नागपुर :- भगवान शिव हर व्यक्ति को समान दृष्टि से देखते हैं. भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि उनका आकार शून्य व ज्योति स्वरूप है. उक्त आशय के उद्गार विद्या नगरी, रेशिमबाग के महात्मा फुले सांस्कृतिक सभागृह में आयोजित शिव महापुराण में चित्रकूट के कथाकार योगेश कृष्ण महाराज ने भक्तों से कहे।
उन्होंने आगे कहा कि भगवान शिव ने अपने केशों को एकत्र करके गंगा की विकराल धारा को शांत करके उसमें धारण किया है। इससे हमें सीख मिलती है कि हमें सदैव एकत्रित होकर रहना चाहिए। जिससे हम विकट परिस्थितियों को भी अनुकूल कर सकते हैं। भगवान शिव के तीन नेत्र हैं, जिसके कारण उन्हें त्रिकालधारी भी कहा जाता है। महादेव के जीवन से हम आत्म-नियंत्रण, क्रोध पर शांति, भौतिकवाद से अलगाव और अपने साथी के प्रति सम्मान का।सबक सीख सकते हैं। कल फूलों की होली खेली जाएगी। सभी से बड़ी संख्या में उपस्थिति की अपील की गई है।