंबल, बेतवा, व्यासनदी इत्यादियों का समावेश होता है ये सभी महानदियों का उद्गम हिमालय है और हिमालय पर्वत की कंदराओं के भूगर्भ मे अनेकों प्रकार की धातुओं तथा हजारों प्रकार की अमृत औषधियां कन्द-मूल-फल का अर्क-रस रासायन उक्त महानदियों के जल मे समाहित है। परिणामतः पृथ्वी पर विचरण करने वाले मानव जाति सहित अन्य सभी जीव जन्तुओं के लिए जीवन दायिनी गंगाजल को अमृत तुल्य माना जाता है। आयुर्विज्ञान की माने तो हर मकर संक्रांति पर्व पर गंगासागर मे स्नान से मनुष्य स्वास्थ्य-निरोगी होता है तथा उसकी श्रद्धा भक्ति और निष्ठानुसार मोक्ष की भी प्राप्ति होती है

जनवरी 2023 गंगा सागर मेले में जाने से पहले कोलकाता के आऊटराम घाट, बाबूघाट के पास सरकार की ओर से श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था की है। यहां पर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरांचल, झारखंड,हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, सहित विश्व हिंदू परिषद और भारत क्षेत्रीय समाज जैसे समाजसेवी संस्थाएं लोगों की सेवा में जुटी हैं…

कोरोना समाप्ति के बाद पहली बार पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में आयोजित गंगासागर मेले को लेकर लोगों में भारी उत्साह देखा गया है। 8 जनवरी से शुरू हुए इस मेले ने अब रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया है। धीरे-धीरे देश और दुनिया के नागा सन्यासी, साधु-संत महात्माओं और श्रद्धालु पहुंचने शुरू है। मकर संक्रांति से पहले ही श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाना शुरू कर दिया था। मेला मकर संक्रांति के बाद 18 जनवरी तक चलेगा।समाचार लिखे जाने तक इस गंगासागर मेले में 80 लाख से अधिक भक्तगण यहां पर पंहुच चुके हैं। हालकि मेले को लेकर पं बंगाल सरकार ने बड़े स्तर पर व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद इसकी सारी व्यवस्थाओं को आंखों देखा हाल वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से देख रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने मंत्रिमंडल के दस से अधिक मंत्रियों की अलग-अलग जगह ड्यूटी भी लगाई है।

हर साल जनवरी महीने में मकर संक्रांति के आसपास गंगासागर मेले का आयोजन किया जाता है। यह पश्चिम बंगाल राज्य में सागर द्वीप या ‘सागरद्वीप’ में होता है। मकर संक्रांति मकर संक्रांति के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाने के लिए सागर द्वीप जाते हैं।

कोलकाता का आउटराम घाट और बाबूघाट है पहला पड़ाव

गंगा सागर मेले में जाने से पहले भागीरथ गंगा तट पर स्थित आऊटराम घाट और बाबूघाट कोलकाता के पास सरकार की ओर से श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था की गई है। यहां पर राजस्थान,गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, हरियाणा, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश की विश्व हिंदू परिषद शाखाएं और भारत की क्षेत्रीय समाज जैसे समाजसेवी संस्थाएं लोगों की सेवा में जुटी हैं। यहां पर करीब 55 कैंप लगाए गए हैं, जिनमें सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाएं लोगों के रहने, खाने और मुफ्त चिकित्सा व्यवस्था बंदोबस्त कर की गई हैं। यहां पर सरकार की तरफ से हर तरह की सुविधाएं दी हुई है। यहां से यात्री गंगासागर मेले के लिए रवाना होते हैं।

सेवा ही परमो धर्म:, रात-दिन जुटे हैं सेवा में

यहां पर लोगों की सेवा के लिए बिहार नागरिक संघ के चेयरमैन नरेश श्रीवास्तव, अवध समाज, काशी विश्वनाथ समाज, बुन्देलखण्ड अग्रहरि समाज,कोलकाता कसोधन समाज आदि के पदाधिकारियों ने बताया कि सभी संगठन पिछले कई वर्षों से लगातार मानवता की सेवा में लगा है। यहां पर आने वाले लोगों को सब कुछ नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। रोजाना करीब-करीब 1से डेढ से दो लाख लोग यहां पर भोजन करते हैं। यहां पर ठहरने की पूरी व्यवस्था है। इसी तरह से विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने भी यहां पर कैंप लगाया है, जिसमें रहना, भोजन और मेडिकल सुविधा पूरी तरह से नि:शुल्क है। महावीर प्रसाद बजाज ने बताया कि यहां सभी समाज शिबीरों मे रोजाना करीब तीन से चार लाख श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसाद और चाय-नास्ता की व्यवस्था की जाती है। पिछले 20-25सालों से परिषद हर साल इसका आयोजन करता आ रहा है।

गंगासागर दीप पर आने-जाने की है पूरी व्यवस्था

तीर्थयात्रियों को किसी तरह से परेशानी न हो इसके लिए 2250 सरकारी बसों की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, 500 निजी बसें, 4 बार्ज, 32 जहाज, 100 लॉन्च, 21 जेटी की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही रेलवे से मेले के दौरान हावड़ा, सियालदा नामखाना के लिए अतिरिक्त ट्रेनें चलाने का अनुरोध भी किया है। यात्रियों की सुविधा के लिए नाविक भी मौजूद रहेंगे। वे यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखेंगे। यात्री एक टिकट में गंगासागर की यात्रा कर सकते हैं।

सुरक्षा व्यवस्था के हैं कड़े इंतजाम

पं बंगाल सरकार ने मेला परिसर में किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए मेगा कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। वहीं से सीसीटीवी तथा वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पूरे मेले पर नजर रखी जा रही है। साथ ही मेला परिसर में 1100 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा 2100 सिविल डिफेंस व अन्य वालंटियर्स सेवा दे रहे हैं। 10 अस्थाई फायर स्टेशन बनाए गए हैं, जहां 25 दमकल गाड़ियां हैं। यात्रियों को परेशानी न हो इसके लिए 10 हजार से ज्यादा शौचालयों को तैयार किया जा रहा है।

कोविड महामारी के दौरान गंगासागर द्वीप में मकर संक्रांति के अवसर पर लगने वाले मेले को कई पाबंदियों का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्सव में शामिल नहीं हो पाए थे। दो साल बाद श्रद्धालुओं को उत्सव में शामिल होने का मौका मिल रहा है। गंगासागर मेले में 14 से 15 जनवरी को पवित्र स्नान होगा।

संक्रांति गंगासागर मेले का पौराणिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार, राजा सगर अश्वमेध यज्ञ का आयोजन कर रहे थे। राजा इंद्र ने घोड़े को चुरा लिया और घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया। राजा सगर के पुत्रों ने घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम के पास देखा तो उन्होंने मुनि को चोर समझ लिया। क्रोधित मुनि ने लड़कों को श्राप देकर भस्म कर दिया। राजा सगर के पोते भागीरथ ने वर्षों तपस्या कर पवित्र गंगा से अपने पूर्वजों की राख पर बहने का अनुरोध किया। पवित्र गंगा ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और स्वर्ग से नीचे आईं और राजा सगर के लड़कों की राख को धोया। उनके पूर्वजों की आत्माओं को मोक्ष मिला। यही कारण है कि मोक्ष प्राप्त करने और पुराने पापों से मुक्ति पाने के लिए लाखों लोग सागर द्वीप पहुंचते हैं और गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं। मकर संक्रांति के दिन भक्त भगवान सूर्य चढ़ाकर उनकी पूजा करते है।

हालही कामाख्या शक्तिपीठ असम के दर्शन पूजन एवं गंगासागर स्नान से लौटे पत्रकार टेकराम सनोडिया शास्त्री के अनुसार मकरसंक्रांति पर्व पर सर्व प्रथम नांगा साधुओं ने गंगासागर मे स्नान किया तत्पश्चात दूर दूर से आये लाखों श्रद्धालुओं ने स्नान किया। गंगासागर मेला परिसर मे जगह जगह कर्मकाण्डी पण्डा पुजारियों और पंडितों द्धारा विधिवत वेदमंत्रोचार से श्रध्दालुओं को श्राप विमोचन, गंगा पूजन,मातृ तर्पण, पितृ तर्पण, गुरु तर्पण, अर्चन परिमार्जन एवं शांतिपाठ कराया जा रहा है।

मेला यात्रियों के लिए स्वास्थ्य सेवा शिबीर सुविधा व्यवस्था मे कार्यरत बुंदेल अग्रहरि समाज कोलकाता के अध्यक्ष शिवकुमार अग्रहरि, उपाध्यक्ष प्रेमचंद अग्रहरी,मुन्नालाल अग्रहरी, ओमप्रकाश अग्रहरि ड,हनुमान प्रसाद अग्रहरि ,विश्वनाथ अग्रहरि,प्रेमचंद् अग्रहरि,ठाकुर प्रसाद अग्रहरि,देवनारायण अग्रहरि,राजेश अग्रहरि, अमरनाथ अग्रहरि,जगतनारायण अग्रहरि,किरण ठाकुर, कु पूजा साव, उत्तरप्रदेश तथा पं बंगाल से ब्राम्हण समाज की अनेक सेवा भावी संस्थाएँ प्रयासरत है।

उक्त जानकारी गंगासागर द्वीप से लौटे समाज सेवी पत्रकार टेकराम उर्फ टेकचंद्र शास्त्री ने विज्ञप्ति मे दी है।

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