नागपुर :- वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने मंत्रियों के समूह को पान मसाला और गुटखे जैसे संभावित कर चोरी वाले उत्पादों पर क्षमता आधारित कराधान की संभावना तलाशने का जिम्मा सौंपा था। समिति ने इन उत्पादों पर विशिष्ट कर आधारित शुल्क का प्रस्ताव किया है, जो इन उत्पादों के खुदरा बिक्री मूल्य से जुड़ा होगा। वर्तमान में पान मसाला और गुटखे पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी और मूल्य के अनुसार मुआवजा उपकर लगता है।
ओडिशा के वित्त मंत्री निरंजन पुजारी की अध्यक्षता वाली मंत्रियों की समिति ने इस मसले पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है जिस पर जीएसटी परिषद की शनिवार को प्रस्तावित बैठक में विचार किया जा सकता है। अगर इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है तो इस क्षेत्र के खुदरा विक्रेता और वितरक दोनों स्तर पर कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी और इससे कर राजस्व भी बढ़ेगा।
समिति ने पाया कि ज्यादा कर की चोरी इन वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला के अंतिम चरण में होती है क्योंकि अधिकांश रिटेलर का कारोबार कम होने की वजह से वे जीएसटी के अनिवार्य पंजीकरण के दायरे से बाहर रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप उन्हें पकड़ना कठिन हो जाता है।
मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने पान मसाला और गुटखा जैसी वस्तुओं पर ‘विशिष्ट कर आधारित शुल्क’ लगाने का प्रस्ताव किया है। यह कर इन वस्तुओं के खुदरा बिक्री मूल्य से जुड़ा होगा। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने जीओएम को कर चोरी की संभावना वाली इस तरह की वस्तुओं पर क्षमता आधारित कराधान पर विचार करने को कहा था। इस समय इन वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी और इनके मूल्य के मुताबिक मुआवजा उपकर लगता है।
ओडिशा के वित्त मंत्री निरंजन पुजारी की अध्यक्षता में बनी मंत्रियों की समिति ने इस मसले पर अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है। इसे शनिवार को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में पेश किए जाने की संभावना है। अगर रिपोर्ट को मंजूरी मिल जाती है तो इस क्षेत्र में मौजूदा राजस्व चोरी को रोकने में मदद मिलेगी। इससे खुदरा कारोबारी और वितरक दोनों ही स्तरों पर कर चोरी को रोका जा सकेगा और खजाने में ज्यादा राजस्व आएगा।
मंत्रिसमूह ने पाया कि इस तरह के जिंसों की आपूर्ति श्रृंखला के बाद के चरणों में राजस्व की चोरी ज्यादा होती है और ज्यादातर खुदरा कारोबारी छोटे और जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्य सीमा से नीचे आते हैं, ऐसे में उन्हें चिह्नित करना कठिन होता है।
इसे देखते हुए मंत्रियों के समूह ने फैसला किया है कि विशिष्ट कर आधारित शुल्क की जरूरत है, जिससे पहले चरण यानी विनिर्माता के स्तर पर राजस्व का संग्रह हो सकेगा। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसके साथ ही इस तरह के विशिष्ट कर को खुदरा बिक्री मूल्य से जोड़ा जाएगा, जिससे राजस्व में तेजी बरकरार रखी जा सके। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने मंत्रिसमूह की रिपोर्ट को देखा है।
मंत्रिसमूह ने पान मसाला, हुक्का, चिलम, चबाने वाले तंबाकू जैसे इस तरह के सामान पर 38 प्रतिशत विशिष्ट कर की दर का प्रस्ताव किया है, जो इन वस्तुओं के खुदरा बिक्री मूल्य पर 12 प्रतिशत से 69 प्रतिशत तक है। जीओएम ने अपने व्यापक विमर्श के दौरान पाया कि ये बदलाव कर के मुआवजा उपकर वाले घटक में किए जा सकते हैं, जो बाद के चरण में आता है और मुआवजा उपकर के अलावा पहले के स्तर पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लगता।
समिति का विचार है कि इस तरह के जिंसों पर लगने वाले मुआवजा उपकर के कर ढांचे को आगे और सरल किए जाने की जरूरत है। यह कर के स्लैब की संख्या कम करके और उससे जुड़े अलग अलग कर घटाकर किया जा सकता है।
प्रस्तावित दर को बेहतर तरीके से समझने के लिए मान लीजिए कि अगर 5 रुपये के पान मसाले पर कर भुगतान में विनिर्माता 1.46 रुपये भुगतान करता है, 0.88 रुपये वितरक और खुदरा कारोबारी भुगतान करते हैं तो कुल कर 2.34 रुपये होता है। प्रस्तावित कदम में कर की प्राप्ति कमोबेश पहले जैसी 2.34 रुपये रहेगी, जिसमें से विनिर्माता 2.06 रुपये का भुगतान करेगा और वितरक और खुदरा कारोबारी 0.28 रुपये का भुगतान करेंगे और कुल 2.34 रुपये का भुगतान होगा।
मुख्य अंतर यह है कि मौजूदा मुआवजा उपकर मूल्य आधारित कर है और विभिन्न जिंसों पर विभिन्न दर से वसूला जाता है। प्रस्तावित स्थिति में दरें खुदरा बिक्री मूल्य के आधार पर लागू होंगी। इसका मतलब यह है कि जिस अधिकतम मूल्य पर इन जिंसों के पैकेट को बेचा जाएगा, उसमें सभी कर शामिल होंगे। ईवाई में टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा, ‘विशिष्ट कर से कुल मिलाकर कर का कोई असर ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा।’