RERA कानून उल्लंघन मे लिप्त है नागपुर का मुख्य संयुक्त रजिस्टार कार्यालय

– भूमि-फ्लैट खरीदी-बिक्री मामले मे अनियमितता और धांधली का आरोप

नागपुर :- महानगर निगम की सीमांतर्गत प्रॉपर्टी खरीदी बिक्री मामले में कलेक्टर कचेहरी परिसर मे स्थित “मुख्य संयुक्त रजिस्टार श्रेणी 1” द्धारा आये दिन रेरा कानून का उलंघन और प्रापर्टी खरीदी बिक्री पंजीकरण मामले मे अनियमितता और धांधली करने के मामले सामने आ रहे हैं। जानकार सूत्रों की माने तो प्रापर्टी खरीददार बिल्डरों का पंजीकरण शुल्क बचाने के चक्कर मे सरकार का करोडों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। जानकार सूत्रों की माने तो फर्जी खसरा सातबारा के अधार पर अनेक सरकारी गाडादान (पांधन रास्ता) तथा बंजर जमीन की संयुक्त रजिस्टार श्रेणी 1 कार्यालय मे पंजीकरण के अनेक मामले विवादस्पद बने हुए है। इस रजिस्टार कार्यालय के सामने प्रापर्टी बिक्रेता और खरीददार बिल्डरों की भीड मे चल रही कानाफूसी ने करोडों के करप्शन की पोल खोलकर रख दी है। तत्संबंध मे इस कार्यालय ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अंतर्गत कई समाजसेवी लोगों के आवेदन पत्र अस्वीकार कर दिये जाते है, नतीजतन सूचना आवेदकों को डाक स्पीड पोस्ट के माध्यम से नागपुर जिला निबंधक व मुद्रांक जिलाधिकारी कार्यालय को आवेदन प्रस्तुत करना पडा।परंतु इस भ्रष्ट्राचार की कलई खुलने के भय से भयभीत इस कार्यालय के सूचना अधिकारी द्धारा प्रापर्टीज बिक्रेता-खरीदार बिल्डरों के नाम और पता की रजिटर की सूचि तथा प्रापर्टीज बिक्री कीमत की सूचि उपलब्ध करवाने मे आनाकानी करने की जानकारी कार्यालयीन सूत्रों ने दी है।नतीजतन प्रकरण की खबर से अनेक प्रापर्टीज बिक्रेताओं और खरीददार बिल्डरों के चेहरे उतरे हुए दिखाई देने लगे है? इतना ही नहीं चक्रवर्ती व्याज वसूलने वाले सूदखोरों और मनीलांड्रिग माफियाओं द्धारा भुक्तभोगी कर्जदारों की प्रापर्टी कोंडियों के दामों मे खरीद-फरोख्त करने का भी रहस्य भी उजागर हुआ है।

संयुक्त रजिस्टार कार्यालय के गोपनीय सूत्रों की माने तो प्रापर्टीज खरीदी बिक्री के संबंध मे रुपयों का लेन देन नगद य चैक धनादेश भुगतान रजिस्टार के समक्ष होना चाहिए था ? जबकि प्रापर्टीज खरीदी बिक्री संबंध मे रुपयों का लेनदेन रजिस्टार के समक्ष नहीं अपितु नशे की हालत में प्रापर्टीज खरीदी-बिक्री परोक्ष मे बयाना पत्र और करारनामा लिखवा लिये जाने की खबर हैं ? साफ जाहिर है कि प्रापर्टीज खरीदी बिक्री मामले मे भारी अनियमितता और धांधलियां होने की आशंका बनी हूई है। उसी प्रकार रेरा रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के मातहत रियल एस्टेट रेगुलेशन एण्ड डेवलपमेंट अथॉरिटी(रेरा) के नियमों का खुल्लम खुल्ला उलंघन किया जा रहा है ऐसे बिल्डरों द्धारा खरीददार ग्राहकों के भविष्य के साथ खिलवाड माना जाएगा। बताते हैं कि रेरा कानून के तहत फ्लैट धारकों को सुविधा उपलब्ध कराये बिना मात्र बनावटी और फर्जी दस्तावेज के अधार पर संयुक्त रजिस्टार फ्लैट प्रापर्टीज बिक्री पंजियनकरण दस्तावेज मे मुहर लगाकर हस्ताक्षर करवा देता है।

तत्संबंध मे “आल इंडिया सोसल आर्गेनाइजेशन” ने विधमान मुद्रांक महानिरीक्षक तथा विधमान निबंधक व सहकार आयुक्त पुणे से मांग की है कि विगत सन 2020 से वर्तमान सन 2023 तक इस संयुक्त रजिस्टार श्रेणी 1 नागपुर कार्यालय द्धारा समस्त प्रापर्टीज पंजीकरण मे लिप्त बिक्रेताओं और खरीददार बिल्डरों की प्रापर्टीज की वैल्युएशन की जांच-पड़ताल की जाए तथा दोषियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। अन्यथा मामले की सीबीआई जांच के लिए उच्च न्यायालय मे जनहित याचिका दायर करना जरुरी है ? जिसके नुकसान और भरपाई के जिम्मेदार संयुक्त रजिस्टार सहित भूमि फ्लैट प्रापर्टीज बिक्रेता-खरीदार बिल्डरों के जिम्मे होगी ?

क्योंकि रेरा कानून के मातहत बहुमंजिला दुकान काम्प्लेक्स और निवासी फ्लैट्स बिल्डिंग मे आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने में इन्वेस्टमेंट्स में बहुत ज्यादा पैसा खर्च होता है। इसीलिए मात्र फर्जी दस्तावेज के अधार पर प्रापर्टीज बिल्डर संयुक्त रजिस्टार को मुहमांगे रिश्वतस्वरूप रुपये लेदेकर फ्लेट्स, भूमि व प्लाट का रजिस्ट्रेशन करवाने मे वह कामयाब हो जाता है और इस फर्जीबाडा पंजियन प्रक्रिया के पश्चात भवन फ्लैटस् खरीददारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है.

जबकि रेरा कानून के मुताबिक सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद ही पंजीकरण किया जाना चाहिए था ? परंतु यहां पर अनेक मामले RERA ( एक्ट,रियल स्टेट रेगुलेशन एण्ड डेवलपमेंट अथारिटी) एक्ट 2016: का खुल्लम खुल्ला उलंघन हो रहे है। बावजूद भी कानून के उलंघन कर्ता बिल्डरों की जल्द रजिस्ट्रियां पास करवा दी जाती है। संयुक्त रजिस्टार कार्यालय ने किसी भी खरीददार को यह मालूमात य चेतावनी देना चाहिए कि जिस प्रोजेक्ट में वह भवन फ्लैट खरीदना चाहता है, वह आवश्यक सभी सुविधाएं मुहैया करवाया है या नहीं। बताते है कि बिल्डरों के कानूनी सलाहकार भी कमाई के चक्कर मे मामले को न्यायसंगत सलाह देने के बजाय उलझाने का घिनौना कार्य करते है ? बताते है अनेक बिचौलिए किस्म के छुटभैये नेताओं ने चंद शिक्षकों लिए इस संयुक्त रजिस्टार कार्यालय के अधिकारियों को असलियत से गुमराह करने और कार्यालयीन कामकाज मे बाधा डालने का दुस्साहस किया था।परंतु इस कार्यालय के ईमानदार कर्मियों की सतर्कता और समय सूचकता की वजह से कार्यालयीन कामकाजों मे शांतता बनी रही।

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