– “इन टिकटों पर कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से प्रभु राम के प्रति भक्ति व्यक्त की गई है”
– “प्रभु राम, माँ सीता और रामायण से संबंधित शिक्षाएँ समय, समाज और जाति की सीमाओं से परे हैं और प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ी हुई हैं”
– “ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, अमेरिका, न्यूजीलैंड समेत दुनिया के कई देशों ने प्रभु राम के जीवन प्रसंगों पर बड़े प्रेम से डाक टिकट जारी किए हैं”
– “रामायण की कहानी तब तक लोगों के बीच प्रचलित रहेगी जब तक पृथ्वी पर पहाड़ और नदियाँ हैं”
नई दिल्ली :-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर को समर्पित छह विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किए, साथ ही विश्व के अलग-अलग देशों में प्रभु श्रीराम से जुड़े जो डाक टिकट पहले जारी हुए हैं, उनका भी एक एल्बम आज जारी किया गया। उन्होंने इस अवसर पर भारत और विदेशों में प्रभु राम के सभी भक्तों को बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पत्र या महत्वपूर्ण दस्तावेज भेजने के लिए लिफाफे पर ये टिकट चिपकाए जाते हैं। लेकिन वे एक अन्य उद्देश्य भी पूरा करते हैं। डाक टिकट ऐतिहासिक घटनाओं को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने के माध्यम के रूप में भी काम करते हैं। इसलिए जब भी आप किसी को डाक टिकट के साथ कोई पत्र या वस्तु भेजते हैं, तो आप उन्हें इतिहास का एक टुकड़ा भी भेज रहे होते हैं। ये टिकट सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि इतिहास की किताबों, कलाकृतियों और ऐतिहासिक स्थलों का सबसे छोटा रूप हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये स्मारक टिकट हमारी युवा पीढ़ी को प्रभु राम और उनके जीवन के बारे में जानने में भी मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि इन टिकटों पर कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से प्रभु राम के प्रति भक्ति व्यक्त की गई है और लोकप्रिय चौपाई ‘मंगल भवन अमंगल हारी’ के उल्लेख के साथ राष्ट्र के विकास की कामना की गई है। इन टिकटों पर सूर्यवंशी राम के प्रतीक सूर्य की छवि है, जो देश में नए प्रकाश का संदेश भी देता है। इनमें पुण्य नदी सरयू का चित्र भी है, जो राम के आशीर्वाद से देश को सदैव गतिमान रहने का संकेत करती है। मंदिर के आंतरिक वास्तु के सौंदर्य को बड़ी बारीकी से इन डाक टिकटों पर प्रिंट किया गया है।
प्रधानमंत्री ने उन संतों की भी प्रशंसा की, जिन्होंने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के साथ मिलकर स्मारक टिकट जारी करने में डाक विभाग का मार्गदर्शन किया।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भगवान श्रीराम, माता सीता और रामायण से संबंधित शिक्षाएं समय, समाज, जाति, धर्म और क्षेत्र की सीमाओं से परे, हर एक व्यक्ति से जुड़ी हैं। सबसे मुश्किल कालखंड में भी त्याग, एकता और साहस दिखाने वाली रामायण, अनेक मुश्किलों में भी प्रेम की जीत सिखाने वाली रामायण पूरी मानवता को खुद से जोड़ती है। यही कारण है, कि रामायण पूरे विश्व में आकर्षण का केंद्र रही है। आज जिन पुस्तकों का लोकार्पण हो रहा है, वो इन्हीं भावनाओं का प्रतिबिंब हैं कि कैसे पूरे विश्व में भगवान राम, माता सीता और रामायण को बहुत गौरव से देखा जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, कनाडा, चेक गणराज्य, फिजी, इंडोनेशिया, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, गुयाना, सिंगापुर उन कई देशों में से हैं, जिन्होंने भगवान राम के जीवन की घटनाओं पर बहुत रुचि के साथ डाक टिकट जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम और माता जानकी की कहानियों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी वाला जारी किया गया नया एल्बम हमें उनके जीवन के बारे में जानकारी देगा। यह हमें बताएगा कि भगवान राम किस तरह भारत से बाहर भी उतने ही महान आदर्श हैं, और कैसे विश्व की तमाम सभ्यताओं पर प्रभु राम का कितना गहरा प्रभाव रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महर्षि वाल्मिकी का वह आह्वान आज भी अमर है जिसमें उन्होंने कहा था: यावत् स्थास्यन्ति गिरयः, सरितश्च महीतले। तावत् रामायणकथा, लोकेषु प्रचरिष्यति॥ अर्थात्, जब तक पृथ्वी पर पर्वत हैं, नदियां हैं, तब तक रामायण की कथा, श्रीराम का व्यक्तित्व लोक समूह में प्रचारित होता रहेगा।