केदार को जमानत मिलते ही विरोधियों के ख्वाब धरे के धरे रह गए

– जिला कांग्रेस,रामटेक लोकसभा क्षेत्र,सावनेर विस, जिला परिषद, APMC आदि पर कब्जा जमाने हेतु उठापठक शुरू कर दिए थे लेकिन 9 जनवरी 2024 के निर्णय ने पानी फेर दिया     

नागपुर :- आज भी ज्वलंत सवाल यह है कि आखिर सुनील केदार से संबंधित 22 साल पुरानी फाइल को तय रणनीति के तहत जिंदा क्यों किया गया। क्या केदार से व्यक्तिगत खुन्नस थी,या केदार पर कार्रवाई कर अपने ही पक्ष के किसी शीर्षस्थ के पर काटने का आदेश के क्रम में यह घटनाक्रम को अंजाम दिया गया या फिर केदार के फैलते पंख/पांव को कम कर उन्हीं के पक्ष से अपने प्यादे को मजबूत करने का इरादा रहा होगा।यह भी मुमकिन है कि आगामी लोकसभा चुनाव में ‘क्लियर हैट्रिक’ बनाने के उद्देश्य से नागपुर जिले के सबसे मजबूत आधारस्तंभ जो फ़िलहाल विरोधी पक्ष में हैं,उसे ‘साम दाम दंड भेद’ का फार्मूला अपना कर अपने वश में किया जाए.इन सभी कारणों में से किसी एक वजह से केदार को झकझोड़ने की कोशिश की गई.

यह भी चर्चा है कि 22 साल पुराने मामले में सत्र न्यायालय द्वारा सजा सुनाने के बाद या पहले विरोधी पक्ष के विशेष प्रतिनिधि मंडल ने सजा/कार्रवाई से मुक्ति दिलवाने के एवज में अपने खेमे में आने का न्यौता दिया था,तब केदार ने सिरे से नाकार दिया था.

इसके बाद 13 दिन न्यायालयीन कस्टडी में रहना पड़ा.इसके बाद नियमानुसार उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में केदार की ओर से लगे सभी आरोप और सुनाई गई सजा से मुक्ति पाने के लिए याचिका दायर की गई फिर 9 जनवरी 2024 की दोपहर कुछ शर्तों के बिना पर उन्हें आखिरकार जमानत दे दी गई,क्यूंकि प्रक्रिया लम्बी होती है इसलिए उन्हें ‘सेंट्रल जेल’ से आज सुबह रिहा किया जाएगा।

यह भी गर्मागरम चर्चा है कि उक्त नए घटनाक्रम को ‘राजनैतिक समझौता’ बतलाया जा रहा हैं.अगर यह सही है तो इस समझौते ने राज्य सरकार को कड़ा तमाचा जड़ दिया हैं.कि इतनी आनन्-फानन में राज्य सरकार व्यक्तिगत हित साधने के लिए सरकारी,क़ानूनी तंत्र का इस्तेमाल की,अगर इतनी ही शिद्दत से राज्य के युवा,बेरोजगारों के हित में ठोस प्रक्रिया की होती तो महाराष्ट्र की गणना चीन,जापान जैसे तरक्की प्रधान देशों की तरह हुआ होता।

चर्चा यह भी है कि राज्य में सत्ताधारी पक्ष के दिग्गज नेतृत्व भी नागपुर जिले से ही हैं,लेकिन जिले पर काबू केदार का है,जिससे उन्हें खुद का या पक्ष का प्रभाव बनाने में अड़चन आ रही थी,नतीजा……..

चर्चा हो रही है कि सत्तापक्ष में ठोस नेतृत्व कर्ताओं में आपसी स्पर्धा से होने वाली राजनैतिक दिक्कतों से मुक्ति पाने के लिए पक्ष के प्रतिस्पर्धी नेता के निकटवर्ती केदार पर अंकुश लगाकर अपने ही प्रतिस्पर्धी का ‘पर छांटने’ की असफल कोशिश की गई.

चर्चा यह भी है कि केदार के हाथ पैर या आधारस्तंभों को अपने खेमे में लाने के लिए जिस पक्ष से केदार ताल्लुक रखते है उसी पक्ष में अपने बेहद खासमखास से केदार के आधारस्तंभों को जोड़ अपना उल्लू सीधा करने का मकसद रहा हो,ताकि चुनावी सह अन्य व्यवसायिक कामों ने ये आधारस्तंभों का भलीभांति सदुपयोग किया जा सके.

उल्लेखनीय यह है कि केदार की रिहाई की खबर से विपक्ष से ज्यादा उनके खुद के पक्ष में मायूसी छाई हुई हैं,क्यूंकि इनमें से कोई जिला कांग्रेस, कोई रामटेक लोकसभा क्षेत्र,कोई सावनेर विस,कोई जिला परिषद,कोई APMC आदि पर कब्जा जमाने के लिए घर से निकल चूका था,रास्ते में ही रिहाई की दुःखद सुचना ने उन्हें झकझोड़ दिया।

यह भी उल्लेखनीय है कि इसी मामले में 22 साल पूर्व जब ‘तत्कालीन युगधर्म’ की खबर कि केदार को जेल हो गई,इसी दरम्यान लालू यादव नागपुर कुछ कार्यक्रमों के सिलसिले में आये थे,क्यूंकि केदार का उनसे व्यक्तिगत सम्बन्ध था तो लालू प्रसाद यादव ने जेल में उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की थी,लेकिन केदार विरोधी समाचारपत्र समूह संचालक के हस्तक्षेप के कारण लालू यादव जेल जाकर केदार से नहीं मिल सके.

वहीं दूसरी ओर इस बार केदार को ‘जेल पास’ करने के आदेश बाद नागपुर में ही कांग्रेस की स्थापना दिवस का आयोजन में कांग्रेस के तथाकथित दिग्गज नागपुर आए लेकिन किसी ने केदार से मिलने या उसकी ख़राब तबियत का जायजा लेने उन तक नहीं पहुंचा,यह विडम्बना नहीं तो और क्या हैं.बल्कि उन कांग्रेसी नेताओं का स्थापना दिवस के कार्यक्रम से ज्यादा ध्यान न्यायालयीन निर्णय की ओर केंद्रित था,वे सोच रहे थे,वे सभी परेशां थे कि अगर जमानत हो गई तो कोर्ट/जेल/मेडिकल से रैली सीधा दिघोरी स्थित कार्यक्रम स्थल तक पहुंचेगी,जो उपस्थित जान समुदाय से कही बड़ी और ज्यादा होगी,जिससे तथाकथित नेताओं की ताकत का आभास केंद्रीय नेतृत्व को हो जाएगा।लेकिन न्यालयीन निर्णय केदार के पक्ष में नहीं होने से सभी सम्बंधित कोंग्रेसियो ने रहत की सांस ली.

आज जेल से रिहा होने जा रहे है केदार,इनके समर्थक वर्धा और नागपुर जिले सह छिंदवाड़ा से जुटने लगे हैं,इन पर कांग्रेसी तथाकथित नेताओं का ध्यान केंद्रित है,जब केदार का काफिला पूर्ण शबाब पर होगा तो कुछेक कांग्रेसी चेहरा दिखाने इस भीड़ का हिस्सा हो सकते हैं !

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