नागपुर :-एमपीएससी एक स्वायत्त संस्था है जो हर वर्ष अलग -अलग परीक्षाओं के जरिये रा’य के अधिकारियों को चुनती है. मगर ये बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि रा’य को चलाने वाले अधिकारियों को चयनित करने वाली इस संस्था के कारोबार और कार्यप्रणाली में ही पारदर्शिता की कमी के कारण लाखों विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में है.
ये तो नित्य की ही बात हो चुकी है की एमपीीएससी जब भी कोई परीक्षा लेती है तो उसमे कोई न कोई समस्या जरूर उत्पन्न होती है. वर्ष 2०2० की संयुक्त अराजपत्रित परीक्षा जिस का विज्ञापन फरवरी 2०2० में निकाला गया था. उस परीक्षा के पूर्व का पेपर वर्ष 2०21 के सितंबर महीने में लिया गया. इसी तरह इसी वर्ष ली गयी गट ब और क संयुक्त पूर्व परीक्षा से ठीक कुछ दिन पहले हजारो विधार्थियो के हाल टिकीट भी लीक हो गए थे. साथ ही इसी परीक्षा के मेंस के लिए इस वर्ष से आयोग ने रिजल्ट घोषित करने की पद्धती को बदल दिया है. ऐसे तमाम ही इश्यू की वजह से की मानसिक स्थिति को चोट पहुंचती है. साथ ही एमपीएससी की कार्यप्रणाली एवं पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े होते हैं. इस बात की प्रचिती चार विद्यार्थियों की आत्म हत्या की दुखद एवं निंदनीय घटना से भी होती है.
1 मई को बीड जिले के अक्षय पवार, 15 मई को परभणी के विजय नागोरे और गंगाखेड जिला परभणी के केडाले दंपति की आत्महत्या से मामले की संगिनी का अहसास होता है.
एसआईओ के जोनल प्रेसिडेंट सैयद जिया र्उ रहमान और सेके्रटरी मोहम्मद सैफ उल इस्लाम ने संवाददता सम्मेलन में एमएपीएसएसी के विधार्थियों की समस्याओं को उजागर किया.