नागपुर :- हिवरी नगर के श्री बड़ी मारवाड़ माहेश्वरी भवन में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ जारी है। 1008 जगतगुरु स्वामी रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य महाराज भक्तों को कथा के प्रसंग से अवगत करा रहे हैं। आज कथा के 6वें दिवस उन्होंने कहा कि दूसरे की पीड़ा को समझने वाला और मुसीबत में दूसरों की सहायता करने के समान कोई पुण्य नहीं है। अत: जीव को धन, प्रतिष्ठा के साथ सामाजिक कार्यों में सेवा करनी चाहिए।
उन्होंने आज उद्धव चरित्र का वर्णन किया। उद्धव साक्षात गुरु बृहस्पति के शिष्य थे। मथुरा प्रवास में जब श्री कृष्ण को अपने माता-पिता तथा गोपियों के विरह दुख का स्मरण होता है तो उद्धव को गोकुल भेजते हैं। गोपियों के वियोग-ताप को शांत करने का आदेश देते हैं। उद्धव सहर्ष कृष्ण का संदेश लेकर ब्रज जाते हैं और गोप तथा गोपियों को प्रसन्न करते हैं और श्री कृष्ण जी के प्रति गोपियों के कांता भाव के अनन्य अनुराग को प्रत्यक्ष देखकर उद्धव अत्यंत प्रभावित होते हैं। वे श्री कृष्ण का यह संदेश सुनाते हैं कि तुम्हे मेरा वियोग कभी नहीं हो सकता,क्योंकि मैं आत्मरूप हूॅं। सदैव मेरे ध्यान में लीन रहो। तुम सब वासनाओं से शून्य शुद्ध मन से मुझ में अनुरक्त रहकर मेरा ध्यान करने में शीघ्र ही मुझे प्राप्त करोगी। उन्होंने कहा कि उद्धव और श्रीकृष्ण का संवाद जीवात्मा-परमात्मा के संवाद जैसा ही समझना चाहिये, जिसमें उद्धव जीवात्मा और परिपूर्णतम भगवान् श्रीकृष्ण स्वयं परमात्मा ही हैं । 14 जनवरी को कथा विराम होगी। कथा का समय सुबह 9 बजे रखा गया।
व्यासपीठ का पूजन कांतिलाल राठी परिवार, नारायण सारडा ,नंदू कालंत्री ,चंद्रकांता सारडा, विनय सारडा, राजेश काबरा, जगदीश बंग, कमलेश पुजारी, नरसिंह सारडा, जितेंद्र महेश्वरी, संतोष मालू, वीणा केला, राधिका मुंद्ड़ा, जयश्री बियानी, रेखा जोशी, पूर्णिमा काबरा, मीना दरक, विवेक सारडा, योगेश मालपानी, जितेंद्र माहेश्वरी, कृष्णा मानधना, मनोज लोया, धर्मेंद्र बजाज, जगदीश जोशी, श्रीनाथ चांडक, बनवारी भूतड़ा, प्रणय डागा, मधुबाबू सारडा, संपत मानधना, शरद धुत, सुभाष रान्धड, गिरिराज बियानी, बनवारी सारडा, नरसिंग सारडा,ओम तोषनीवाल, मनोज खेमानी, सतीश बियानी, प्रहलाद जाजू, योगेश मालपानी, निमिष मालपानी ने किया।