भारतीयों में महामारी के बाद तनाव के स्‍तर में वृद्धि देखने को मिली : नई सैरिडॉन हेडेक रिपोर्ट में सामने आई यह बात 

· हर तीन व्यक्तियों में से एक को लगता है कि महामारी के बाद उनके तनाव का स्तर बढ़ गया है

· सिरदर्द महसूस करने वाले 93% लोग मानते हैं कि तनाव का बढ़ा हुआ स्तर सिरदर्द के अंतराल और तीव्रता को प्रभावित करता है

· मुंबई सिरदर्द की 90% से अधिक घटनाओं के साथ हेडेक कैपिटल के रूप में उभरने वाला एकमात्र शहर (टियर-1 शहरों में) है

मुंबई :- भारत में बायर के कंज्‍यूमर हेल्थ डिवीज़न के नंबर 1 सिरदर्द से राहत दिलाने वाले ब्रैंड, सैरिडॉन ने अपने नेशनल हेडेक सर्वे का दूसरा संस्करण जारी किया है। इस व्यापक रिपोर्ट में महामारी के बाद के दौर में लोगों में तनाव की बढ़ती व्यापकता की गहरी पड़ताल करके विभिन्न भूभागों और तबकों में सिरदर्द के परस्पर सम्बन्ध की खोज की गई है।

विश्व स्तर पर सम्‍मानित पूर्ण-सेवा बाज़ार अनुसंधान कंपनी, हंसा रिसर्च द्वारा संचालित इस विस्तृत रिपोर्ट में भारत में 22 वर्ष से 45 वर्ष आयु तक के लोगों के तनाव के स्तर की सर्वांगीण समझ प्रदान करने के लिए लिंग, कामकाजी वर्ग, आयु, और जनसंख्या विभाजन सहित विविध समूहों में सर्वेक्षण किया गया। इस विस्तृत अध्ययन में 15 राज्यों में टियर-1 और टियर-2, दोनों तरह के 20 शहरों में 5,310 उत्तरदाताओं ने भाग लिया और उपभोक्ताओं की रोचक जानकारी को प्रस्‍तुत किया। इस रिपोर्ट के अनुसार, 93% उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्हें सिरदर्द में स्पष्ट वृद्धि का अनुभव हुआ है, जो सीधे तनाव के बढ़े हुए स्तर से सम्बंधित है।

रिपोर्ट से पता चला है कि हर 3 लोगों में से 1 व्यक्ति को लगता है कि महामारी के बाद उसके तनाव का स्तर बढ़ गया है। आबादी के कामकाजी और गैर-कामकाजी, दोनों तबके के लिए वित्तीय समस्यायें और काम का दबाव तनाव के प्रमुख कारण पाए गए। तनाव पैदा करने वाले दूसरे कारणों में स्वास्थ्य की समस्या और परिवार में लड़ाई-झगडा प्रमुख थे। सर्वेक्षण के निष्कर्षों में महामारी के बाद की दुनिया में प्रभावकारी तनाव प्रबंधन युक्तियों की ज़रुरत को प्रकाशित किया गया है।

नई सैरिडॉन हेडेक रिपोर्ट के बारे में बायर कंज्‍यूमर हेल्थ इंडिया के कंट्री हेड, संदीप वर्मा ने कहा कि, “बायर में हमलोग खुद की देखभाल करने को प्राथमिकता देते हैं और सुलभ हेल्थकेयर को अपने मिशन में सबसे आगे रखते हैं। यह ताजा रिपोर्ट तनाव और सिरदर्द के बीच महत्वपूर्ण सम्बन्ध पर जोर देती है। विशेषकर महामारी के बाद के दौर में यह ज्यादा सपष्ट है, जहाँ उपभोक्ता अपनी तंदुरुस्ती और कल्याण के महत्वपूर्ण पहलू के रूप में अब सेल्फ-केयर पर फोकस करने लगे हैं। 50 वर्षों से अधिक की विरासत के साथ सैरिडॉन ने भारतीय उपभोक्ताओं का भरोसा हासिल किया है और एक घरेलू नाम के रूप में अपनी जगह बनाई है। इस रिपोर्ट में तनाव और सिरदर्द के बीच सम्बन्ध पर जोर दिया गया है, जैसा कि इसमें उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की देखभाल की बदलती ज़रूरतों का भी खुलासा किया गया है। बायर अपने ब्रैंड्स का धीरे-धीरे विकास करते हुए और अपने सर्वश्रेष्ठ – न्यू सैरिडॉन की जैसे समाधान की पेशकश करके रोजमर्रा की ज़रूरतों से निपटने के लिए उन्नत हेल्थकेयर सॉल्युशन विकसित करने को लेकर लगातार वचनबद्ध है।”

टियर-1 शहरों में, सिरदर्द की 90% से अधिक घटना के साथ मुंबई अकेला शहर है, जबकि चेन्नई 89% के साथ दूसरे स्थान पर है। टियर-2 शहरों में अहमदाबाद और भुबनेश्वर में यह सिरदर्द की शिकायत की घटना 99% है, जिसके बाद मदुरै (96%) और इंदौर (94%) का स्थान आता है।

रिपोर्ट में एक सकारात्मक प्रवृत्ति का भी पता चला है, जिसमें 80% उत्तरदाताओं ने बताया कि वे अब अपने सिरदर्द के बारे में परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ खुलकर चर्चा करते हैं। 2021* के अध्ययन की तुलना में सिरदर्द उठने पर राहत के लिए दिन समाप्त होने तक का इन्तेजार (*2021 में 89%) के विपरीत आज कुछ मिनटों या घंटों के भीतर करवाई करने वाले लोगों (89%) की संख्या में 3% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

सर्वेक्षण के नतीजों से एक चिंताजनक रुझान का पता चला है कि करीब 40% लोग अपने कार्यों पर ज्‍यादा से ज्‍यादा ध्‍यान बनाए रखने में कठिनाई महसूस करते हैं। यह अनुपात *2021 के निष्कर्षों की अपेक्षा 7% ज्यादा है, जो काफी अधिक है। करीब 50 लोगों ने इस चिंता को दूर करने के प्राथमिक उपाय के रूप में व्यावसायिक जिम्मेदारियों और घरेलू काम-धंधे, दोनों के काम के बोझ को कम करने की ज़रुरत बताई।

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