नागपुर :- श्री दिगंबर जैन सेनगण मंदिर लाडपुरा इतवारी से बुधवार को रात्रि पद्मावती माता की पालकी निकली. इससे पूर्व शरद कुटे के शास्त्रीनगर के निवासस्थान से पद्मावती माता की पालकी बाजे गाजे के साथ श्री दिगंबर जैन सेनगण मंदिर के सन्मति भवन पहुंची. सेनगण मंदिर की पद्मावती माता की प्रतिमा का सन्मति भवन में आगमन हुआ। उपस्थित भक्तों ने तालियां बजाकर स्वागत किया। उपस्थितों ने भजन प्रस्तुत किए उसके बाद माता की महाआरती हुई। श्री दिगंबर जैन सेनगण मंदिर से निकल कर निकालस मंदिर मार्ग, तांगा स्टैंड, सराफा बाजार, शहीद चौक, अहिंसा भवन होते हुए इतवारी लाडपुरा स्थित श्री दिगंबर जैन सेनगण मंदिर पहुंची वहां समापन हुआ। मार्ग में जगह जगह महिलाएं माता की गोद भराई करती रही। बैंड बाजा, ताल, मृदंग भजन करते हुए पालकी यात्रा आगे बढ़ रही थी। गृहस्थाचार्य आगम रत्न पं. मनोहर आग्रेकर ने बताया चैत्र नवरात्रि में पद्मावती देवी की आराधना, शक्ति की उपासना, सब सहन करने की शक्ति प्राप्त होने के लिए यह उत्सव मनाया जाता हैं। बड़े पैमाने पर धर्म की प्रभावना करने के लिए रथ या पालकी निकाली जाती हैं। पहले रथ निकलता था अब पालकी निकलती हैं। पद्मावती देवी धर्म प्रभाविका, धर्म वत्सला, समय समय पर माता ने धर्म का रक्षण किया है, धर्म की प्रभावना की हैं ऐसी देवता हैं। हमारे ऊपर किसी ने कृपा नहीं की तो बुरा लगता हैं। किसी ने हमारा सम्मान किया तो खुशी होती हैं। पद्मावती देवी का यथोचित सम्मान किया तो अनेक कामों में मदद मिलती हैं। सम्मान करने के लिए , समाधान करने के लिए , धर्म प्रभावना करने के लिए चैत्र माह के पाडवा को करीबन 350 वर्ष पूर्व से रथ या पालकी निकाली जाती हैं।
इससे पूर्व सुबह श्री दिगंबर जैन सेनगण मंदिर में माता पद्मावती देवी का संगीतमय पूजन विधान हुआ। उसके बाद माता की गोदभराई के लिए महिलाओं की भीड लगी रही हैं।
संतोष जैन पेंढारी, सतीश जैन पेंढारी, उदय जोहरापुरकर, पंकज खेडकर, सुहास मुधोलकर, परिमल खेडकर, किरण जोहरापुरकर, सुनील जैन, सूरज जैन, देवेंद्र आग्रेकर, प्रवीण पेंढारी,चंद्रकांत काटोलकर, नितिन पलसापुरे, मनीष पिंजरकर, आलोक जैन, राजेंद्र सोनटक्के, रवींद्र महात्मे, श्रीकांत धोपाडे, ऋषभ आगरकर, नितिन सावलकर, विशाल मानेकर, श्रीकांत तुपकर आदि उपस्थित थे।