– वर्ना छोटे जनप्रतिनिधियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा
नागपुर :- अगले वर्ष देश में लोकसभा चुनाव होने वाली है,इसकी बिगुल बज चुकी है,अमूमन सभी पक्षों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं.जहाँ तक नागपुर जिले का सवाल हैं जिले के दोनों सांसद का दूसरा कार्यकाल समाप्ति पर हैं,जनता दोनों से ऊब चुकी है,इसलिए उम्मीदवार बदलो अन्यथा ‘हैट्रिक’ रोको अभियान की शुरुआत भी अंदरूनी रूप से हो चुकी हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव में ही भाजपाई विभीषणों ने नागपुर के भाजपा उम्मीदवार और कांग्रेस के विभीषणों ने कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत में रोड़ा डाल ही दिए थे,लेकिन नागपुरी कांग्रेस के विभीषणों ने भाजपा उम्मीदवार को पुनः लोकसभा पहुंचा दिया तो दूसरी ओर रामटेक से शिवसेना उम्मीदवार को भी कांग्रेस के विभीषणों ने दोबारा लोकसभा भेज दिया।
नतीजा यह हुआ कि दोनों लोकसभा सदस्य ने न संगठन को उम्मीद के अनुरूप बढ़ाया,न छोटे जनप्रतिनिधियों को तवज्जों दी.खासकर जब भी मौका मिला नागपुर के सांसद ने अपने ही पक्ष के छोटे जनप्रतिनिधियों का ‘पोस्टमार्टम’ करते देखे गए.पिछले 10 वर्ष में उन्हीं प्रकल्पों को हाथ में लिए जिनमें उनकी खुद की रूचि थी.
न शहर अत्याधुनिक हुआ,न उद्योग आये,न बेरोजगारों का पलायन रुका।पिछले 10 वर्षो में स्मार्ट सिटी,लंदन स्ट्रीट, ओसीडब्लू,मेट्रो,सीमेंट सड़क,फुटला म्यूजिकल फाउंटेन आदि असफल प्रकल्पों में गिने जाने लगे.
पिछले 10 वर्षो में तरक्की उन्हीं की हुई जो इर्द-गिर्द रहे चाहे वे किसी भी क्षेत्र ,तबके,समाज,पार्टी के रहे.तरजीह उन्हें ही मिली जो अन्य पक्षों से भाजपा में आये और बाहरी सक्षमों पर मेहरबान रहे.
अन्य पक्षों में इतनी गहरी पैठ जमाए कि शत प्रतिशत गैर भाजपाई जनप्रतिनिधि इनकी रणनीति से चुनावी जंग अबतक जीतते रहे.दूसरी ओर इनके ही पार्टी के जुझारू-सक्षम कार्यकर्ता अबतक राह तक रहे कि उनकी बारी कब आएगी।
शिवसेना सांसद ने तो खुद के अलावा पक्ष का रत्तीभर भी विकास नहीं किया ,मौका मिला तो पाला बदल लिए,इसलिए कि भाजपा और कांग्रेस के विभीषणों के मदद से 2 बार लोकसभा पहुँच गए,तीसरी दफे भी उन्हें दोनों से ही उम्मीद हैं.
इसलिए विकास,राजनैतिक गति को लगा विराम उठाने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में दोनों की ‘हैटिक’ रोकनी होगी,इसके लिए सर्वपक्षीय कार्यकर्ताओं को सक्रिय होना पड़ेगा,क्यूंकि सर्वपक्षीय तथाकथित नेता विभीषण बन चुके है और अपना अस्तित्व बचाने के नाम पर पुनः दोनों को लोकसभा पहुँचाने के लिए एड़ी-चोटी एक कर देंगे।क्यूंकि उन्हें खुद के चुनाव में उक्त दोनों सांसदों की मदद चाहिए।
उल्लेखनीय यह है कि विशेष कर नागपुर के सांसद की ‘हैट्रिक’ रोकने के लिए दिल्ली सक्रिय हो चुकी हैं.उन्हें जिले में सक्षम विभीषणों और दमखम रखने वाले अन्य पक्ष के उम्मीदवार और कार्यकर्ताओं की तलाश हैं,जो मिलते ही सक्रिय कर दिए जायेंगे !
विडम्बना यह भी है कि कांग्रेस का कभी वर्षो गढ़ था नागपुर जिला,लेकिन आज लोकसभा लड़ने लायक कांग्रेस के पास एक भी उम्मीदवार नहीं क्यूंकि पक्ष को मजबूत करने के बजाय आजतक अपने कुनबे,गुट,समाज को तरजीह देते देते पक्ष की तरक्की के मार्ग पर खुद ने बड़ा गड्ढा बना दिया। इन्हें दूसरे दिखाई नहीं देते और दूसरों भले ही खुद के पक्ष के हो,उन्हें ये दिखाई भी नहीं देते और सक्षम भी नहीं समझते।
जब जब टिकट/चुनाव की बारी आती है अपने पक्ष से ज्यादा अन्य पक्षों के अपने व्यवसायिक पार्टनरों को तरजीह देते रहे.
मनपा चुनाव जानबूझ कर रोके गए
कहने को दोनों सांसद काफी सक्षम और मजबूत है,केंद्र और राज्य में दोनों के पक्ष की मिलीजुली सरकार है,लेकिन नगरसेवकों याने छोटे कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दे रहे,जब चाहे उन्हें कमीशन खोर कहकर उन्हें बदनाम करते रहते है,जबकि सबको मालूम है कि कौन कितना और कहाँ कहाँ कितना हिस्सेदारी कर रहा है. नतीजा शहर-ग्रामीण में मुलभुत सुविधा का भीषण आभाव हो गया,कोई सुनने वाला नहीं, क्यूंकि लगातार जीत कर आने से उन्हें अब विकास की चिंता नहीं !